दैनिक भास्कर के अनुरोध पर पाठकों के लिए ओम पुरोहित कागद ने देवी आराधना की यह विशेष लेखमाला लिखी, जिसका आओ म्हारै कंठां बसो भवानी लेख के साथ समापन कर रहे हैं। लेखक श्री कागद राजस्थानी शिक्षा विभाग में चित्रकला अध्यापक हैं और वर्तमान में जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ के जिला समन्वयक हैं। पाठकों ने इन लेखों को खूब पसंद भी किया। उनकी सुविधा के लिए लेखक का मोबाईल नंबर ९४१४३-८०५७१ और ईमेल भी दे रहे हैं ताकि पाठक उन्हें बधाई दे सकें।
आओ, म्हारै कंठां बसो भवानी
-ओम पुरोहित कागद
राजस्थान में सगत पूजा री खास परापर। अठै रै जोधावां री सगती अपरम्पार। मिंदरां में गूंजै बाणी- तरवारां री टणकार आभै ताणी। जण-कण तरवारधणी। तिरसी मरूधरा री तिरस रगत सूं मेटी। रणचंडी रण में अर दुरगा दुरग में रिछपाळ करी। इणी रै पाण आखै राजस्थान में जगजामण मा सगत भवानी रा अलेखूं थान। थानां-मिंदरा में गूंजै बाणी-
आओ, म्हारै कंठा बसो भवानी।
थे धौळा रे गढ़ री राणी।।
थे धौळा रे गढ़ री राणी।।
राजस्थान में देवी रै सगळै रूपां री ध्यावना। नोरतां में पण देबी री खास पूजा। २७ मार्च सूं ३ अप्रेल ताणी रैया नोरता। नोरतां रो बरत राखणियां आज बरत खोलसी। पूजा करणियां नै दखणा दिरीजसी। इणी रै साथै ही नोरतां री पूजा पूरीजै। आओ, जाणां राजस्थान में किण-किण ठोड किण-किण मिंदरा में होई माताजी री पूजा।
शास्त्रां में बखाणीजी मूळ देवियां। लोक-देवियां। चौफैर चावी देवियां। चारणी-देवियां। वन-देवियां, सगत-देवियां। मावड़ियांजी। चौसठ जोगणियां। नौ दुरगा, दस महाविद्यावां। सोळा मातावां। कोई नगर-गांव ऐडो नीं जठै देवी रो मिंदर नीं।
अठै महालक्ष्मी, महासरस्वती अर महाकाळी सरीखी मूळ देवियां सूं लेय'र सतियां तक रा मिंदर। शास्त्रां में बखाणीजी पार्वती, उमा, सरस्वती, लक्ष्मी, राज लक्ष्मी, गंगा, गायत्री, यमुना, महेश्वरी, वैष्णवी, ब्रह्माणी, वाराही, नारसिंही, कौमारी, काळी, चंमुडा, ऐन्द्री, शाकम्भरी, भ्रामरी, त्रिपुरा-सुदरी, भवानी, जया, विजया, शाम्भवी, वनदुर्गा, मातंगी, कराला, विमला, कमला, नारायणी, भद्रकाळी, कात्यायनी, सावित्री, भगवती, अन्न्पूर्णा, संतोषी, ईश्वरी, जयंती, धात्री, जगदम्बा, महादेवी, महामाया, गौरी, रमा, शैलपुत्री, ब्रह्माचारणी, चंद्रघंटा, महातारा, बगुलामुखी, छिन्नमस्ता, घूमावती, भुवनेश्वरी, कमला, त्रिपुरा, भेरवी, ललिता, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धि-दात्री, तकात री ध्यावना।
शास्त्रां में बखाणीजी मूळ देवियां। लोक-देवियां। चौफैर चावी देवियां। चारणी-देवियां। वन-देवियां, सगत-देवियां। मावड़ियांजी। चौसठ जोगणियां। नौ दुरगा, दस महाविद्यावां। सोळा मातावां। कोई नगर-गांव ऐडो नीं जठै देवी रो मिंदर नीं।
अठै महालक्ष्मी, महासरस्वती अर महाकाळी सरीखी मूळ देवियां सूं लेय'र सतियां तक रा मिंदर। शास्त्रां में बखाणीजी पार्वती, उमा, सरस्वती, लक्ष्मी, राज लक्ष्मी, गंगा, गायत्री, यमुना, महेश्वरी, वैष्णवी, ब्रह्माणी, वाराही, नारसिंही, कौमारी, काळी, चंमुडा, ऐन्द्री, शाकम्भरी, भ्रामरी, त्रिपुरा-सुदरी, भवानी, जया, विजया, शाम्भवी, वनदुर्गा, मातंगी, कराला, विमला, कमला, नारायणी, भद्रकाळी, कात्यायनी, सावित्री, भगवती, अन्न्पूर्णा, संतोषी, ईश्वरी, जयंती, धात्री, जगदम्बा, महादेवी, महामाया, गौरी, रमा, शैलपुत्री, ब्रह्माचारणी, चंद्रघंटा, महातारा, बगुलामुखी, छिन्नमस्ता, घूमावती, भुवनेश्वरी, कमला, त्रिपुरा, भेरवी, ललिता, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धि-दात्री, तकात री ध्यावना।
देवियां रा मिंदर ठोड-ठोड
