आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २८/३/२००९
नवदुरगा रा नव रूप निराळा। हर रूप मनमोवणो -मनभावणो। रूपां री पण छिब निरवाळी। ऐड़ी ही निरवाळी छिब मात ब्रह्माचारिणी री। जग जामण महालक्ष्मी ब्रह्माचारिणी नै दूजी देवी रूप परगटाई। बह्मा सबद रो मतलब तप। ब्र्रह्माचारिणी घोर तप अर धीरज री धिराणी। आं में तप री सगति अपरम्पार। आं रै तप नै नीं कोई लख सकै, नीं लग सकै। चारिणी सबद रो मतलब चालण आळी। यानी तप रै गैंलां चालण आळी। घोर तप रै गैलां चालण रै कारण नांव थरपीज्यो ब्रह्माचारिणी। इण नावं सूं जग चावी। बडा-बडा रिखी-मुनि, जोगी, सिद्ध, ग्यानी-ध्यानी, तपिया-जपिया अर हठिया भी आं रो तप देख'र चकरी चढ्या। आंख्यां तिरवाळा खायगी।
ब्रह्माचारिणी रो रूप भव्य। लिलाड़ माथै तप रो ओज। आं रो सरूप जोता-जोत। जोतिर्मय। डावै हाथ में कमडंळ। जीवणै हाथ में जप माळा। सिर माथै सोनै रै मुगट री सोभा निरवाळी। नोरतां रै दूजै दिन इणी मां दुरगा री पूजा हौवै। उपासना करीजै। मां दुरगा रो सुरंगो रूप भगता नै भावै। आं री ध्यावना सूं भगतां, सिद्धां, जोग्यां, ध्यान्यां, तपियां अर जपियां रा मनोरथ पूरीजै। भगतां- सिद्धां नै अखूट-अकूंत फळै ब्रह्माचारिणी रा दरसण। धीरज-धिराणी ब्रह्माचारिणी री ध्यावना मिनखां में धीरज बपरावै। मिनखां में त्याग,वैराग्य अर धीरज रो बधैपो करै। इण री किरपा चौगड़दै। चौगड़दै सिद्धि। चारूकूंट विजय दिरावण वाळी। धीरज धिराणी बह्माचारिणी मिनखां में सदाचार अर संयम बगसावै। जोग्यां नै जोग सारू तेडै जोग-साधक दूजै दिन आपरै मन नै स्वाधिष्ठान चक्र में थिर करै। इण चकर में थिर मन माथै ब्रह्माचारिणी री किरपा बरसै। ऐडो साधक देवी री किरपा अर भगति नै पूगै।
नोरतां रै दूजै दिन मां दुरगा री खास पूजा होवै। इण दिन माता रा केस गूंथीजै। बाळ बांधीजै। चोटी में रेसमी सूत का फीतो बांधीजै। माता रै बाळां री सावळ संभाळ करीजै। लगो-लग श्री दुरगा सप्त्सती अर मारकण्डेय पुराण पाठ करीजै। एकत पण चालतौ रैवै। आज रो बरत नोरतै रो दूजौ बरत बजै।
तारीख- २८/३/२००९
धीरज धिराणी ब्रह्माचारिणी
-ओम पुरोहित कागद
-ओम पुरोहित कागद
नवदुरगा रा नव रूप निराळा। हर रूप मनमोवणो -मनभावणो। रूपां री पण छिब निरवाळी। ऐड़ी ही निरवाळी छिब मात ब्रह्माचारिणी री। जग जामण महालक्ष्मी ब्रह्माचारिणी नै दूजी देवी रूप परगटाई। बह्मा सबद रो मतलब तप। ब्र्रह्माचारिणी घोर तप अर धीरज री धिराणी। आं में तप री सगति अपरम्पार। आं रै तप नै नीं कोई लख सकै, नीं लग सकै। चारिणी सबद रो मतलब चालण आळी। यानी तप रै गैंलां चालण आळी। घोर तप रै गैलां चालण रै कारण नांव थरपीज्यो ब्रह्माचारिणी। इण नावं सूं जग चावी। बडा-बडा रिखी-मुनि, जोगी, सिद्ध, ग्यानी-ध्यानी, तपिया-जपिया अर हठिया भी आं रो तप देख'र चकरी चढ्या। आंख्यां तिरवाळा खायगी।
ब्रह्माचारिणी रो रूप भव्य। लिलाड़ माथै तप रो ओज। आं रो सरूप जोता-जोत। जोतिर्मय। डावै हाथ में कमडंळ। जीवणै हाथ में जप माळा। सिर माथै सोनै रै मुगट री सोभा निरवाळी। नोरतां रै दूजै दिन इणी मां दुरगा री पूजा हौवै। उपासना करीजै। मां दुरगा रो सुरंगो रूप भगता नै भावै। आं री ध्यावना सूं भगतां, सिद्धां, जोग्यां, ध्यान्यां, तपियां अर जपियां रा मनोरथ पूरीजै। भगतां- सिद्धां नै अखूट-अकूंत फळै ब्रह्माचारिणी रा दरसण। धीरज-धिराणी ब्रह्माचारिणी री ध्यावना मिनखां में धीरज बपरावै। मिनखां में त्याग,वैराग्य अर धीरज रो बधैपो करै। इण री किरपा चौगड़दै। चौगड़दै सिद्धि। चारूकूंट विजय दिरावण वाळी। धीरज धिराणी बह्माचारिणी मिनखां में सदाचार अर संयम बगसावै। जोग्यां नै जोग सारू तेडै जोग-साधक दूजै दिन आपरै मन नै स्वाधिष्ठान चक्र में थिर करै। इण चकर में थिर मन माथै ब्रह्माचारिणी री किरपा बरसै। ऐडो साधक देवी री किरपा अर भगति नै पूगै।
नोरतां रै दूजै दिन मां दुरगा री खास पूजा होवै। इण दिन माता रा केस गूंथीजै। बाळ बांधीजै। चोटी में रेसमी सूत का फीतो बांधीजै। माता रै बाळां री सावळ संभाळ करीजै। लगो-लग श्री दुरगा सप्त्सती अर मारकण्डेय पुराण पाठ करीजै। एकत पण चालतौ रैवै। आज रो बरत नोरतै रो दूजौ बरत बजै।
जै माताजी री
ReplyDeleteआदरजोग ओमजी, आपरा लेख भोत सांतरा है सा! घणा घणा रंग आपने. लखदाद.
ReplyDeleteआपरो- सत्यनारायण सोनी
Bhaiji,
ReplyDeleteSh Om kaged,
Aaj aapni bhasha ma Durga ma ro dusro roop vanchiyo.Direj dharni bremhacharni ma durga duji
Devi roop prgetyio.Ma durga re roop or tep dono ro thye ghano hi paviter vernen kiyo hai.
Thari lekhni mai ma sersvati ro vaas hai. thye ghano hi serdha su likhyo hai.
E Serdhapurn or paviter lekh k liye Sadhu-bad
NARESH MEHAN
9414329505