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तारीख- २५/३/२००९
जिनगाणी रा सोळा संस्कार। ब्याव रो संस्कार घणो महताऊ। घिरसती रो आधार। संस्कार बिना सिरस्टी नीं चालै। टाबर परणावण-जोग होवै। मायत रिस्तो ढूंढै। सगाई री रस्म होवै। छोरी आळा छोरै रै घरां जावै। रिपियो-नारेळ देवै। इण काम सारू घर रा मिनख तो जावै ई जावै। नानकै-दादकै सूं भी भेज्या जावै। घणी हेलां फूंफै तकात नै बडेरचारो मिलै। बेटी रो बाप इण मोकै नीं जावै। छोरै रो टीको करीजै। छोरै आळां कानी सूं भी छोरी रै घरां जाइजै। नानकै-दादकै आळा जावै। फूंफा अर जवाइयां नै भी भेज्या जावै। छोरी नै गै'णो-गांठो अर बेस आद दीरीजै। आसीस दीरीजै। इण रस्म नै 'संधारो' या गोद भराई कैवै।
फूलरिया दूज अर आखातीज अबूझ सा'वा। ब्याव रै रंग चाव री सरूआत पीळा चावळां सूं। ओ सरेव दोनूं सगां रै किस्यै ई घरां हो सकै। सगा-सगा चावळां री पोटळी बदळै। बांथोबांथ मिलै। दोनूं परवारां रो परेम बधै। इण मोकै री गीत-रागां बडेरां रो मान बधावै। बनड़ै नै लडावै।
फेर आगै सूं आगै न्यारा-न्यारा नांवां सूं टेर चालती रवै। पीळा चावळां पर घोड़ी जरूर गाइजै। इण गीत में इतणो जोस'र हुळस होवै कै उठै बैठ्यै मिनखां रा होठ भी आपोआप फड़कण लागै। नाचण रा कोडीला पग आपोआप ठुमकण लागै।
तारीख- २५/३/२००९
कुणां जी मुलावै घोड़ी,
कुणांजी सजावै
राजस्थानी रा नूवां लिखारा सुलतानराम रो जलम 1 जुलाई, 1968 नै विजयनगर तहसील रै गोविंदसर गांव में हुयो। पत्र-पत्रिकावां मांय छपै। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गोविंदसर मांय अध्यापक।कुणांजी सजावै
जिनगाणी रा सोळा संस्कार। ब्याव रो संस्कार घणो महताऊ। घिरसती रो आधार। संस्कार बिना सिरस्टी नीं चालै। टाबर परणावण-जोग होवै। मायत रिस्तो ढूंढै। सगाई री रस्म होवै। छोरी आळा छोरै रै घरां जावै। रिपियो-नारेळ देवै। इण काम सारू घर रा मिनख तो जावै ई जावै। नानकै-दादकै सूं भी भेज्या जावै। घणी हेलां फूंफै तकात नै बडेरचारो मिलै। बेटी रो बाप इण मोकै नीं जावै। छोरै रो टीको करीजै। छोरै आळां कानी सूं भी छोरी रै घरां जाइजै। नानकै-दादकै आळा जावै। फूंफा अर जवाइयां नै भी भेज्या जावै। छोरी नै गै'णो-गांठो अर बेस आद दीरीजै। आसीस दीरीजै। इण रस्म नै 'संधारो' या गोद भराई कैवै।
फूलरिया दूज अर आखातीज अबूझ सा'वा। ब्याव रै रंग चाव री सरूआत पीळा चावळां सूं। ओ सरेव दोनूं सगां रै किस्यै ई घरां हो सकै। सगा-सगा चावळां री पोटळी बदळै। बांथोबांथ मिलै। दोनूं परवारां रो परेम बधै। इण मोकै री गीत-रागां बडेरां रो मान बधावै। बनड़ै नै लडावै।
सूई सारैगी, तागो पाटै गो।
पोतो टीकीजै, फलाणै जी राव गो।
इणरै पछै भाई-बंध, काका-बाबा, फूंफा-मामा सगळां रा नांव लिया जावै। मोकै पर अड़ोसी-पड़ोसियां रा नांव भी नीं छूटै। सगा-परसगियां नै भी आं गीतां सूं खूब लडाइजै।पोतो टीकीजै, फलाणै जी राव गो।
कठोड़ै सूं आया बिड़ला जी, कठोड़ै सूं आया रे नारेळ?
बीकाणै सूं आया बिड़ला जी, जोधाणै सूं आया रे नारेळ।
कुणां जी झाल्या बिड़ला जी, कुणां जी झाल्या रे नारेळ?
दादो-सा झाल्या बिड़ला जी, जामी-जी झाल्या रे नारेळ।
बीकाणै सूं आया बिड़ला जी, जोधाणै सूं आया रे नारेळ।
कुणां जी झाल्या बिड़ला जी, कुणां जी झाल्या रे नारेळ?
दादो-सा झाल्या बिड़ला जी, जामी-जी झाल्या रे नारेळ।
फेर आगै सूं आगै न्यारा-न्यारा नांवां सूं टेर चालती रवै। पीळा चावळां पर घोड़ी जरूर गाइजै। इण गीत में इतणो जोस'र हुळस होवै कै उठै बैठ्यै मिनखां रा होठ भी आपोआप फड़कण लागै। नाचण रा कोडीला पग आपोआप ठुमकण लागै।
कुणां जी मुलावै घोड़ी कुणांजी सजावै,
कुणां जी रै कारण घोड़ी आई है!
लखपतियां री घोड़ी
जामी जी मुलावै घोड़ी माताजी सजावै,
बनड़ै रै कारण घोड़ी आई है।
लखपतियां री घोड़ी
ब्याव संपूरण होवण तक न्यारा-न्यारा टेवां पर रंग-चाव चालबो करै। हिड़दां में हेत गाढ़ो होयबो करै। ढोल-ढमीड़ा बाजै। जीमण रा कोडीला लाडूवां रा सुरंगा सुपना जोवै।कुणां जी रै कारण घोड़ी आई है!
लखपतियां री घोड़ी
जामी जी मुलावै घोड़ी माताजी सजावै,
बनड़ै रै कारण घोड़ी आई है।
लखपतियां री घोड़ी
आज रो औखांणो
ब्याव रा गीत तो गायां सरसी
ब्याह के गीत तो गाने ही पड़ते हैं।
उचित अवसर पर किए हुए काम की अपनी ही शोभा है।
ब्याव रा गीत तो गायां सरसी
ब्याह के गीत तो गाने ही पड़ते हैं।
उचित अवसर पर किए हुए काम की अपनी ही शोभा है।
Bhai Satnaryan , vinod
ReplyDeleteNameskar,
Vivyah ra geet to gaya sersi,ghanyo hi puthro likyo hai.Sultanaram nai bhi vivayah pye geet ghana hi payra likya hai, mahro asirbad dena.
NARESH MEHAN
9414329505