आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १२/४/२००९
22 अगस्त, 1972 नै जलम्या भंवरलाल महरिया 'भंवरियो' अगुणो जोहड़ो ढाकाळी, पोस्ट-नबीपुरा तहसील फतेहपुर शेखावाटी, जिला-सीकर रा मूल रैवासी। राजस्थानी रा समरथ लिखारा अर रंगकर्मी। कई टेलीफिलमां मांय भी अभिनय। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति रा सीकर जिला पाटवी।
2 फरवरी 1910 नै एसियाटिक सोसायटी नै सम्बोधित करता थकां बंगाली बाबू सर आशुतोष मुखर्जी राजस्थानी री कीरत बखाणी। डॉ. लुइजेपियो तैस्सीतोरी तो इणनै आपरी मायड़भाषा इतालवी सूं भी मोभी मानी अर राजस्थानी माटी मांय दफन हुया। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर इणरी कीं बानगी सुण'र बोल्या कै रवीन्द्र 'गीतांजळी' लिख सकै पण डिंगळ रा दूहा नईं। हळदीघाटी रो वातावरण कठै अर बिना वातावरण कवि नै प्रेरणा कठै सूं मिलै? इस्सी मोत्यांमूंघी मायड़भाषा नै मान दिराणै खातर मंडावा रा सेठ रामदेव चोखाणी अर सांवतसर रा ठा. रामसिंह तंवर सरीखा दिनाजपुर (अबार बांगलादेस) मांय सन् 1938 में अखिल भारतीय राजस्थानी सम्मेलन तेवड़्यो। पं. रामकर्ण आसोपा अर उदयराज उज्जळ भी घणा पच्या। विजयसिंह पथिक अर नानक भील नै साथै लेय'र पं. जयनारायण व्यास भी पाळो मांड्यो। बै पं. नेहरू नै राजस्थानी री जाण कराणै खातर 'आ किताबड़ी' नांव सूं पोथी लिख भेजी। पण दिनकरजी हिन्दी रै विकास खातर राजस्थान सूं 15 बरस मांग्या तो व्यासजी उदारता रो परिचै दियो। कुण जाणै हो कै आ उदारता ई एक दिन उपहास अर अणदेखी रो नतीजो बणैगी। राजस्थान रो विधायक विधानसभा मांय आपरी मायड़भाषा मांय शपथ नीं ले सकैगो अर पढेसरी पोसाळ में मायड़भाषा बोलैगो तो सजा रो हकदार बणैगो। इणी पीड़ा सूं छटपटावता बीकानेर नरेश कर्नल करणीसिंह राजस्थानी खातर विड्रो ल्याया तो इंदिराजी थ्यावस रो थुथकारो नांख'र विड्रो ओठो करा लियो। पं. गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद', पूनमचंद विश्नोई, सीताराम लालस, रावत सारस्वत, पं. मुरलीधर व्यास जियांळका राजस्थानी खातर आपरी जिंदगी गाळ दी। पण बेरहम दिल्ली रो दिल कद पसीज्यो। आखिर मायड़ रा लाडेसर बड़ी चौपड़ सूं लेय'र वोट लब ताईं धरणो दियो अर मान्यता रो रोळो मचायो तो दिल्ली दरबार ऐलान करियो कै पैली राज्य सरकार सूं प्रस्ताव पारित करवा'र ल्यावो। 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत विधानसभा मांय राजस्थानी री मान्यता रो प्रस्ताव राख्यो तो दो विधायक ओठा सरकग्या अर शेखावत सा'ब प्रस्ताव बहुमत सूं न कर'र सर्वसम्मति रै चक्कर में मात खायग्या। 25 अगस्त, 2003 नै गहलोत सरकार ओ काम भी कर दियो अर सीताकान्त महापात्र समिति इणरी अनुशंषा कर दी। 24 दिसंबर, 2003 नै केन्द्र सरकार डोगरी, संथाली, मैथिली अर बोडो भाषा नै तो मान्यता दे दी अर राजस्थानी रै नांव पर ठोसो! क्यूं म्हे कुणसी मोरड़ी रै भाटो मार्यो?
