Tuesday, April 14, 2009

१५ रुणक-मेळो बैसाख रो

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १५//२००९

रुणक-मेळो बैसाख रो

-सुलतानराम, गोविंदसर

पणै कैबा चालै कै तीज तिंवारां बावड़ी ले डूबी गणगौर। सावण री तीज सूं गणगौर तक मौकळा तिंवार। गणगौर पछै तिंवार नीं आवै। पण सावळ निजर पसारां तो बैसाख म्हींनै में भी तिंवारां री रैण-गैण सांतरी। इण म्हींनै री एक-एक तिथ परब। सगळै धरमां रा तिंवार इण म्हींनै।
महात्मा ईसा रै बळिदान रो दिन 'गुड फाइडे' अर पछै वां रै जींवता होवण रो दिन 'ईस्टर परब'। तेरह अप्रेल नै बैसाखी। इण दिन सूरज मेष राशि में प्रवेस करै। पंजाबी अर राजस्थानी ईं परब नै भेळा मनावै। संस्कृति सींव नीं मानै। भंगड़ा अर गिद्दा रा सांवठा सुर गिगनार सूं भी ऊंचा जावै। 'ओ जट्टा आई बैसाखी' रै सैलाब में सिक्ख भाइयां री रंग-बिरंगी पगड़ियां तो दीसै ई दीसै, राजस्थानी भाइयां रा मोड़दार-पेचदार साफा ई सुरंगा लागै। भेळप, सैंणप अर भाईचारै री आ एक मिसाल। इणी दिन कणकां में दांती घालीजै। कटाई सरू होवै। जीवण में मध्यम मारग रो सनेसो देवणिया महात्मा बुद्ध रो जलम बैसाख पुन्यूं नै होयो। इण दिन नै बुद्ध पूर्णिमा भी कैवै। बौद्ध धरम में इण परब री घणी मानता।
बैसाख सुदी तीज नै आखातीज। विनायक चतुर्थी अर शीतलाष्टमी भी बैसाख में। सूरदास जयंती, गुरू अर्जुनदेव जयंती, नरसिंह जयंती, भगवान परसुराम जयंती अर बंगाली भायलां री चानण छठ भी इण म्हींनै में ई आवै। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जयंती, मोतीलाल नेहरू जयंती, रवींद्र नाथ टैगोर जयंती भी इणी म्हींनै। इण तरियां बैसाख रो म्हींनो घणा परब-तिंवार ल्यावै। जिण म्हींनै इतरा परब-उच्छब, उण म्हींनै में परिवार रो कोई प्राणी जे घरां नीं हुवै तो उच्छब फीको। एक तो मौसम फीको। ऊपर सूं अंतस रो बळेवो। आकरो तावड़ो। बळबळती लूवां अर बाळू रेत रा बगुळिया काया रा कोयला करै। कवि चंद्रसिंह बिरकाळी आपरी काव्यकृति 'लू' में लूवां नै कैवै-

बाळपणै बैसाख में, तातो इसड़ो ताव।
पूरै जोबन जेठ में, लूवां किसो उपाव।।

हे लूवो, बैसाख में तो थारो बाळपणो है। बाळपणै में ई थे इतरी आकरी हो, तो जद जेठ म्हींनै में थे पूरै जोबन पर हुस्यो तो म्हे बचाव रा कुणसा उपाव करस्यां? फसल कटाई रै पछै सूनां खोड़ भभाका मारै। इस्यै में पिव नै परदेसां व्हीर करती नार रै मन रो काचो टंवरो हर्यो किंयां रैवै!

पिव बैसाखां हालिया, सैणां सीख करेह।
ऊभी झूरै गोरड़ी, डब-डब नैण भरेह।।

आज रो औखांणो

पिव टाळ किसा तिंवार?

पिया के बिना कैसा त्योहार?


No comments:

Post a Comment

आपरा विचार अठै मांडो सा.

आप लोगां नै दैनिक भास्कर रो कॉलम आपणी भासा आपणी बात किण भांत लाग्यो?