आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २५/४/२००९
लुक-मीचणीं, लूणीयां-घाटी, कुरां, जेळ, तिग्गो, गड्डा, आंधा-घोटो, हरदड़ो(अडबळी), धोळियो-भाटो, कां-कुट, झूरणी, न्हार-बकरी, सतोळीयो, मारदड़ी, चरभर, खोड़ियो-खाती, शांकर बल्लो, भैंसा दबको, लाला-लिगतर, चढ-चढ मकड़ी, घुत्तो, निसरणी, गुल्ली-डण्डो, मार-मु को इत्याद ऐ सगळा खेल जिका अपणै आप में गाँवां रै इतिहास नै संजोय, गांवा री कूंत करता हा, गांव री रुणक बतांवता हा। आज कठै गमग्या? आ सोचण री बात है।
गाँव-गुवाड़ अर गळियां में कदेई आं खेलां री धाक हुंवती पण अब तो फगत क्रिकेट रो भूत ही अठै घूमर घालै। ले देयनै कबड्डी, रूमाल-झपटो, रस्साकस्सी, खो-खो, गुल्ली-डण्डो जे़डा कैई खेलां नै परम्परागत ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगितावां रै नांव पर खेल परिषद कांनी सूं रूखाळणै रो दम भरीजै है। गाँव री छोरी-छींपरयां रो भेळी होय'र गडा खेलणोई अब कठै निजर आवै? आज री पीढ़ी री आं खेलां रै पेटै आ ही बेरूखी रैई तो आवण आळी पीढ़ी नै विरासत में खेलां रो नांव भी नीं दे पावांला।
खेल मिनख री जिनगाणी रौ सदीव सूं अंग रैयो है। गाँव री गुवाड़ टाबरां री रम्मत सूं हरी-भरी रैंवती। पण जद सूं टेलिविजन घर में बापर्यो है, बाळकां रो बाळपणो ई छांई-मांई हुग्यो। टीवी देखता टाबरां नै रोटी जीमण रो ई फोरो कोनी। पछै गुवाड़ में रमण कीकर जावै। बेसी सूं बेसी नम्बर ल्यावण रो फोबियो ई टाबरां री निजरां पोथी-पानड़ां में उळझायां राखै।
तारीख- २५/४/२००९
राई राई रतन तळाई
-राजूराम बिजारणियां
राई-राई रतन तळाई। महीयो गूंज्यो, कीं नै घमकाई, चढ-चढ मकड़ी-घोड़ा लकड़ी, लाला-लाला लिगतर द्यूं कै ल्यूं, पाछो घिर गुद्दी में द्यूं, घूम-घूम चकरी-बाबो ल्याया बकरी, बाटकड़ी में चमा-चोळ - माऊ बाबो ढेल मोर, लौह-लक्कड़ - चां-चक्कड़, किण रै घर रो डेरो अर इरची-मिरची-राई का पत्ता हाथी दांत कलम रा छत्ता। जे़डा सैंकड़ूं खेलां रा सुर जमाने री तेज रफ्तार रै बिचाळै मंदा पड़ग्या। एक बगत हो जद गाँव अनै कस्बा आपरी ओळख रीति-रिवाजां, सीर-संस्कारां अर खेलां रै पेटै बणायनै राखता। पण अब परम्परावां अर ग्रामीण जीवण री रूखाळी करता संस्कार आधुनिक ता री चमक-दमक में धुंधळा पड़ रैया है।-राजूराम बिजारणियां
लुक-मीचणीं, लूणीयां-घाटी, कुरां, जेळ, तिग्गो, गड्डा, आंधा-घोटो, हरदड़ो(अडबळी), धोळियो-भाटो, कां-कुट, झूरणी, न्हार-बकरी, सतोळीयो, मारदड़ी, चरभर, खोड़ियो-खाती, शांकर बल्लो, भैंसा दबको, लाला-लिगतर, चढ-चढ मकड़ी, घुत्तो, निसरणी, गुल्ली-डण्डो, मार-मु को इत्याद ऐ सगळा खेल जिका अपणै आप में गाँवां रै इतिहास नै संजोय, गांवा री कूंत करता हा, गांव री रुणक बतांवता हा। आज कठै गमग्या? आ सोचण री बात है।
