आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- ११/४/२००९
राबड़ी री रुत जाबक लोवै। आखातीज सूं राबड़ी रंधणी सरू होवै। राबड़ी रो नांव लेवतां ईं काळजै में ठंड-सी बापरै। राबड़ी अठै तीन भांत री बणै। एक आटा'ळी, दूजी खाटा'ळी तो तीजी कूटे़डी। तीनवां री न्यारी-न्यारी रुत अर बणावण री अटकळ ई न्यारी-न्यारी। सियाळै में आटा'ळी राब रंधै। बूढां सूं लेय'र टाबरां तक सगळां री थाळी में राबड़ी रो राज। पेट में राबड़ी रो बासो। ठाट ई ठाट। बाजरी रै आटै में सुवाद सारू लूण मिला'र ल्हासी में अळूरीजै या भेळीजै। ईं घोळ नै हांडकी में घाल चूल्है पर मंदै-मंदै आंच सूं रांधीजै। डोई फेरीजै। पछै ठारो अर खाओ, ताती-ताती राब। ईं में बाजरी री रोटी चूरगे खायां स्यांत आ जावै।
उन्हाळै री राबड़ी उबटाईज'र बणाईजै। आ होवै खाटा'ळी राबड़ी। बाजरी अर मोठ रो आटो ल्हासी में मिला'र कुल्हड़ती में घाल'र तावड़ै मेलीजै। जद चोखै तावड़ै सूं ओ खाटो उबटज्यै तो ईं री राब रंधै। आथण बगत-सी हांडी में पाणी चूल्है चढै। जद पाणी उकळज्यै तो उबटे़डो खाटो हांडी में घलै। अर मधरी-मधरी आंच सूं सिजाइजै। दिनगै ईं नै कोरी हांडकी में घाल छींया में छोडीजै। आ राबड़ी दही, ल्हासी रै साथै दुपारै तक बरतीजै। जे ईं में जीरो अर प्याज और मिला लेवै तो ईं रस सूं मोटो दूजो रस नीं। गरमी री बैरण। जिकै रै पेट में रैवै आ राब। बो सगळै दिन बण्यो रै'वै सा'ब। तावड़ो अर लू लोवै ई कोनी लागै। ऊंटां नै तावड़ो लागै तो राबड़ी रामबाण।
कूटे़डी राबड़ी बारामासी रंधै। दिनगै दही तो आथण दूध सागै घणी सुवाद लागै। ईं नै बणावण सारू बाजरी भेवणी पड़ै। जद बाजरी आछी तरियां भीज ज्यावै तो थोड़ी ताळ सुखा'र ऊंखळी में मूसळ सूं नान्ही कूटीजै। पछै हांडी में ल्हासी घाल हारै में टेकै। जद ल्हासी नूं'न्याई होज्यै तो भेळीजै। पूरी आंच सूं हांडी में खदबद-खदबद रो एक संगीत सगळां रै कानां गूंजण लागै तो भूख पेट में घूमर घालै।
टोकसी या नारळी राबड़ी नै हांडी सूं बरतण में घालण रो संज। पण आजकाल नारळी री जिग्यां राबड़ी में स्टील रा बरतण ई तिरता दिखै। राबड़ी रा गुण गिणावां तो किता'क! निरोग काया रो देसी नुस्खो। ओ फगत पेय पदारथ ई कोनी, गरमी रो खाजो भी। जे बळती में पैंडो काटणो होवै तो आ पैंडो सो'रो करै अर तावड़ै-लू सूं बचावै। राबड़ी रो कोई विकल्प कोनी। मतलब ईं री भोळ कोई दूजी चीज को भान सकै नीं। कोकाकोला पाणी भरै राबड़ी आगै। गरमी री रुत में जे मनवार राबड़ी सूं ना होवै तो बो घर कोई घर कोनी बजै। बो गाम कोई गाम कोनी बजै। राबड़ी पीयां पछै नींद रा झोला लाख-लाख रा लागै। जे किणी नै नींद ना आवै तो बो राबड़ी रो सेवन करो, जगायो जाग जावै तो पोल है! राबड़ी पियोड़े आदमी भाऊं सिराणै ढोल बाजो। यानी मस्ती रो दूजो नांव है राबड़ी।
तारीख- ११/४/२००९
आवै चोखी नींदड़ली,
वाह राबड़ी वाह!