२००४ रै लोकसभा चुनाव री वेळा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जोधपुर मांय राजस्थानी नै संवैधानिक मान्यता रो आश्वासन दियो जिको आज पूरो करै! सताजोग सूं भैरोंसिंहजी उपराष्ट्रपति बण्या पण मायड़ नै मान्यता नीं दिलवा सक्या। 15 दिसंबर, 2006 नै अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी सम्मेलन रै समापन मौकै तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटील कैयो कै राजस्थानी भाषा रा सबद मंतर बरोबर है, इणनै मान्यता दिलाणो आपणो पैलो फर्ज है। आज आप राष्ट्रपति पद माथै बिराजै। ब्रिटेन रा पूर्व उपायुक्त लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया अर कथाकार यादवेंद्र शर्मा 'चन्द्र' जिस्या कित्ता ई मायड़ रा हेताळु मान्यता री हूंस लियां-लियां सुरग सिधारग्या। चंद्रप्रकाश देवळ जियांळका कैय रिया है- 'राजस्थानी भाषा री मान्यता बिना म्हारी जिंदगी, जिंदगी कोनी अर मरग्या तो गति-मुगती कोनी!' पण नेतावां नै आपां ओळमो भी काँईं देवां? भागीरथ मेघवाळ मुजब- 'बां रै गळै मांय पारटी रो पट्टो घलर्यो है।' पछै भी लखदाद राजस्थानी सांसदां नै जिका अबार संसद मांय राजस्थानी खातर एक सुर मांय आवाज उठाई। पण अफसोस कै दिल्ली सरकार कानां मांय तेल घाल्यां बैठी है। दिल्ली बहरी है ओ तो बेरो हो, पण पाट भी मिलर्या है, आ कुण जाणै हो! जे दिल्ली सरकार इत्ता ई खु़डका सुणनै अर चटका देखण री शौकीन है तो ताऊ शेखावाटी रै सबदां मांय म्हारो हेलो सुणले- 'धोरां री धरती सूं अब लावो फूटण आळो है।'
तारीख- १२/४/२००९
22 अगस्त, 1972 नै जलम्या भंवरलाल महरिया 'भंवरियो' अगुणो जोहड़ो ढाकाळी, पोस्ट-नबीपुरा तहसील फतेहपुर शेखावाटी, जिला-सीकर रा मूल रैवासी। राजस्थानी रा समरथ लिखारा अर रंगकर्मी। कई टेलीफिलमां मांय भी अभिनय। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति रा सीकर जिला पाटवी।
-भंवरलाल महरिया 'भंवरियो'
रूस रा एक नामी रचनाकार- रसूल हमजातोव। बां री पोथी 'मेरा दागिस्तान' मांय दोय लुगायां री राड़ रो जिक्र आवै। एक जणी दूजी नै दुरासीस देवै- 'खुदा करै तेरी औलाद, तेरी जबान भूल ज्यावै।' आपरै दुसमण री इणसूं बुरी चींतै भी काँईं कै उणरा जाया जलम्या, उण जबान नै भूल ज्यावै जिकी खातर ज्यान कुरबान करीजै। ठा कोनी उण लुगाई नै आ बद्दुआ लागी या न लागी, पण के बेरो राजस्थान नै ओ सराप किणरो लागग्यो? आज राजस्थान रो वासिंदो हिंदी-अंग्रेजी फर्राटै सूं बोलै, बाँचै अर लिखै, जकी तो चोखी बात, पण आपरी मायड़भाषा मांय दोय ओळी मांडतां बारा बज ज्यावै। जिको कोई थोड़ी-भोत जाणै बो महाराणा प्रताप री हुंकार अर भगत सिरोमणी मीरां बाई री बाणी बोलतां सरमावै। अर जे कोई गळती सूं बोल भी ज्यावै तो उणनै लताड़ पड़ै- 'अबे कौन है ये गंवार?' क्यूं है आ दुरदसा? संसार रै सै सूं बड़ै लोकतांत्रिक देस मांय लोकतंत्र री इत्ती ठाडी बेइज्जती! दस करोड़ राजस्थानियां री भावनावां पर कुठाराघात!! एक जूनी अर सिमरिध भाषा रो भूंडो मजाक!!!2 फरवरी 1910 नै एसियाटिक सोसायटी नै सम्बोधित करता थकां बंगाली बाबू सर आशुतोष मुखर्जी राजस्थानी री कीरत बखाणी। डॉ. लुइजेपियो तैस्सीतोरी तो इणनै आपरी मायड़भाषा इतालवी सूं भी मोभी मानी अर राजस्थानी माटी मांय दफन हुया। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर इणरी कीं बानगी सुण'र बोल्या कै रवीन्द्र 'गीतांजळी' लिख सकै पण डिंगळ रा दूहा नईं। हळदीघाटी रो वातावरण कठै अर बिना वातावरण कवि नै प्रेरणा कठै सूं मिलै? इस्सी मोत्यांमूंघी मायड़भाषा नै मान दिराणै खातर मंडावा रा सेठ रामदेव चोखाणी अर सांवतसर रा ठा. रामसिंह तंवर सरीखा दिनाजपुर (अबार बांगलादेस) मांय सन् 1938 में अखिल भारतीय राजस्थानी सम्मेलन तेवड़्यो। पं. रामकर्ण आसोपा अर उदयराज उज्जळ भी घणा पच्या। विजयसिंह पथिक अर नानक भील नै साथै लेय'र पं. जयनारायण व्यास भी पाळो मांड्यो। बै पं. नेहरू नै राजस्थानी री जाण कराणै खातर 'आ किताबड़ी' नांव सूं पोथी लिख भेजी। पण दिनकरजी हिन्दी रै विकास खातर राजस्थान सूं 15 बरस मांग्या तो व्यासजी उदारता रो परिचै दियो। कुण जाणै हो कै आ उदारता ई एक दिन उपहास अर अणदेखी रो नतीजो बणैगी। राजस्थान रो विधायक विधानसभा मांय आपरी मायड़भाषा मांय शपथ नीं ले सकैगो अर पढेसरी पोसाळ में मायड़भाषा बोलैगो तो सजा रो हकदार बणैगो। इणी पीड़ा सूं छटपटावता बीकानेर नरेश कर्नल करणीसिंह राजस्थानी खातर विड्रो ल्याया तो इंदिराजी थ्यावस रो थुथकारो नांख'र विड्रो ओठो करा लियो। पं. गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद', पूनमचंद विश्नोई, सीताराम लालस, रावत सारस्वत, पं. मुरलीधर व्यास जियांळका राजस्थानी खातर आपरी जिंदगी गाळ दी। पण बेरहम दिल्ली रो दिल कद पसीज्यो। आखिर मायड़ रा लाडेसर बड़ी चौपड़ सूं लेय'र वोट लब ताईं धरणो दियो अर मान्यता रो रोळो मचायो तो दिल्ली दरबार ऐलान करियो कै पैली राज्य सरकार सूं प्रस्ताव पारित करवा'र ल्यावो। 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत विधानसभा मांय राजस्थानी री मान्यता रो प्रस्ताव राख्यो तो दो विधायक ओठा सरकग्या अर शेखावत सा'ब प्रस्ताव बहुमत सूं न कर'र सर्वसम्मति रै चक्कर में मात खायग्या। 25 अगस्त, 2003 नै गहलोत सरकार ओ काम भी कर दियो अर सीताकान्त महापात्र समिति इणरी अनुशंषा कर दी। 24 दिसंबर, 2003 नै केन्द्र सरकार डोगरी, संथाली, मैथिली अर बोडो भाषा नै तो मान्यता दे दी अर राजस्थानी रै नांव पर ठोसो! क्यूं म्हे कुणसी मोरड़ी रै भाटो मार्यो?
