आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २०/३/२००९
मजै री बात तो आ है कै जित्तै भांत रा बेरिया। बित्ता ई नांव। मायड़भासा री आ अळगी पिछाण। बेरिया, बोरिया, बेर, बोर, घाघड़ा, गुटाल, आळा घाघड़ा, पेमली, झाड़ी-बेरिया, हाळी-बेरिया, भुळावणा-बेरिया, दूधिया, खारक, सेब, मीठा, चमेली, देसी, रांग अर कंठ-बेरिया। इयां ई कई मीठा, फीका, खाटा, चरपरा, बै़डा। कई तो इतणा खाटा कै घेटुवो ई पकड़ल्यै। कोई भोळो-स्याणो खा'ल्यै तो आंख कढ़ा द्यै। बगत पर पाणी नीं हुवै तो नानी याद आज्यै। बेरियां बाबत लुगायां ई लारै नीं रैवै। भरोटी पूळी रै मिस गंठड़ी में बांध'र ल्यावै। ओल्लै-छानै भावै जित्ता खावै। बंचे़डा छात पर सुकावै। साझै मुलायजा, पुगावै दूर-दूर तांई, प्यारै परसंगियां मांय, भर-भर कोथळिया।
तारीख- २०/३/२००९
काळ मांय कैरिया, समै मांय बेरिया
-रामदास बरवाळी
बू़ढा-बडेरां रै मूंडै सुणां ओ औखांणो- काळ मांय कैरिया, समै मांय बेरिया। सदियां सूं चालतो आवै ओ जिकर। समै री सैनाणी बेरियां सूं जाणी। बियां तो बेरिया सै नै चोखा लागै, पण लुगाई-पताई अर टाबरां साथै कीं ज्यादा ई मोह-जाळ हुवै बेरियां रो। क्यूं कै बेरियां रो सीजन दो-तीन म्हीनां तांईं रैवै। टाबर काढ़ै गच्च। बेरड़्यां रै मींझर सरू होवतां ई टाबर झाबरा काटणा सरू करद्यै, मोढै झोळा टांग। कईयां रै हाथां मांय दग्गड़। कईयां रै लाम्बा-लाम्बा तड़ा। फिरै खेतां मांय रोझां री ढाळ। भांत-भांत री बेरड़ी। भांत-भांत रा बेरिया। भांत-भांत रै टाबरां रा टोळ। कइयां रै पगां मांय बूंटिया, कइयां रै चप्पली, कई उभाणा भी चाल व्हीर हुवै। कांटा गडण री कोई परवा नीं हुवै। कीं पजामा आळा। कीं कछड़ी आळा। कीं मांय-बिचाळै सीधा ई हुवै नंग-धड़ंग। बगै बेरियां रै चाव मांय दड़ाछंट। बेरड़ियां रै तळै गूंछळो बणा'र, मारै दग्गड़। कोई तड़ां सूं पीटै। झाड़ै बेरिया। कद ई झाड़ बेरड़ी़ पीटै। कद ई देसी। तो कद ई पेमली। भांत-भांत रा बेरिया, घालै न्यारा-न्यारा। कीं झोळै में। कीं जेबां में। कीं कुड़तिये री झोळी मांय। और कोई-कोई तो पजामै रै पांयचा में भरै बेरिया अर लपेटै कड़तू रै बा'रकर। जाणै न्योळी बांधी होवै रिपियां री भरेड़ी। चाखै कई मेळ रा सवाद। रोटी-पाणी याद नीं आवै बेरियां रै मोद मांय। दूहो है--रामदास बरवाळी
आंधी झाड़ै बोरिया, टाबर चुग-चुग ल्याय।
मरुधर मेवा हेत सूं, जीमै काख बजाय।।
मरुधर मेवा हेत सूं, जीमै काख बजाय।।
मजै री बात तो आ है कै जित्तै भांत रा बेरिया। बित्ता ई नांव। मायड़भासा री आ अळगी पिछाण। बेरिया, बोरिया, बेर, बोर, घाघड़ा, गुटाल, आळा घाघड़ा, पेमली, झाड़ी-बेरिया, हाळी-बेरिया, भुळावणा-बेरिया, दूधिया, खारक, सेब, मीठा, चमेली, देसी, रांग अर कंठ-बेरिया। इयां ई कई मीठा, फीका, खाटा, चरपरा, बै़डा। कई तो इतणा खाटा कै घेटुवो ई पकड़ल्यै। कोई भोळो-स्याणो खा'ल्यै तो आंख कढ़ा द्यै। बगत पर पाणी नीं हुवै तो नानी याद आज्यै। बेरियां बाबत लुगायां ई लारै नीं रैवै। भरोटी पूळी रै मिस गंठड़ी में बांध'र ल्यावै। ओल्लै-छानै भावै जित्ता खावै। बंचे़डा छात पर सुकावै। साझै मुलायजा, पुगावै दूर-दूर तांई, प्यारै परसंगियां मांय, भर-भर कोथळिया।
आज रो औखांणो
बोलै जिणरा बोर बिकै।
जो बोले, उसी के बेर बिकते हैं।
जो हांक लगाते हैं, उनका माल बिकता है। खामोश रहने वालों का माल पड़ा रहता है।
बोलै जिणरा बोर बिकै।
जो बोले, उसी के बेर बिकते हैं।
जो हांक लगाते हैं, उनका माल बिकता है। खामोश रहने वालों का माल पड़ा रहता है।
Bhai Satyanaryan,Vinod,
ReplyDeleteNameskar.
Aaj Ram das Bervali ra boriya vancya.Rajasthan ra boriya kesmir re seb beraber huve.sawed or vitamin mai bhi beraber huve.Ram das boriye re upper ghano hi mittho likeyio hai.Lakin mahari aa pirrra hai aaj kel ra tabber boriya khenye jhakye koni.bechari bordi bhi udas kheri revye.bi ri echha hve ki koi tabber mahre chhye bhatta hi mar jave per ber to tode jave.
Tharo o lekh gheno hi pyro or mittho ho.
BOLLE JINRA BORE BIKYE Thye sachi likhi hai.
NARESH MEHAN
भाईजी नमस्कार
ReplyDeleteआज तो बरवाळीजी रा बोरीया घणा मीठा लाग्या
सन्तोष पारीक,मुम्बई