आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २९/४/२००९
सूरदास, डांगड़ी रा ठेगा देंवतो-देंवतो माथै में कांकरो लाग्योड़ो -सो ठैर्यो, कीं रीस में आ'र बोल्यो, ' यों, कांई चाईजै?'
'भजन-कीरतन आवै है कीं?'
'हां, आवै है?'
'तो सुणा देखां कीं?'
' यों कींरै ही बाप रो करजो है म्हारै माथै, कीं बगसीस मांगूं तो तिजूरी मत खोलै, काठी राखै।' बड़-बड़ करतो बटीजतो आगै निकळग्यो अर भजन सुणनियां भाईजी मूंढो छाछ-सो कर, गधो गम्योडो-सा आंख्यां सून में ही फाड़ता रैया। सांइंर्ना में झेंप मिटांवता बोल्या, 'आंधा ऐबी हुवै,' पण आ नहीं सोची कै, 'मैं जिसा सुजाका किसाक गधा हुवै जिकां री बोली सुण्यां ही डांग री सी लागै अगलै रै।'
सूरदास धीरै-धीरै आगै बधतो गयो। अगली गळी में भळै कणहीं भलै मिनख जीभ खोली, 'सूरदासजी, संतां पगै लागूं।'
'जियो नारायण जुगोजुग।'
पगां रै हाथ लगा'र बड़ी नरमाई सूं बोल्यो, 'जळपान करण री किरपा करस्यो कीं?'
'नहीं नारायण, प्रसाद लियोड़ो है।'
'भजन-कीरतन ही जाणता हुस्यो कीं?'
'और सूरदास ही यों हुयां हां नारायण'
'तो किरपा करस्यों कीं?'
'नहीं यों?'
'तो आवो पधारो,' डांगड़ी खींच'र ले बड़्यो घर में। बैठग्यो आसण पर, झट झोळी सूं खड़ताळ काढी अर छमाछम रै सागै ही सुर फूट्या:
देख्यो बोली रो मजो। आंधियो अर सूरदासजी अर्थ में एक ही, पण फळ में कोसां परियां। एक जूत जिमावै जिसो, दूसरो हियो हुळसावै इसो। धरती सरग-नरक इंयां हीं तो बणै, पण जीभ रै असर नै कोई समझै जद नीं?
तारीख- २९/४/२००९
आडो बोल्यां आज,
आडो आवै कुण अठै?
-अन्नाराम सुदामा
एक सूरदास नै जांवतां देख कणहीं मीठै अर मनचल्यै माई रै लाल कैयो, 'ओ, आंधिया?'आडो आवै कुण अठै?
-अन्नाराम सुदामा
सूरदास, डांगड़ी रा ठेगा देंवतो-देंवतो माथै में कांकरो लाग्योड़ो -सो ठैर्यो, कीं रीस में आ'र बोल्यो, ' यों, कांई चाईजै?'
'भजन-कीरतन आवै है कीं?'
'हां, आवै है?'
'तो सुणा देखां कीं?'
' यों कींरै ही बाप रो करजो है म्हारै माथै, कीं बगसीस मांगूं तो तिजूरी मत खोलै, काठी राखै।' बड़-बड़ करतो बटीजतो आगै निकळग्यो अर भजन सुणनियां भाईजी मूंढो छाछ-सो कर, गधो गम्योडो-सा आंख्यां सून में ही फाड़ता रैया। सांइंर्ना में झेंप मिटांवता बोल्या, 'आंधा ऐबी हुवै,' पण आ नहीं सोची कै, 'मैं जिसा सुजाका किसाक गधा हुवै जिकां री बोली सुण्यां ही डांग री सी लागै अगलै रै।'
सूरदास धीरै-धीरै आगै बधतो गयो। अगली गळी में भळै कणहीं भलै मिनख जीभ खोली, 'सूरदासजी, संतां पगै लागूं।'
'जियो नारायण जुगोजुग।'
पगां रै हाथ लगा'र बड़ी नरमाई सूं बोल्यो, 'जळपान करण री किरपा करस्यो कीं?'
'नहीं नारायण, प्रसाद लियोड़ो है।'
'भजन-कीरतन ही जाणता हुस्यो कीं?'
'और सूरदास ही यों हुयां हां नारायण'
'तो किरपा करस्यों कीं?'
'नहीं यों?'
'तो आवो पधारो,' डांगड़ी खींच'र ले बड़्यो घर में। बैठग्यो आसण पर, झट झोळी सूं खड़ताळ काढी अर छमाछम रै सागै ही सुर फूट्या:
'चरण कमल बन्दौं हरि राई।'
पंगु चढइ गिरिवर गहन, अन्धै को सब दरसाई।
नान्हीं-मोटी सुणनआळी सै सीपट्यां एकर ब्रहमानन्द में डूब'र आपो बीसरगी।पंगु चढइ गिरिवर गहन, अन्धै को सब दरसाई।
Little words of kindness
How they cheer the heart
What a world of gladness
While a smile in part।
How they cheer the heart
What a world of gladness
While a smile in part।
देख्यो बोली रो मजो। आंधियो अर सूरदासजी अर्थ में एक ही, पण फळ में कोसां परियां। एक जूत जिमावै जिसो, दूसरो हियो हुळसावै इसो। धरती सरग-नरक इंयां हीं तो बणै, पण जीभ रै असर नै कोई समझै जद नीं?
('रसना रा गुण' लेख रो एक अंश)
अर ल्यो बांचो, ताऊ शेखावाटी रो ओ सोरठो-
आडो बोल्यां आज, आडो आवै कुण अठै?
मीठो राख मिजाज, बतळावण में बावळा!
अर ल्यो बांचो, ताऊ शेखावाटी रो ओ सोरठो-
आडो बोल्यां आज, आडो आवै कुण अठै?
मीठो राख मिजाज, बतळावण में बावळा!
Bhai,
ReplyDeleteSatyanaryan, Vinod ji
Ram-Ram sa
Aaj AnnaRam sudama ri khani vanchi.ghani hi payri or mithi hi.Sewad kitta matha huve or kitta kerwa bhi huve.
Anna ram ri SURDAS Khani su bhasha or bolchhal ri mithas ro thha lagye hai
Thanye e payri si khani khatir sadhu-bad
NARESH MEHAN
घणी सुन्दर बात बताई है । गुड नहि तो गुड कै जिसी बोली तो राख़णी चाहिजे ।
ReplyDeleteघणी चोखी बात करी, धन्येवाद अन्नारामजी
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