गाँव-गुवाड़ अर गळियां में कदेई आं खेलां री धाक हुंवती पण अब तो फगत क्रिकेट रो भूत ही अठै घूमर घालै। ले देयनै कबड्डी, रूमाल-झपटो, रस्साकस्सी, खो-खो, गुल्ली-डण्डो जे़डा कैई खेलां नै परम्परागत ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगितावां रै नांव पर खेल परिषद कांनी सूं रूखाळणै रो दम भरीजै है। गाँव री छोरी-छींपरयां रो भेळी होय'र गडा खेलणोई अब कठै निजर आवै? आज री पीढ़ी री आं खेलां रै पेटै आ ही बेरूखी रैई तो आवण आळी पीढ़ी नै विरासत में खेलां रो नांव भी नीं दे पावांला।
खेल मिनख री जिनगाणी रौ सदीव सूं अंग रैयो है। गाँव री गुवाड़ टाबरां री रम्मत सूं हरी-भरी रैंवती। पण जद सूं टेलिविजन घर में बापर्यो है, बाळकां रो बाळपणो ई छांई-मांई हुग्यो। टीवी देखता टाबरां नै रोटी जीमण रो ई फोरो कोनी। पछै गुवाड़ में रमण कीकर जावै। बेसी सूं बेसी नम्बर ल्यावण रो फोबियो ई टाबरां री निजरां पोथी-पानड़ां में उळझायां राखै।
आज रो औखांणो
रमो-खेलो ऐ छोकरियां, लूंबां री डोरी।
खेलो-नाचो ऐ छोकरियो, लूमों की डोरी।
यही खेल-कूदने की अमोलक घड़ियां हैं, खूब खेलो-नाचो, आनंद मनाओ। ये दिन वापस आने वाले नहीं हैं।
रमो-खेलो ऐ छोकरियां, लूंबां री डोरी।
खेलो-नाचो ऐ छोकरियो, लूमों की डोरी।
यही खेल-कूदने की अमोलक घड़ियां हैं, खूब खेलो-नाचो, आनंद मनाओ। ये दिन वापस आने वाले नहीं हैं।
लाडेसर राजू रो ' राई-राई रतन तळाई' पढयो.!
ReplyDeleteघणो आच्छो लाग्यो.!
बधाई .!
devidan depavat,
Deshnok
RAJ RO LEKH SANTRO..!!
ReplyDeleteIYA HI LIKHATA REVO
-NARENDRA SWAMI
TEACHER
BIKANER
GRAMYA MATI REE GHAND
ReplyDeleteCHARU KUNTA ME ''HARDADE'' RE JARIYE
BIKHARA NAKHI.!
-SHIVDAN SINGH SODHA
LUNASAR DHAM
-SHIVDAN SINGH SODHA
ReplyDeleteLUNASAR DHAM
-ramandeep kaur
amritsar(punjab)
RAJ RO LEKH SANTRO,
ReplyDeleteLEKH RE PETE BADHAI.
-K.L.SHARMA
LUNKARANSAR
9001397154
raj,
ReplyDeleterai rai ratan talai
lekh ke lia badhai.
alka tivari
jaipur
LEKH ME MAATI RI SORAM RO GAJAB
ReplyDeleteSAMAGAM NIGE AAVE.
KHEL TO LEKH HI HAI..!
-DUNGAR SINGH 'TEHANDESAR'
LT.DIST.SAYONJAK SFI
BIKANER, 9829495628
ANUJ RAJU THANE BADHAI.
ReplyDeleteRAI-RAI RATAN TALAI GAJAB RO
GRAMIN LEKH.
-KULDEEP SING BHAMHU
PILIBANGA
(HANUMANGADH)
राई राई रतन तळाई
ReplyDeleteराजूराम बिजारणियां रो
ग्रामीण खेलाँ सूँ रंगीज्यो लेख
सांची पढ़न जोग..!!
