आपणी भाषा-आपणी बात
२७/४/२००९
मानता के संसार खैमान मतलब नासवान। भगवान पण अखै। जगत खैमान। तो खै नै नीं, अखैमान मतलब ईश्वर नै ध्यावणो। खैमान कारजां नै छोड़ अखैमान कारज करणां। असद भावना, असद्विचार, अंहकार, सुवारथ, काम, किरोध अर लोभ भी खैमान। त्याग, परोपकार, भाईचारो, भेळप, करूणा, दया, प्रेम अर स्यांति अखैमान। आखातीज रो तिंवार चेतावै कै आपां अखैमान नै परोटां-बपरावां-बरतां। मिनखा मौल अर जीवण मौलां नै धारां-अंगेजां। आखातीज रो तिंवार इण री विरोळ करण रो तिंवार। आपणै करमां री चींत, कूंत अर निरख रो तिंवार। अक्षय ग्रंथ 'गीता' इण री साख भरै।
जोतक में च्यार अणबूझ मोहरत बजै। गुडीपडवा (चैत सुदी एकम), आखातीज, दसरावो अर दियाळी। आखातीज पण अणबूझ सावो भी। आखातीज माथै राजस्थान में हजारू चंवर्यां मंडै। मकान, दुकान, बिणज, बौपार, खरीद-बेचान, बुवाई-बिजाई रा काम इण दिन करीजै। गैंणा-गांठा, असतर-ससतर, गाभा-लत्ता, जमीन भवन री खरीददारी इण दिन सुब मानीजै। अनाज आखा बजै। आखा रैवै आखा। इण सारू किरसाण जतन करै। खळै सूं अनाज घरां ल्यावै। भखारी में राखै। आगली फसल में बुवाई सारू बीज साम्है। भगवान सूं अरज करै- आखा अखै राख्या, सात सिलाम।
अक्षय तृतीया यानी आखातीज नै परशुराम तिथ भी बखाणीजै। इण दिन नर नारायण, हयग्रीव अर भगवान परशुराम रो जलम होयो। परशुरामजी, अश्वत्थामा, बलि, हड़मानजी, विभीषण, वेद ब्यास अर कृप सात चिंरजीवी बजै। परशुरामजी आं सातां में सूं एक । इण कारण आखातीज चिंरजीवी तिथि बजै। टीपणा अर पुराणां मुजब च्यार जुग। सतजुग, त्रेताजुग, द्वापरजुग अर कळजुग। आं जुगां में त्रेताजुग री सरूआत आखातीज सूं मानीजै। इणीज कारण आखातीज जुगादतिथ बजै। आखातीज नै ई भगवान बद्रीनारायण रै मिंदर रा पट खुलै। इण दिन नै बद्रीनारायण दरसण तिथ भी कैवै। बिंदरावन में बिहारीजी रै चरणां रा दरसण भी इणी दिन होवै।
आखातीज माथै गंगा-सिनान री मैमा। मानता कै इण दिन करियोड़ा त्याग, तप-जप, दान-पुन्न अर होम-हवन अखै रैवै। बैन-सुवासणी, बाई-बेटी, गरीब-गुरबां अर बिरामणां नै अखै चीजां दान करीजै। घड़ै, पंखी, खड़ाऊ, जूतै, छातै, गाय, जमीन, गन्नै, सतनाजै, सोनै, पुहुप, खरबूजै अर तरबूज रा दान पण सिरै। गन्नै रै रस सूं बणायोड़ी चीजां रै दान री मैमा अपरम्पार। आखाजीत रै दिन ई पित्तरां रो तिल सूं अर जळ सूं तरपण करीजै। पिंडदान करीजै। छोरियां इण मौकै बीन-बीनणी रा स्वांग रचावै। टोळी बणा'र घर-घर जावै, नेग मांगै, गावै-
२७/४/२००९
आखातीज-बांडाबीज,
गुळवाणी अर गळियो खीच
-ओम पुरोहित कागद