आईमाता(बिलाड़ा), जमवाय माता(अजमेर), ऊंटा देवी(जोधपुर), खोखरी माता(तिंवरी), उष्ट्र-वाहिनी(बीकानेर), सचियाय माता(ओसियां), जीण माता, आवड़ माता(झुन्झुनू), अरबुदा, अधरदेवी, अगाई, ज्वाला देवी(आबू), शिला देवी(आमेर), लक्ष्मीनारायण मंदिर(जयपुर, बीकनेर), सास-बहू(नागदा), अंबिका माता(जगतपुरा), सामीजी नसियां(अजमेर), सावित्री(पुस्कर), काळका माता (चित्तोड़), दधिमति माता(जायल), भांवल माता(भांवल-मे़डता), सात सहेली(झालरापाटन), गंगा मंदिर(भरतपुर), शारदा देवी(पिलाणी), शाकम्भरी(शाकम्भरी), मंदोदरी माता(महेदरा-जोधपुर), त्रिपुरा सुंदरी(तलवाड़ा), भद्रकाळी(अमरपुरा थे़डी), बिरमाणी(पल्लू), मुसाणी (मोरखाणा), जाबर(उदयपुर), केला देवी(करौली), संगियां-स्वांगिया(जैसलमेर), सकराय(जयपुर), शीला देवी(झालावाड़), चाहिनी(लोद्रवा), शीतला माता(वल्लभनगर), बीज माता(देवगढ़), नरकंकाळी(बिजोळिया), मनसा, खेरतल, राजेश्वरी(भरतपुर), सूंधा(जालौर), जोबनेर, वसुंधरा, विंध्यांवासिनी, भवाळ(जोबनेर), वकेरण(भींडर), जोगण्यां(बेगूं), काळका(भींडर), आईमाता(मीठी धाम), करणी माता(देशनोक), जीण माता(सीकर), जिळाणी(बहरोड), सकराय(उदयपुरवाटी), इया माता(गावड़ी), आमजी(केलवाड़ा), आशापुरा(पोकरण), लटियाळ(लुद्रवा, फळोदी, बीकानेर), भादरिया माता(भादरियाजी), चक्रेश्वरी(जोधपुर), नागणेचियां(नागाणा), कातणियां, मेहरवाणियां(जैसलमेर), तन्नौट माता(तन्नौट), राड़द्रीजी, बायांस(सिरोही), हेमड़ेराय माता(भू-गोपा), हिंगळाज, आवड़ा, कालेडूंगर, भादरिया, पवगादरिया, नारायणी(राजगढ़), नागणेची(बीकानेर), दसविद्या मंदिर शनिशक्ति पीठ(जोधपुर), इण रै अलावा चारणी देवियां रा अलेखूं मिंदर। चारणां री आद देवी हिंगळाज देवी। हिंगळाज रो अवतार आवड़ अर आवड़ री अवतार करणी माता। चारणां रै अठै देवी रा नौ लाख साधारण अर चौरासी असाधारण अवतार होया है। हिंगळाज, बांकळ, खूबड़, आवड़, खोडियार, गुळी, अम्बा, बिरवड़ी, देवल, लाछा, लाल बाई, फूल बाई, करणी, बैचरा, बीरी, मांगळ, सैणी, नागल, कामेही, सांइंर् नेहड़ी, माल्हण, राजल, गीगाय, मोटवी, चांपल, अणदू, साबेई, शीला, देमा, इंदूकंवरी, सोनळ, आद चावी चारणी देवियां मानीजै।
राजस्थान में रावतियां, रावरियां, रावतरियां, रेवतियां सात लोक देवियां री पूजा। रावतियां में सात ऊजळी अर सात मैली। ऐ सप्तमातरका सात मातावां अर सात मावड़ियां बजै। बायांसा जोगणियां ऊपरलियां, बींझबायल्यां अर काळी डूंगरयां री गांव-गांव में ध्यावना। देवियां रै इण मिंदरां में नोरतां में जागण होवै। जोत करीजै। चरजा करीजै। शांति में सिंघाऊ चरजा। भक्ति-विपती में धाड़ाऊ चरजा। पण सुख में चरजा नीं करीजै। माताजी जियां हाल तक तूठ्यां उण सूं सवाया तूठै आपनै। जय माताजी री!
राजस्थान में रावतियां, रावरियां, रावतरियां, रेवतियां सात लोक देवियां री पूजा। रावतियां में सात ऊजळी अर सात मैली। ऐ सप्तमातरका सात मातावां अर सात मावड़ियां बजै। बायांसा जोगणियां ऊपरलियां, बींझबायल्यां अर काळी डूंगरयां री गांव-गांव में ध्यावना। देवियां रै इण मिंदरां में नोरतां में जागण होवै। जोत करीजै। चरजा करीजै। शांति में सिंघाऊ चरजा। भक्ति-विपती में धाड़ाऊ चरजा। पण सुख में चरजा नीं करीजै। माताजी जियां हाल तक तूठ्यां उण सूं सवाया तूठै आपनै। जय माताजी री!
पिरोतजी महाराज थानै आ लेख लिखबा री घणी घणी बधाई । मा री किरपा थारै उपर सदा बणी रैवे ।
ReplyDeleteपिरोतजी महाराज थानै आ लेख लिखबा री घणी घणी बधाई । मा री किरपा थारै उपर सदा बणी रैवे ।
ReplyDeletejordar lekh mandyo the pan manyata bina he sara lekh thoda fika lage .sagla mil ar hunkar bharo aur manyata saru kud pado jad ae sara lekh jordar lagsi
ReplyDeletejai rajasthani
harisiyag 9214164455
Bhai,
ReplyDeletesh Om ji
JAY MATA RI,
Tharo lakhini re karn mahy Mata ra nau din dresn ker liya.tharye lekh mai mata ri bhagti r sage-sage mahre lok jiven ra bhi drsen ho geya.
Tari e paviter lekhni kahatir sadhu-bad
NARESH MEHAN
jordar lekh mandyo hai sa...badhai
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