सोनीजी, विनोदजी अर भास्कर नै ही
हियै तणी बधाई !
- रविन्द्र शिवराण
जयपुर
गाँव और गाँवों से जुडी परम्पराएं, रीति रिवाज
ReplyDeleteएवं खेल अपने आप में बेजोड़ दम-ख़म रखते हैं !
भूले-बिसरे खेलों को फिर से जीवंत करने के
प्रयास हेतु राज को बधाई!
ऐसे प्रयास जारी रखें!
-महेंद्र सिंह शेखावत
बीकानेर
rajuji aapro aalekh
ReplyDeleteghano chokho lagyo sa.
-kisan bishnoi
bikaner
साँतरो लेख लिख्यो है सा राजू जी , महानै तो म्हारो बचपन याद आ ग्यो । आज रो टेम भोत घणो बदल गो है सा । इ लेख रै वास्तै थानै खूब खूब आभार ।
ReplyDeleteDost
ReplyDeleterai-rai ratan talai
sandar aartical.
padhkar achchha laga.
-vinay sethi
sangriya
rajaji
ReplyDeleteamrik ko lekh achha laga,
babhaee ho.
-amrik singh
hindmalkot
rajuram ji ro lekh banchyo.
ReplyDeletesantaro lekh
mokali badhai
soniji vinodji ar bhaskar pariwar ne ghana ghana rang
- dr madan gopal ladha
mahajan 9982502969
rai rai ratan talai lekh banchyo. santaro lekh. rajuram bijarniya ar bhaskar pariwar ne mokali badhai.
ReplyDelete-mukesh ranga, bhaskar sanwaddata mahajan mo. 9928585425
sawan purohit
poonamchand gurjar, mahajan
aalek bahut sandar.
ReplyDeletesandar gaanv ke khel.
or sandar shabd sojnay.
bhai raju ko badhaee.
=malkit singh
loonkaransar
आलेख घणो चोखो लाग्यो .
ReplyDeleteगमतै खेलां री सुध लेवण सारू आपनै
घणी-घणी बधाई हुवै सा .
किशन पुरोहित
बीकानेर
bhule-bisare khelo ki
ReplyDeleteyad taja karne ke lia
raj aapka dhanyawad.
sampakad ji ka bhi aabhar.
--------------------------
-- gangadhar ojha
varli-mumbai
राजू भाई .!
ReplyDeleteआलेख गोखण जोग,
पढ़न जोग नै सरावण जोग है,
इण में कोई दोराय नीं .
लिखता अर लिखता ही रैवो .
-विक्रम देपावत
बीकानेर
टिप्पणी करनियाँ सगला भाई-बेलियाँ रो घणो-घणो मान करां सा! आपसू अर्ज़ है कै आपरा फोन नंबर या ईमेल ठिकानो जरुर मांडो सा! आपसूं बातां कर'र म्हाने घणी ख़ुशी व्हेला.
ReplyDeleteराई-राई रतन तळाई,
ReplyDeleteमहीयो गूंज्यो, कीं नै घमकाई,
चढ-चढ मकड़ी-घोड़ा लकड़ी,
लाला-लाला लिगतर द्यूं कै ल्यूं,
पाछो घिर गुद्दी में द्यूं,
घूम-घूम चकरी-बाबो ल्याया बकरी,
बाटकड़ी में चमा-चोळ - माऊ बाबो ढेल मोर,
लौह-लक्कड़ - चां-चक्कड़, किण रै घर रो डेरो
अर इरची-मिरची-राई का पत्ता हाथी दांत कलम रा छत्ता
जेड़ा जाणै कितराई खेल आज गुम होग्या है !
राजू जी आँ खेलाँ नै परोटन री पै'ल करी है, आ
सरावण जोग है.!! बधाई ..!!!
-भंवर सिंह राठौड़
गाँव -करनीसर
लूनकरनसर
9314991101
rajuram bijarniya ka khelo par likha lekh jordar laga. aaj ke is dor me ese lekho ki darkar hai.
ReplyDelete-R.P.Godara
khokharana,
lunkaransar
9024308790
Hii
ReplyDeleteradha