राजस्थान में रूतां रा अलेखूं तिंवार। पण आखातीज सिरै। यानी अक्षय तृतीया। वैसाख सुदी तीज नै आवै। बसंत अर गरमी री रूतां बिचाळै। इण तिंवार पेटै विष्णु धर्मसूत्र, मत्सय पुराण, नारदीय पुराण, स्कन्द पुराण अर भविष्यादि पुराण में मोकळा बखाण। मानता कै इण तिथ रो खै मतलब क्षय नीं होवै। इण दिन करियोड़ा भलै कामां अर पुन्न रा फळ भी अखै रैवै। अखै बजै सत्य। सत्य नै मानै ईश्वर। ईश्वर अखंड अर सरब-व्यापक। तो आखातीज ईश्वर तिथि।गुळवाणी अर गळियो खीच
-ओम पुरोहित कागद
मानता के संसार खैमान मतलब नासवान। भगवान पण अखै। जगत खैमान। तो खै नै नीं, अखैमान मतलब ईश्वर नै ध्यावणो। खैमान कारजां नै छोड़ अखैमान कारज करणां। असद भावना, असद्विचार, अंहकार, सुवारथ, काम, किरोध अर लोभ भी खैमान। त्याग, परोपकार, भाईचारो, भेळप, करूणा, दया, प्रेम अर स्यांति अखैमान। आखातीज रो तिंवार चेतावै कै आपां अखैमान नै परोटां-बपरावां-बरतां। मिनखा मौल अर जीवण मौलां नै धारां-अंगेजां। आखातीज रो तिंवार इण री विरोळ करण रो तिंवार। आपणै करमां री चींत, कूंत अर निरख रो तिंवार। अक्षय ग्रंथ 'गीता' इण री साख भरै।
जोतक में च्यार अणबूझ मोहरत बजै। गुडीपडवा (चैत सुदी एकम), आखातीज, दसरावो अर दियाळी। आखातीज पण अणबूझ सावो भी। आखातीज माथै राजस्थान में हजारू चंवर्यां मंडै। मकान, दुकान, बिणज, बौपार, खरीद-बेचान, बुवाई-बिजाई रा काम इण दिन करीजै। गैंणा-गांठा, असतर-ससतर, गाभा-लत्ता, जमीन भवन री खरीददारी इण दिन सुब मानीजै। अनाज आखा बजै। आखा रैवै आखा। इण सारू किरसाण जतन करै। खळै सूं अनाज घरां ल्यावै। भखारी में राखै। आगली फसल में बुवाई सारू बीज साम्है। भगवान सूं अरज करै- आखा अखै राख्या, सात सिलाम।
अक्षय तृतीया यानी आखातीज नै परशुराम तिथ भी बखाणीजै। इण दिन नर नारायण, हयग्रीव अर भगवान परशुराम रो जलम होयो। परशुरामजी, अश्वत्थामा, बलि, हड़मानजी, विभीषण, वेद ब्यास अर कृप सात चिंरजीवी बजै। परशुरामजी आं सातां में सूं एक । इण कारण आखातीज चिंरजीवी तिथि बजै। टीपणा अर पुराणां मुजब च्यार जुग। सतजुग, त्रेताजुग, द्वापरजुग अर कळजुग। आं जुगां में त्रेताजुग री सरूआत आखातीज सूं मानीजै। इणीज कारण आखातीज जुगादतिथ बजै। आखातीज नै ई भगवान बद्रीनारायण रै मिंदर रा पट खुलै। इण दिन नै बद्रीनारायण दरसण तिथ भी कैवै। बिंदरावन में बिहारीजी रै चरणां रा दरसण भी इणी दिन होवै।
आखातीज माथै गंगा-सिनान री मैमा। मानता कै इण दिन करियोड़ा त्याग, तप-जप, दान-पुन्न अर होम-हवन अखै रैवै। बैन-सुवासणी, बाई-बेटी, गरीब-गुरबां अर बिरामणां नै अखै चीजां दान करीजै। घड़ै, पंखी, खड़ाऊ, जूतै, छातै, गाय, जमीन, गन्नै, सतनाजै, सोनै, पुहुप, खरबूजै अर तरबूज रा दान पण सिरै। गन्नै रै रस सूं बणायोड़ी चीजां रै दान री मैमा अपरम्पार। आखाजीत रै दिन ई पित्तरां रो तिल सूं अर जळ सूं तरपण करीजै। पिंडदान करीजै। छोरियां इण मौकै बीन-बीनणी रा स्वांग रचावै। टोळी बणा'र घर-घर जावै, नेग मांगै, गावै-
