Monday, April 27, 2009

२८ कोरियै घड़ै रो पाणी

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख-२८//२००९

कोरियै घड़ै रो पाणी

राजस्थानी रा लूंठा कवि श्री चंद्रसिंह बिरकाळी बातड़ल्यां सिरैनांव सूं छोटी-छोटी कहाणियां भी मांडी। आज बांचो, बातड़ल्यां री एक बानगी।

-चंद्रसिंह बिरकाळी

कोरियै घड़ै रो पाणी मा! जीभ सूकै- रामू बोल्यो। रामू किसनै खाती रो मोभी बेटो। मा रो लाडेसर। घर रो चानणो। साथी संगळियां रै मन-लागतो। ऊमर कोई पंदरा-सोळा साल। गांव में फूटरां में गिणीजै। गोरो छड़छड़ीलो। बड़ी-बड़ी आंख। आज तीन दिन सूं सुनपात में।
माचै रै पगाथियां उण री मा उण रै मुंह सामीं जोवै। काळजो मुंह नै आवै। इतरै में रामू फेर बैलण लाग्यो। दोनूं हाथ थाम उणनैं जगायो। थोड़ी देर बाद पाणी मांग्यो। रूवै उंदावड़ै में सूं बाटकी पाणी घाल उण रै होठां लगाई। पाणी सूं मूं भर कुरळो कर पाछो थूकतां बोल्यो- कोरियै घड़ै रो पाणी मा! बेटा, ओ ही आछो, गुटकां-गुटकां पी। सुणी-अणसुणी कर रामू फेर आंख मींचली।
थोड़ी देर में, काको कठै मा! गायां खेत भेळ दियो होसी। पेमै नैं मारसूं। जोड़ै में नहा'र आसूं। पाछो बैलण लाग्यो।
रामू रो काको बैद लेय'र ने़डलै सहर सूं पाछो बावड़्यो नहीं। गांव रा स्याणा आप आपरी बुध सारू लूंग, दाळ-चीणी, जावतरी दे धाप्या। कोई ऊपरलो बतावै तो कोई कहै टाबर रै निजर लागगी। लोग आवै अर देख जावै। माचै रै सारै बैठी मा मावड़ियांजी नै मनावै। खेतरपाळ नै धोकै। रामदेवजी रै देवरै री पगां जात बोलै। माताजी रा आखा दिखावै। इतरै में फेर रामू कोरियै घड़ै रो पाणी मांग्यो- मा, मैं मर्यो। मा री आंख्यां में चोसरा चालै। बाटकी होठां रै लगा'र कैवै- लै बेटा। पाणी पाछो थूकै। कोरियै घड़ै रो पाणी मा, कह'र पाछो माची पर पड़ै अर आंख्यां मीचै।
बापड़ी मा करै तो के करै। सारा देई-देवता मना धापी। स्याणा झाड़ा दे धाप्या। बैद आयो नहीं। हे सांवरिया, थारो सरणो। छिणेक मा री आंख लागी। रामू री आंख खुली। दूर कोरियो घड़ो दीखै- फुरती कर, डब-डब लोटो भर, गट-गट पी, माचै पर आ सूत्यो। जोर सूं बैलण लाग्यो। मा जागी। सामैं देखै तो रामू चुप। हाथ लगायो। डील ठंडो टीप। धाड़ मार मा भी उण पर पड़ी। थोड़ी देर में वा भी ठंडी टीप!

आज बांचो राजेराम बैनीवाळ रो एक दूहो

साढ-सावण गी गरमी में, दुख पावै है जीव।
कोरै घड़ै गै पाणी स्यूं, नीचो लागै घीव।।

आसाढ़-सावण री गरमी में उमस हुवै अर गरमी रो काम ई बेजां। इण वेळा कोरै घड़ै रै पाणी रो मोल मतलब महत्तब बढ़ जावै।

2 comments:

  1. birkaly ji ro korio ghre ro pani alekh bhot sontro lagyo mokly badhai
    mukesh kumar ranga
    mahajan
    9928585425

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  2. Bhai,
    SATYANARYAN, VIOND
    Ram-Ram sa
    Chander singh Birkali ri chotti si khani Koriyo Gherye ro pani vanchi.mermsprsi khani hi
    NARESH MEHAN

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