-मोहम्मद अमीन छिम्पा
वाह राबड़ी वाह!
-मोहम्मद अमीन छिम्पा
राबड़ी री रुत जाबक लोवै। आखातीज सूं राबड़ी रंधणी सरू होवै। राबड़ी रो नांव लेवतां ईं काळजै में ठंड-सी बापरै। राबड़ी अठै तीन भांत री बणै। एक आटा'ळी, दूजी खाटा'ळी तो तीजी कूटे़डी। तीनवां री न्यारी-न्यारी रुत अर बणावण री अटकळ ई न्यारी-न्यारी। सियाळै में आटा'ळी राब रंधै। बूढां सूं लेय'र टाबरां तक सगळां री थाळी में राबड़ी रो राज। पेट में राबड़ी रो बासो। ठाट ई ठाट। बाजरी रै आटै में सुवाद सारू लूण मिला'र ल्हासी में अळूरीजै या भेळीजै। ईं घोळ नै हांडकी में घाल चूल्है पर मंदै-मंदै आंच सूं रांधीजै। डोई फेरीजै। पछै ठारो अर खाओ, ताती-ताती राब। ईं में बाजरी री रोटी चूरगे खायां स्यांत आ जावै।
उन्हाळै री राबड़ी उबटाईज'र बणाईजै। आ होवै खाटा'ळी राबड़ी। बाजरी अर मोठ रो आटो ल्हासी में मिला'र कुल्हड़ती में घाल'र तावड़ै मेलीजै। जद चोखै तावड़ै सूं ओ खाटो उबटज्यै तो ईं री राब रंधै। आथण बगत-सी हांडी में पाणी चूल्है चढै। जद पाणी उकळज्यै तो उबटे़डो खाटो हांडी में घलै। अर मधरी-मधरी आंच सूं सिजाइजै। दिनगै ईं नै कोरी हांडकी में घाल छींया में छोडीजै। आ राबड़ी दही, ल्हासी रै साथै दुपारै तक बरतीजै। जे ईं में जीरो अर प्याज और मिला लेवै तो ईं रस सूं मोटो दूजो रस नीं। गरमी री बैरण। जिकै रै पेट में रैवै आ राब। बो सगळै दिन बण्यो रै'वै सा'ब। तावड़ो अर लू लोवै ई कोनी लागै। ऊंटां नै तावड़ो लागै तो राबड़ी रामबाण।
कूटे़डी राबड़ी बारामासी रंधै। दिनगै दही तो आथण दूध सागै घणी सुवाद लागै। ईं नै बणावण सारू बाजरी भेवणी पड़ै। जद बाजरी आछी तरियां भीज ज्यावै तो थोड़ी ताळ सुखा'र ऊंखळी में मूसळ सूं नान्ही कूटीजै। पछै हांडी में ल्हासी घाल हारै में टेकै। जद ल्हासी नूं'न्याई होज्यै तो भेळीजै। पूरी आंच सूं हांडी में खदबद-खदबद रो एक संगीत सगळां रै कानां गूंजण लागै तो भूख पेट में घूमर घालै।
टोकसी या नारळी राबड़ी नै हांडी सूं बरतण में घालण रो संज। पण आजकाल नारळी री जिग्यां राबड़ी में स्टील रा बरतण ई तिरता दिखै। राबड़ी रा गुण गिणावां तो किता'क! निरोग काया रो देसी नुस्खो। ओ फगत पेय पदारथ ई कोनी, गरमी रो खाजो भी। जे बळती में पैंडो काटणो होवै तो आ पैंडो सो'रो करै अर तावड़ै-लू सूं बचावै। राबड़ी रो कोई विकल्प कोनी। मतलब ईं री भोळ कोई दूजी चीज को भान सकै नीं। कोकाकोला पाणी भरै राबड़ी आगै। गरमी री रुत में जे मनवार राबड़ी सूं ना होवै तो बो घर कोई घर कोनी बजै। बो गाम कोई गाम कोनी बजै। राबड़ी पीयां पछै नींद रा झोला लाख-लाख रा लागै। जे किणी नै नींद ना आवै तो बो राबड़ी रो सेवन करो, जगायो जाग जावै तो पोल है! राबड़ी पियोड़े आदमी भाऊं सिराणै ढोल बाजो। यानी मस्ती रो दूजो नांव है राबड़ी।
भरो राबड़ी नारळी, घालो ईं में छाह।
आवै चोखी नींदड़ली, वाह राबड़ी वाह!
