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तारीख- २७/३/२२०९
सैलपुत्री नै मिली मनवाछिंत सिद्धि। इणरै पाण बै मनसां पूर्ण हुई। मनसां पूरण सारू लोग उणां नै हाल ताणी धौके-ध्यावै। घोर तपियां अनै जपियां नै दुरगा रो सैलपुत्री रूप घणौ भावै। जोगी सैलपुत्री नै ध्यावै। आं नै पड़तख राख जोग करै। जोग करतां मन नै मूळ आधार में थिर करै। इणरी ध्यावना सूं जोग्यां रा जोग जमै। तपियां रा तप सधै। जपियां रा जप फळै। जोग रा संजोग बैठै। जोग साधना री मूळ थरपीजै। नोरता पूजन रै पैलै दिन सैलपुत्री री उपासना सूं मन मुजब इंच्छा पूरण होवै। जग जामण मां दुरगा री पूजा में हर दिन मां रा सिणगार करीजै। हर दिन पण निरवाळा सिणगार। पैलै नोरतै में माता रा केश संस्कार करीजै। इण दिन माता जी री देवळ नै द्रव्य-आवंळा, सुगधिंत तेल भेंटीजै। केश संवारिजै। केश सवांरण री जिन्सां भेंटीजै। आखै दिन एकत राखीजै अर दुरगा सप्तसती रा पाठ करीजै।
तारीख- २७/३/२२०९
सैलपुत्री पैलां सिरै
-ओम पुरोहित कागद
वासन्तिक नोरता आज सूं सरू। आज पैलो नोरतो। नोरता नौ देवियां रा रूप। देवी सगती री नौ रातां अर नौ दिन। देवी अर रातां एकूकार। इणी नौ दिनां में महालक्ष्मी परगटाई नौ देवियां। इणी नौ देवियां नै नवदुरगा बखाणीजै। नोरतां रै नौ दिनां अर नौ रातां में इणीज नव दुरगा री ध्यावना होवै। श्री लक्ष्मणदान कविया(खैण-नागौर) रचित दुरगा सतसई में नव दुरगा री विगत--ओम पुरोहित कागद
सैलपुत्री पैला सिरै, ब्रह्माचारिणी दुवाय।
तीजी चंद्रघंटा'र चव, कुषमांडा कहवाय।।
स्कंध माता पांचवीं, कात्यायनी छटीज।
कालरात्रि सातमी, महागौरी अस्टमीज।।
नवौ नांव दुरगा तणौ, सिद्धदात्री संसार।
प्रतिपादित बिरमा किया, सहजग जाणणहार।।
नवदुरगा में पैली दुरगा सैलपुत्री। मां भागोती रो पैलो सरूप। परबतराज हिमवान री लाडेसर बेटी। सैल नाम परबत रो। इणी कारण नांव थरपीज्यौ सैलपुत्री। सैलजा भी इण रो नांव। सैलपुत्री री सुवारी बळद। इण रै डावै हाथ में तिरसूळ। जीवणै हाथ में मनमोहणो कमल पुहुप। सिर माथै सोनै रो मुगट अर आधो चंद्रमां। पैलड़ै जलम में राजा दक्ष री कन्या रूप में जलमी। उण जलम में नांव पण सती। उण जलम आप घोर तप करियो। भगवान शिव नै राजी कर वर रूप में हांसल करियौ। पण दक्ष नै बेटी री आ बात नीं जंची। उणां शिव नै सती रै वर रूप में अणदेखी करी। सती नै आ बात अणखावणी ढूकी। सती रा बापू सा एकर जिग करियौ। सती रा वर शिव री अणदेखी करी। सती नै आ बात दाय नीं आई। बै रिसाणी होय'र बापू सा रै जिग-कुंड में बळ परी भस्म होयगी। उणां भळै हिमालय री कन्या रूप में दूजो जलम लियो। भळै तप करियो अर पाछी भगवान शंकर री अधडील बणी। उणां नै मनमुजम शंकर भगवान वर रूप में मिल्या।तीजी चंद्रघंटा'र चव, कुषमांडा कहवाय।।
स्कंध माता पांचवीं, कात्यायनी छटीज।
कालरात्रि सातमी, महागौरी अस्टमीज।।
नवौ नांव दुरगा तणौ, सिद्धदात्री संसार।
प्रतिपादित बिरमा किया, सहजग जाणणहार।।
सैलपुत्री नै मिली मनवाछिंत सिद्धि। इणरै पाण बै मनसां पूर्ण हुई। मनसां पूरण सारू लोग उणां नै हाल ताणी धौके-ध्यावै। घोर तपियां अनै जपियां नै दुरगा रो सैलपुत्री रूप घणौ भावै। जोगी सैलपुत्री नै ध्यावै। आं नै पड़तख राख जोग करै। जोग करतां मन नै मूळ आधार में थिर करै। इणरी ध्यावना सूं जोग्यां रा जोग जमै। तपियां रा तप सधै। जपियां रा जप फळै। जोग रा संजोग बैठै। जोग साधना री मूळ थरपीजै। नोरता पूजन रै पैलै दिन सैलपुत्री री उपासना सूं मन मुजब इंच्छा पूरण होवै। जग जामण मां दुरगा री पूजा में हर दिन मां रा सिणगार करीजै। हर दिन पण निरवाळा सिणगार। पैलै नोरतै में माता रा केश संस्कार करीजै। इण दिन माता जी री देवळ नै द्रव्य-आवंळा, सुगधिंत तेल भेंटीजै। केश संवारिजै। केश सवांरण री जिन्सां भेंटीजै। आखै दिन एकत राखीजै अर दुरगा सप्तसती रा पाठ करीजै।
Bhai Om ji
ReplyDeleteJay mata ri,
Ma durga re sagla roopa ro thye vernen kiya hai. Aaj thye ma selja ro vernen ghano hi aachho kiyo hai.Durga ro seilja roop gheno bhavye hai.
Tharye likhn su hi mahye maa durga seileja ra dersen ker liya hai.mahri prathana aradhana tharo lekh ped re ho gayi hai.Eiya lag rehiya hai jiya ki koi sant ketha suna rehiya hai.tharo o lekh ped r mahnye to maa seileja ro asirbad mil geyo hai.E Asirbad khatir tharo denayabd.
Tharo bhai
NARESH MEHAN