१/४/२००९
महारिखी कात्यायन री
लाडकंवरी कात्यायनी
आज छठो नोरतो। दुरगा रै कात्यायनी सरूप रै निमत। माता कात्यायनी महारिखी कात्यायन रै घरां लाडकंवरी रूप जाई। इणी कारण नांव थरपीज्यो कात्यायनी। महारिखी कात्यायन दुरगाजी री ध्यावना करी। जप-तप कर्यो। इणी रै पेटै कात्यायनी आसोज रै अंधार पख री चवदस नै उणां रै घरां जलम लियो। जलम रै बाद आसोज रै चानण पख री सात्यूं , आठ्यूं अर नौम्यूं नै महारिखी री पूजा सीकारी। दसमी नै भैंसासुर नै सुरगां रै गैलां घाल्यो। इण रो बखाण लक्ष्मणदान कविया आपरी दुरगा सतसई में इण भांत करियो-लाडकंवरी कात्यायनी
उछळी देवी कैय आ, चढी दैत रै माथ।
दबा परौ पग भार सूं, सूर वार कंठाथ।।
पगां भार दाबियौ थकौ, मुखां निकळ नव भाव।
ठमग्यौ आधौ निकळ नै, देवी तणै प्रभाव।।
अरध निकळियौ जुध करै, देवी सूं म्हादैत।
बडखग सूं सिर काटियौ, देव भलाई हेत।।
सेन मझां मचियौ जबर, असुरां हाहाकार।
सेना सगळी भाजगी, देवां हरख अपार।।
माता कात्यायनी रो सरूप सोवणौ अनै मनमोवणौ। आं रै च्यार हाथ। जीवणै पसवाड़ै रै एक हाथ में खड़ग। दूजै में पोयण(कमल) रो पुहुप। सिंघ आपरी सुवारी। सिर माथै पळपळाट करतो सौनै रो मुगट सौभा बधावै। कात्यायनी माता व्रजमंडळ री अधिष्ठात्री बी बजै। आं री पूजा छठै दिन करीजै। इण दिन माताजी नै पुहुप अर पुहुप-माळा भेंटीजै। ध्यावणियां नै माताजी इंछा फळ देवै। भगतां रा दुख-दाळद मेटै। साधक नै अर्थ, धर्म, काम, मोख सगळा भेळै ई सौरफ सूं मिलै। आज रै दिन ध्यावना करणियै रो मन आज्ञा चक्र में थिर रैवै। जोग साधना में आज्ञा चक्र री ठावी ठोड़ अणूती मैमा। इण चक्र में थिर मन रो भगत माता जी रै चरणां में सो कीं निछरावळ कर देवै। भगत नै पड़तख माताजी रा दरसण होवै। आं नै ध्यावणिया इण लोक में रैवतां थकां आलोकिक तेज राखै।दबा परौ पग भार सूं, सूर वार कंठाथ।।
पगां भार दाबियौ थकौ, मुखां निकळ नव भाव।
ठमग्यौ आधौ निकळ नै, देवी तणै प्रभाव।।
अरध निकळियौ जुध करै, देवी सूं म्हादैत।
बडखग सूं सिर काटियौ, देव भलाई हेत।।
सेन मझां मचियौ जबर, असुरां हाहाकार।
सेना सगळी भाजगी, देवां हरख अपार।।
जमनाजी रो जलम दिन
आज जमनाजी रो जलम दिन भी है। यमुना जंयती। सूरज भगवान रै घरां आज रै ई दिन जमनाजी जलम्या। आज नोरतै रै साथै-साथै जमनाजी री भी पूजा होवै। लुगायां जमनाजी री कथा सुणै। सूरज महातपी। प्रजापति विश्वकरमा सुरजी नै आपरी बेटी संज्ञा रै वर लायक मान्यो। संज्ञा रो ब्यांव सुरजी साथै कर दियो। संज्ञा रै तीन औळाद होई। दो छोरा अर एक छोरी। छोरां रा नांव मनु अर यम। छोरी रो नांव यमुना। आपणी भाषा में कैवां जमना। जमनाजी भी तपी-जपी। भगतां रा दुख-दाळद मेटै। पाप मुगत करै। जको जमनांजी में न्हावै। ध्यावै। उण नै जमनाजी रा भाई जमराज नीं संतावै।
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