तारीख- ९/४/२००९
हनुमान जयंती पर खास लेख
कमल रंगा रो जलम 5 जुलाई, 1956 नै बीकानेर में हुयो। राजस्थानी रा चावा कवि-कथाकार। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी,बीकानेर अर मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई समेत मोकळा संस्थानां सूं पुरस्कृत। अबार बीकानेर में ई श्रम निरीक्षक एवं समझौता अधिकारी रै पद माथै सेवारत।
हजारूं-हजार साल री लूंठी अर सांतरी सांस्कृतिक-हेमाणी नै सम्भियोड़ी भारतीयता आखै जगत में आपरी ओपती ओळखाण राखै। भारतीय समाज जीवण रै हर एक दिन नै उछब रूप में मनावै। इणी लेखै आज चैत सुदी पून्यूं रो सुभ दिन स्री हनुमान जंयती।
स्री हनुमान वायुपुत्र, पानात्मज, अनिलात्मयज, वायुतनय आद उपाध्यां सूं कुशल राजनीतिज्ञ, परमभक्त, जिज्ञासु, विनम्र आद मौकळा गुणां रा धणी। आं नै घणा ई नांवां सूं लोग पूजै। ध्यावै।
स्री हनुमान रो जीवण हरमेख लोक-कल्याणकारी रैयो है। आप आपरी सैमूंदी सगती रो उपयोग परपीड़ा हरण खातर कीन्हो। आपरै गुणां रो बखाण करां जितोई कम। घणी चमत्कारी कथावां पुराणा ग्रंथां में है। भारतीय संविधान री पवित्र दीठ सूं जे आपां स्री हनुमान रै विराट रूप में अधिकार अर दायित्व नै देखां-समझा तो ऐ आपां नै दायित्व निभावणा री सीख देवै। आपरी दीठ एक शोधार्थी री गळाई ही। स्री हनुमान रै बतौर राजनीतिज्ञ कथनी अर करणी में कीं भी आंतरो नीं हो। ओ गुण आज रै राजनेता अर जन-जन वास्तै अपणावण जोग है। इणी तरै स्री हनुमान आपरै बळ अर ज्ञान रो उपयोग जीवमातर रै कल्याण वास्तै कीन्हो। ओ गुण आज अपणावण जोग है। आपां आज उणारी जंयती रै दिन उणानै सिमरता थकां बियां रै गुणां नै आत्मसात करणै रो संकल्प लेवणो चाइजै।
जळती अगन में कूद पड़ै वै,
कोट गिणै नीं खाई रे
कोट गिणै नीं खाई रे
कमल रंगा रो जलम 5 जुलाई, 1956 नै बीकानेर में हुयो। राजस्थानी रा चावा कवि-कथाकार। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी,बीकानेर अर मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई समेत मोकळा संस्थानां सूं पुरस्कृत। अबार बीकानेर में ई श्रम निरीक्षक एवं समझौता अधिकारी रै पद माथै सेवारत।
-कमल रंगा
भारतीय जीवण दरसण अर जीवण सैली में आस्था री पैठ लूंठी। आखै भारतीय जनमानस में आप-आपरी उपासना री परंपरा।हजारूं-हजार साल री लूंठी अर सांतरी सांस्कृतिक-हेमाणी नै सम्भियोड़ी भारतीयता आखै जगत में आपरी ओपती ओळखाण राखै। भारतीय समाज जीवण रै हर एक दिन नै उछब रूप में मनावै। इणी लेखै आज चैत सुदी पून्यूं रो सुभ दिन स्री हनुमान जंयती।
स्री हनुमान वायुपुत्र, पानात्मज, अनिलात्मयज, वायुतनय आद उपाध्यां सूं कुशल राजनीतिज्ञ, परमभक्त, जिज्ञासु, विनम्र आद मौकळा गुणां रा धणी। आं नै घणा ई नांवां सूं लोग पूजै। ध्यावै।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बलबुद्धि विद्या देहुमोहिं, हरेहु कलेश विकार ।।