राबड़ी समता रै भाव सूं सगळां नै सीतळ करै। पण राबड़ी री ईं उदारता रै कारण आपां बीं रै बोली रा डाम लगा'र घणी बेकदरी करां। राबड़ी री बेकदरी करण में घणी कहावतां आपां घड़ी। सराही राबड़ी दांतां लागै। राबड़ी कैवै म्हनै ई मैंडै नीचै रांधो। राबड़ी कैवै म्हनै ई घी घालो। जिकी रोज आपणी हांडी रो बारणो रोक्यो अर पेट रा भरणा भर्या। बीं नै आपां खूब बिसराई। पण राबड़ी तो एक साचै संत री भांत आपणी सेवा में आज ई हाजर है।आवै चोखी नींदड़ली, वाह राबड़ी वाह!
आज रो औखांणो
राबड़ी कैवै म्हनै दांतां सूं चाबो।
जब कोई अयोग्य व्यक्ति छोटे मुंह बड़ी बात बनाए तब यह कहावत कही जाती है।
राबड़ी कैवै म्हनै दांतां सूं चाबो।
जब कोई अयोग्य व्यक्ति छोटे मुंह बड़ी बात बनाए तब यह कहावत कही जाती है।
आमीन जी ओ आज थे गळत काम कर्यो है आज थे राबङी चेत करादी मनै तो आज ई गांव गी टीगट बणावणी पङसी,टीकट न मीली तो जनरल मं जाणो पङसी
ReplyDeleteभाई संतोष जी,
ReplyDeleteमायड़भोम सारू आपरो हेत देख'र हरख हुयो. राबड़ी म्हारै अठै जोरदार बनै है सा. हनुमानगढ़ जिला रो परलीका गाँव है म्हारो. हरियाणा री सींव लागे है म्हारै.
हरियाणा रा लोग राबड़ी नै राजस्थानी बियर रै नाम सूँ जानै है. पधारो सा. मुंबई में आप काईं कर रेया हो? पूरा समाचार लिखज्यो सा. इण ब्लॉग रो ठिकानो दूजा प्रवासी भाई-भैना ने भी बताओ सा.
-सत्यनारायण सोनी- 09602412124
गुरुजी सत्यनारायण जी,
ReplyDeleteमायड़भोम मनै घणी चोखी लागे ईण सारू मं दिनमें एकर गुगल अर्थ पर गांव(सांडवा जीलो चुरु) री फोटु जरुर देखुं हुं ।
अर दुजी बात मं मुंबई (फोर्ट) में टाईम पास करु हुं एक पराईभेट कंपनी मं।
ब्लॉग रे ठिकाणो तो मनै मुंबई में मील्यो जके प्रवासी भाई-भैना ने बतायो अर बारला न कईया ने मेल करके भी बतायो,अर आगे भी बताउंतो रेवुला
जै राजस्थान
-संतोष पारीक
+919324010341