Wednesday, April 15, 2009

१६ नित उठ सुरंगी लागै,मोचड़ी हरे राम

आपणी भासा-आपणी बात
तारीख- १६//२००९
नित उठ सुरंगी लागै,

मोचड़ी हरे राम


पां गीतां रै मामलै में मालामाल। बार-तिंवार, रिस्ता-नातां, रस्म-रिवाज अर मिनख री हरेक मनगत रा गीत। ईं सूकी धरती नै सदियां सूं गीतां ई गळगच राखी। कदी खुसियां में कोर गीली तो कदी दुख में जीवण रो संदेस। रूंखां बिहुणी इण धरा पर हरमेस दया-धरम रो बिरवो रोप्यो। ऐ घणमोला गीत आंगण-आंगण, कंठां-कंठां आठूं पो'र गूंजै। आं री ताकत रो कांईं बखाण करां। एक लोकगीत री हजार नूंवीं कवितावां होड नीं करै। आपणा संस्कार, संस्कृति अर परम्परावां लोकगीतां रै मोढै चढ जुगां-जुगां सूं जातरा करै। प्रेम-प्रीत रा गीत सिरै। आज म्हारी मां ओ लोक भजन सुणायो। आप ई आपरा दादी, नानी, काकी, ताई सूं ऐड़ा गीत अर भजन सुणता हुवोला। ईं भजन में राधा अर किरसन रो सरस संवाद। राधा सांवरै नै सिर रो से'वरो मानै। पण सांवरो तो रसीली रिगल में से'वरै सूं मोचड़ी नै सुरंगी साबित करै। किरसन नै पून घालती राधा नै किरसन रो सांवळो अर खुद रो गोरो उणियारो चेतै आवै। हाथ सूं पंखो छूटै। किरसन बूझै कै राधा, नींद रो टिल्लो आयग्यो का मावड़ री याद? राधा दोनूं बातां सूं इनकार करै पण एक रिगल सरकावै- किरसन नै सांवळो बतावै। किरसन कैवै, थूं सिसपालै रै साथ होयले। सिसपालो कुळ में फूटरो। जवाब में राधा कैवै- प्यारा किरसन, थे तो म्हारै माथै रा मौड़ हो अर वो सिसपाल तो म्हारै पगां री जूती रै उनमान। किरसन भळै मसखरी करै कै माथै रो मौड़ तो बार-तिंवार सुरंगो लागै। पण जूती तो नित री धारण करीजै अर नित री सुरंगी लागै। किरसन री इण मखौल सूं राधा लचकाणी पड़ जावै अर आपरी सखियां नै सीख सुणावै कै मत करियो कोई पति संग हाँसी। म्हारै साथै हाँसी में खांसी हुयी।

राधा तो गोरी किरसन सांवळो हरे राम
घालै राधा प्यारी, पंखलियै सूं पून
ढुळती-ढुलांवती नै आग्यो उणियार
हाथ में सूं छूटग्यो, राधा रो बीजणो हरे राम
राधा तो गोरी....
के राधा प्यारी थानै, आगी घुळ नींद
के चित्त आयी थारी, मावड़ी हरे राम
ना ओ किरसन आई घुळ नींद
ना चित्त आई म्हानै मावड़ी हरे राम
राधा तो गोरी...
होले ए राधा प्यारी, सिसपालै रै साथ
सिसपालो कुळ में फूटरो हरे राम
थे हो किरसन म्हारै माथईयै रा मौड़
सिसपालो पग री मोचड़ी हरे राम
राधा तो गोरी...
बार-तिंवार सुरंगो माथईयै रो मौड़
नित उठ सुरंगी लागै मोचड़ी हरे राम
राधा तो गोरी...
कोई ना करियो ए बहणो पति संग हाँसी
हाँसी में खांसी हो गई हरे राम
राधा तो गोरी...

आज रो औखांणो

जग जीतणो सोरो पण मन जीतणो दोरो।

जग जीतना आसान पर मन जीतना मुश्किल।
प्रस्तुति- सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी

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