आखातीज बांडाबीज, गुळवाणी अर गळियो खीच।
घालो आखा घालो गुळ, नीं घालो तो पईसा द्यो।।
आज रै दिन छोर्यां-छापर्यां अर लुगायां-पतायां गौरी पूजा करै। झुंड में बैठ बिरखा री ध्यावना-चावना करै। बिरखा रा सुगन देखै। लुगायां घर रै आंगण में मेट सूं मांडणा मांडै। देवी-देवतावां रा पगलिया कोरै। आखातीज रै दिन मोठ-बाजरी अर कणक-बाजरी रो खीचड़ो रांधीजै। धपटवों घी घालीजै। खीचड़ै साथै गुवार फळी-काचरी अर अखै बड़ी, मोठोड़ी-कोकला-काचर गोटकां रो साग अनै कढी बणाइजै। चरकै-मरकै सारू पापड़, खीचिया, गुवारफळी अर कैरिया तळीजै। गु़ड, इमली, काळी मिरच, लूंग अर इलायची भेळ'र सरबत बणावै। ओ सरबत अमलवाणी बजै। पछै घर रा सगळा मिनख भैळा जीमै। आखातीज रा कोड करै।घालो आखा घालो गुळ, नीं घालो तो पईसा द्यो।।
आज रो औखांणो
घर में नीं अखत रा बीज, बंदो खेलै आखातीज।
घर में नहीं अक्षत(चावल) के बीज, बंदा खेले आखातीज।
थोथी शान-शौकत की हेकड़ी दिखाने वाले व्यक्ति पर कटाक्ष।
घर में नीं अखत रा बीज, बंदो खेलै आखातीज।
घर में नहीं अक्षत(चावल) के बीज, बंदा खेले आखातीज।
थोथी शान-शौकत की हेकड़ी दिखाने वाले व्यक्ति पर कटाक्ष।
''आखातीज बांडाबीज,
ReplyDeleteगुळवाणी अर गळियो खीच!''
रा बोल फकत बोल नी होय'र
आपणा संस्कार नै संस्कृति है !
तीज-त्युंहार जीवंता रेवै
इण सारु जरूरी है
लोगां रै अंतस नै चेतण करणो.!
ओ आप जैडा लेखक ही कर सकै.!
ओमजी भाई सा ...
आपनै बधाई....क आप
ऐडा संस्कार नै संस्कृति सूं मानखै नै
रू-ब-रू करावो हो..!
-राजूराम बिजारनियाँ ''राज''
लूनकरनसर
941449936
akhateej par kagad ji ro alekh santro lagyo mokly badhai soni ji ar bhaskar parivar ne ghna ghna rang
ReplyDeletemukesh kumar ranga
mahajan
9928585425
Bhai Soni ,Vinod ji,
ReplyDeleteRam-Ram sa,
Pandit Om purohit kaged ro Aakhateej Eswer ri teej jiso paviter lekh vanchyio.Om ji nai mahri ghani-ghani bhadiya.
Om ji likhye sensjkirti or prempera re bhiter ja r dil su lekh tiyar kerye hai.
Tharo aaj ro okhan samaj per kerraro japhat hai.
NARESH MEHAN
aapra vichar mane ghana chokha lagya, aap jaida bhasha ra jankar ri ebakt ghani ghani jarut he. aap yu his bhasha ro prachar prasar karo aur rajsthani bhasha ro maan badhavo. jay jay rajsthan. pawan daga, surat. ( marwar mathania )
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