२००४ रै लोकसभा चुनाव री वेळा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जोधपुर मांय राजस्थानी नै संवैधानिक मान्यता रो आश्वासन दियो जिको आज पूरो करै! सताजोग सूं भैरोंसिंहजी उपराष्ट्रपति बण्या पण मायड़ नै मान्यता नीं दिलवा सक्या। 15 दिसंबर, 2006 नै अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी सम्मेलन रै समापन मौकै तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटील कैयो कै राजस्थानी भाषा रा सबद मंतर बरोबर है, इणनै मान्यता दिलाणो आपणो पैलो फर्ज है। आज आप राष्ट्रपति पद माथै बिराजै। ब्रिटेन रा पूर्व उपायुक्त लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया अर कथाकार यादवेंद्र शर्मा 'चन्द्र' जिस्या कित्ता ई मायड़ रा हेताळु मान्यता री हूंस लियां-लियां सुरग सिधारग्या। चंद्रप्रकाश देवळ जियांळका कैय रिया है- 'राजस्थानी भाषा री मान्यता बिना म्हारी जिंदगी, जिंदगी कोनी अर मरग्या तो गति-मुगती कोनी!' पण नेतावां नै आपां ओळमो भी काँईं देवां? भागीरथ मेघवाळ मुजब- 'बां रै गळै मांय पारटी रो पट्टो घलर्यो है।' पछै भी लखदाद राजस्थानी सांसदां नै जिका अबार संसद मांय राजस्थानी खातर एक सुर मांय आवाज उठाई। पण अफसोस कै दिल्ली सरकार कानां मांय तेल घाल्यां बैठी है। दिल्ली बहरी है ओ तो बेरो हो, पण पाट भी मिलर्या है, आ कुण जाणै हो! जे दिल्ली सरकार इत्ता ई खु़डका सुणनै अर चटका देखण री शौकीन है तो ताऊ शेखावाटी रै सबदां मांय म्हारो हेलो सुणले- 'धोरां री धरती सूं अब लावो फूटण आळो है।'
आज रो औखांणो
जिण आंगळी रै लागै, उणरै ई पीड़
जिस व्यक्ति को दुख हो, उसकी वेदना वही समझता है।
जिण आंगळी रै लागै, उणरै ई पीड़
जिस व्यक्ति को दुख हो, उसकी वेदना वही समझता है।
भंवरलालजी सा, घणौ घणौ मुजरौ सा.
ReplyDeleteआप बात घणी चोखी मांडी है सा. भारत मांय विलय रै पछै राजस्थान नै हर जगा निचै माथौ करणौ पड़ रह्यौ है. आज राजस्थांन री नूंवी पीढी लिखणी तौ दुर री बात है, राजस्थानी बोल ईं कोनी सकै है.
जकौ कोई बोले है, वै अगर एक जिल्ला सूं दूजै जिल्ला मांय जाय तौ बोलै आ राजस्थानी तौ दूजी है अर हिंदी मांय बात करै.
मान्यता नीं मिलण सूं राजस्थांनी रा सबद कोश मांय हिंदी सबदां री भरमार हुवती जाय रह्यी है.
आज भारत सरकार सामै भीख मांगण री कोई जरुरत कोनीं. आपां राजस्थांनी भारत सरकार नै देवौ हौ, अर बदळी मांय भारत आपां नै कांई देवै है ??? हरि रा नांव ....!
सीमा उपर मरवा वाळा फक्त अर फक्त राजस्थांनी निजर आवै, देश रै आर्थीक विकास मांय राजस्थांनीयां रौ घणौ मोटो जोगदान है. अर इण री बदळी मांय औ दिल्ली दरबार आपां नै आपणै राजस्थांन मांय इज राजस्थांनी बोलण सूं रौकै है. एड़ौ जुलम तौ मुगलां अर अंग्रेजां रै टाईम इ नीं हुयौ. मुगल बादशाह जद राजपुतानै रै कोई राजा नै कागद लिखता हा तौ वै राजस्थांनी भासा रौ प्रयोग करता हा अर जद राजस्थान रौ कोइ राजा मुगलां नै कागद लिखतौ तौ ई भासा राजस्थांनी हुवती.
अंगरेजा रै राज मांय ईं रजवाड़ा री राजभासा राजस्थांनी ही.
इब सगळी बात रौ सारांश अर लारला 60 बरस भारत रै सागै काढ’र औ नतीजौ निकळै कै भारत मांय राजस्थांन रौ विलय आपणी सबसूं बड़ी भुल ही, आ भारत सरकार आपणा मिनखां नै, आपणां विधायकां नै आपणै राजस्थांन मांय इज आपणी मायड़भासा राजस्थांनी नीं बोलण देवती. इण भारत सरकार रौ बस चालै तौ आ आपणै घरां मांय ईं हिंदी भासा अनिवार्य कर देवै, हाल तौ पोसाळां मांय राजस्थांनी बोलण पर जुर्मानौ लागै है.
सौ बात री एक बात, भीख मांगणी तौ करौ बंद. हक मांगौ... अर आपणौ हक नीं दे सकै तौ आजादी मांगौ.... स्वतंत्र राजस्थांन...
आपणां राजस्थांनी भाईया नै भारत सरकार री फौजां मांय जावण सूं ना पाड़ौ अर अगर देस सेवा री भावना मन मांय हुवै तौ मायड़भोम राजस्थांन री सेवा करै.
जै राजस्थांन! जै राजस्थांनी!!