हे पवन कुमार! आपनै सिमरण करूं। आप तो जाणो कै म्हारो सरीर अर बुद्धि मोळी है। म्हनै बळ, सद्बुद्धि अर ग्यान बगसो अर म्हारा दु:ख अर दोख मेटो। स्री हनुमान भारतीय देवतां री पांत में आपरो एक ओपतो अर बीजै ढब रो ठांव राखै। जणैई तो आखो भारत ''जय हनुमान ज्ञान गुन सागर... '' री चौपाई सूं गुण गावै। ग्यान अर गुण री जै हो रै महताऊ उद्घोस सूं भारतीय समाज स्री हनुमान चाळीसो बांचै। दूजै प्रदेसां दांईं राजस्थान में स्री हनुमान री उपासना घणैमान अर सिरधा सूं करी जावै। राजस्थान में हनुमानजी रा ढाई हजार सूं बेसी मिंदर है। जोधपुर रै गढ पर पंद्रह फुट ऊंची पंचमुखी हनुमान री प्रतिमा है। उदयपुर रै रामद्वारै में भी हनुमानजी री मूरती देखणजोग है। राजस्थानी लोकगीतां में हनुमानजी रो गुणगान घणो। एक लोकगीत में रावण अर सीता रो संवाद, जिणमें सीता राम रै पायक हनुमान अर भाई लिछमण रै गुणां रो बखांण इण भांत करै-बलबुद्धि विद्या देहुमोहिं, हरेहु कलेश विकार ।।
हणूमान-सा पायक बां रै, लिछमण-सा बळ भाई रे।
जळती अगन में कूद पड़ै वै, कोट गिणै नीं खाई रे।।
स्री हनुमान पड़तख रुद्रावतार अर सदाचरण रा देवता रूप में आदरीजै। आध्यात्मिक ज्ञान अर व्यावहारिक कामनापूरती करणवाळा स्री हनुमान प्रदेस रै गांव-गांव तांई घणा-चावा। आप एक ख्यातनांव वानर, जिका सुमेरू रै केसरिन नामक वानर राजा रा बेटा अर मां अंजनि रा लाडला है। आप किष्किधा रै वानर राजा सुग्रीव रा मंत्री, कुशल अर चतुर राजनीतिज्ञ, वीर अर निपूण दूत भी हा। वाल्मीकि रामायण में आपनै शौर्य, चतराई, बळ, धीजै, ग्यानवान, नीतिमान अर पराक्रम आद गुणां नै धारण करणवाळा बताया है। जूनी टेम में स्री हनुमान नै कृषि संबंध रा देवता भी मानता हा। स्यात बरखा रुत अर बरखा रुत सूं उपजी थकी पून रा अधिष्ठाता हा। इणी कारण आपरो घणकरो वरणन वैदिक मरूत देवता री याद दिरावै। इण तरै इन्द्र री गळाई हनुमान ई वैदिककालीन बरखा रा देवता जाण पड़ै। आपरै जलम पेटै मोकळी पौराणिक कथावां मिलै। सूरज सूं आपनै व्याकरण, सूत्रवृत्ति, वार्तिक, भाष्य, संग्रह आद रो ज्ञान प्राप्त हुयो अर आप सरबशास्त्रविद् बण्या। आपनै आयुर्वेद अर ज्योतिस रो ई लूंठो ज्ञान हो। इण भांत स्री हनुमान बहुमुखी प्रतिभा रा धणी हा। आपरै समूचै गुणां रो ई असर है कै आखो भारत आपनै श्रद्धा-भाव सूं मानै।जळती अगन में कूद पड़ै वै, कोट गिणै नीं खाई रे।।
स्री हनुमान रो जीवण हरमेख लोक-कल्याणकारी रैयो है। आप आपरी सैमूंदी सगती रो उपयोग परपीड़ा हरण खातर कीन्हो। आपरै गुणां रो बखाण करां जितोई कम। घणी चमत्कारी कथावां पुराणा ग्रंथां में है। भारतीय संविधान री पवित्र दीठ सूं जे आपां स्री हनुमान रै विराट रूप में अधिकार अर दायित्व नै देखां-समझा तो ऐ आपां नै दायित्व निभावणा री सीख देवै। आपरी दीठ एक शोधार्थी री गळाई ही। स्री हनुमान रै बतौर राजनीतिज्ञ कथनी अर करणी में कीं भी आंतरो नीं हो। ओ गुण आज रै राजनेता अर जन-जन वास्तै अपणावण जोग है। इणी तरै स्री हनुमान आपरै बळ अर ज्ञान रो उपयोग जीवमातर रै कल्याण वास्तै कीन्हो। ओ गुण आज अपणावण जोग है। आपां आज उणारी जंयती रै दिन उणानै सिमरता थकां बियां रै गुणां नै आत्मसात करणै रो संकल्प लेवणो चाइजै।
Bhai
ReplyDeleteSatynaryan.Vinod
Nameskar,
Aaj kamal ranga ro Hanuman jaynti per hanumanji ra dersan ker liya.Lekh vanciyo ghano hi paviter ho.Thanye dhanyabad.
NARESH MEHAN
कमल रंगा सा... लेख चोखो लागो सा.
ReplyDeleteहडुमान जयंती री घणी घणी शुभकामनावां