Friday, April 24, 2009

२४ टिगट

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २४/४/२००९
टिगट

-डॉ. मंगत बादल

जि भांत रेल-बस में सफर सारू टिगट लेणो जरूरी। उणीज भांत सत्ता रूपी गाड़ी री सवारी सारू भी उपयुक्त पार्टी रो टिगट लेणो जरूरी। 'उपयुक्त' रो मतलब अठै बीं पार्टी सूं, जिण री संभावना सत्ता में आणै री हुवै। चुणाव जीत'र निर्दलीय रूप में संसद या विधानसभा में बैठणो बियां ई है, जियां छींको लगा'र किणी पशु नै हरी फसल में चरण खातर खुलो छोड़ दियो जावै। जनता रा काम करावणै तांईं मिलण आळी (सांसद अर विधायक कोटो) रासी मांय सूं दस-पनरा परसैंट सूं पार कोनी पड़ै। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भी निर्दलियां री धौंस में जद ई आवै जद सरकार बणाणै तांईं बिणां री दरकार हुवै। निस तो बां रो हाल नपुंसक सांड सिरखो ई हुवै मतलब दड़ूकता रैवो चाये। किणी काम रा कोनी हुवै। सत्ता में नीं हुवै बां विधायकां, सांसदां नै जनता भी कम ई घास गेरै। हां! जद सूं गठबंधन री सरकारां बणण लागी है निर्दलियां री पांचूं घी में है। पण इण रो ओ मतलब कतई कोनी कै टिगट रो मोल घटग्यो हुवै।
'रूलिंग पार्टी' रो टिगट मिलणै रो मतलब है बिनां कष्ट सहन करियां चुनाव री वेतरणी पार करणी। चुनाव में धन लगावणै रो मतलब है दो हाथां सूं लगाओ अर हजार हाथां सूं कमाओ। कम सूं कम आपणै देस में तो ऐड़ो बीजो कारोबार कोनी जिण में इतरो फायदो हुवै। ऐकर चुण्या गया तो उम्र भर री पैंसन, बीजी सुविधावां रो कांईं कैणो? बाकी तो कमावणियै पर निर्भर है कै बो कितरो'क कारोबार कर सकै । अठै 'जळ में मीन पियासी' कोनी रैवै। लोगां चुणाव नै इयां ई बोपार कोनी बणा राख्यो। जे जन सेवा ई करणी है तो और घणा ई मारग है। राजनीति में आणै री कांईं दरकार? नेता कोई वीतरागी, त्यागी कोनी हुवै। बां रै भी बाल-बच्चा हुवै। जिकां तांईं चुग्गै-पाणी रो प्रबंध करणो पड़ै। बियां चाये कितरी ई मंदी चालती हुवै। नेता एक चुणाव लड़ल्यै तो बस फेर चांदी ई चांदी। आप पूछस्यो- किण भांत? तो भाया! ऐ बातां बतावणै री थोड़ेई हुवै!
राजनीति में दुस्मणी या दोस्ती कदै टिकाऊ कोनी हुवै। काल रा दुस्मण आज दोस्त अर आज री दोस्ती काल दुस्मणी में बदळ सकै। दरअसल अठै प्रतिबद्धता किणी मिनख या पार्टी सूं नीं होय'र कुर्सी सूं हुवै। कुर्सी देखी अर पैंतरो बदळ्यो, बै लोग ई अठै घणा कामयाब हुया है। इण कारण बखत-बखत पर दोस्ती-दुस्मणी रो गणित बदळतो रैवै। नेता राजनीति में भजन करण तो आवै कोनी। जे संत ई बणणो हुंवतो तो हिंवाळै नीं जांवता? टिगट लेणै तांईं राजधानी कानी क्यूं भाजता? आजकाल तो आसरम खोल'र बैठणियां बाबां पर भी कद राजनीति रो रंग चढ़ज्यै, कैयो कोनी जा सकै। भारतीय राजनीति में साधु-संतां रो गठबंधन घणो जूनो। बां रै प्रभाव रै कारण नेता लोग सम्पर्क साधणो जरूरी समझै। राजनीति में सुधार या जनहित रो नांव लेय'र बाबा जद सत्ता सुख में रम ज्यावै तो बै नेतावां सूं भी घणा खतरनाक हुवै। इण कारण राजनेता भी इण नै टिगट देय'र आप कानी मिलाण री कोसिस करै। अब तो आप समझ्या टिगट रो महत्त्व!

आज रो औखांणो

सिंघां रा भाई बघेरा, वै नौ कूदै कै ते'रा।

चोर-चोर सगळा एक सरीखा। कोई छोट-मोट नीं।

3 comments:

  1. साची बात सा, आज रौ ओखाणौ बढीया लागौ अर लेख माथै मेच ई करै है

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  2. आज रौ ऒखाणौ बढीया लिख्यौ सा, लेख रै माथै एकदम परफेक्ट लागै है :)

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  3. Bhai ji
    Ram-Ram sa
    Dr.Badal ji tharo ticket mahanye mil gyo.Ticket jika kedi bhi gadi, bus ri koni li ab bhy desh ri ticket mange hai to desh ro ky hosi thye aachi threh jano .
    Tharo ticket gheno hi keraro ho.vanch r tevityet khus ho gyi.Dhanyabad.
    NARESH MEHAN

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