आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- ३/२/२००९
गांव में एक मंगतो रोज आटो मांगै। एक लुगाई रोज नटै। पण मंगतो रोज हेलो पाड़ै- बाई, आटो घालो। एक दिन लुगाई रीस्यां बळती आटै भरे़डी झोळी में धू़ड रो धोबो भर'र घाल दियो। मंगतो राजी होयो। लोगां पूछ्यो, बावळा, दस सेर आटै रो सित्यानास कर दियो अर तूं खुसियां मनावै? मंगतो बोल्यो, घालण री बाण तो पड़ी। आज धू़ड घाली है। का'ल आटो ई घाल दे'सी।
लखदाद है राज्य सरकार नै। घणा-घणा रंग जिको आपणी मायड़भासा री फिलमां नै एक साल सारू तो मनोरंजन कर सूं मुगत करी। चलो, बाण तो पड़ी। पाणी पीवतां-पीवतां कदी तो नाज रो कस आ'सी। आओ, इण मिस आज राजस्थानी फिलम जातरा री बात करां।
राजस्थानी री पैली फिलम 1942 में बणी। 'नजराना' नांव री इण फिलम रा निर्माता-निर्देशक पी।सी. बिलिमोरिया अर जी.पी. कपूर हा। अनुपम चितर रै बैनर तळै बणी इण फिलम में महिपाल भंडारी हीरो अर जैतकंवर हीरोइन ही। 67 साल री इण अवधि में राजस्थानी भाषा में 100 सूं बेसी फिलमां बणी है। सौवीं फिलम रो नांव 'ओढली चुनरिया' है। इण पछै 'हिवड़ै सूं दूर मत जा' राजस्थानी री नूंवी फिलम है। जिणरा निर्माता-निर्देशक अरविंद कुमार है। आं फिलमां में सूं 6 फिलमां गुजराती सूं राजस्थानी अर एक फिलम 'भाई दूज' भोजपुरी सूं राजस्थानी में डब करीजी। सन् 1997 में आपणी भासा में सै सूं बेसी सात फिलमां बणी। 'रमकू़डी-झमकू़डी' डबल रोल री पैली अर 'मां-बाप नै भूलज्यो मती' विदेश में बणी पैली राजस्थानी फिलम है। 2001 में बणी 'बवंडर' अंतरराष्ट्रीय फिलम जगत में नांव कमायो। 1961 में बणी 'बाबासा री लाडली' पैली लोकप्रिय अर हिट फिलम मानीजै। 1988 में बणी 'बाई चाली सासरियै' ऑल टाइम हिट फिलम रो दरजो पायो। 'लाज राखो राणी सती' (1973) पैली रंगीन फिलम बणी। आ फिलम फगत 1 घंटा 52 मिनट री है अर आ सै सूं कम अवधि री फिलम मानीजै। राजस्थानी में सै सूं लम्बी अवधि री फिलम 'गौरी' (1993) है, जकी 3 घंटा 12 मिनट री है। 'डूंगर रो भेद' (1975) पैली बाल फिलम है। मंजू बंसल जसरानी पैली निदेशक अर जी. पी. कपूर पैला संगीतकार है।
अर ल्यो, अबार बांचो, राजस्थानी री कीं और चावी फिलमां रा नांव-
नानी बाई को मायरो, बाबा रामदेव पीर, ढोला-मरवण, गोगाजी पीर, सुपातर बीनणी, वीर तेजाजी, म्हारी प्यारी चनणा, चोखो लागै सासरियो, रामू-चनणा, देराणी-जेठाणी, नणद-भोजाई, थारी-म्हारी, करमा बाई, बाई चाली सासरियै, बाई सा जतन करो, सतवादी राजा हरिश्चंद्र, घर में राज लुगायां को, मां म्हनै क्यूं परणाई, बीनणी बोट देणनै चाली, दादोसा री लाडली, जाटणी, दूध रो करज, माता राणी भटियाणी, राधू की लिछमी, छम्मक छल्लो, जियो म्हारा लाल, छैल छबीली छोरी, गोरी रो पल्लो लटकै, जय सालासर हनुमान, म्हारी मां संतोषी, जय जीण माता, चोखी आई बीनणी, ओ जी रे दीवाना, मां-बाप नै भूलज्यो मती, प्रीत न जाणै रीत, ओढ ली चुनरिया, हिवड़ै सूं दूर मती जा।
संवैधानिक मानता सारू जूझती आपणी भासा कनै भरोसैजोग फिलमां है। आपां जे आपणी भासा री फिलमां सूं हेत राखांला। आपणै घरां में आपणी भासा री फिलमां अर गीतां री सीडियां, केसेटां बपरावालां। ब्याव-सगाई, जलम-दिन अर दूजा मंगळ मौकां पर राजस्थानी केसेट अर सीडियां रो निजराणो पेस करांला। आपणै खास आयोजनां में पधारया पावणां नै निसाणी (स्मृति चिह्न) रै रूप में भी ऐ जिनसां पेस करांला, तो आपणै कलाकारां अर फिलम निर्मातावां रो हौसलो बधैला। मान बधैला। आपणी भासा में फिलमां रो विकास हुवैला। टीवी चैनलां पर भी आपणी भासा रै कार्यक्रमां री बढोतरी हुवैला।
तारीख- ३/२/२००९
राजस्थानी फिलमां रो
सफरनामो
राजस्थानी भाषा को जन-जन तक लोकप्रिय बनाने में साहित्य की ही तरह राजस्थानी भाषा में बनी फिल्मों का भी कम योगदान नहीं है। 'आपणी भाषा-आपणी बात' में पढ़िए 1942 से शुरू हुए राजस्थानी फिल्मों के सफरनामे की गाथा परलीका के युवा कवि विनोद स्वामी की कलम से- कीर्ति राणा.सफरनामो
गांव में एक मंगतो रोज आटो मांगै। एक लुगाई रोज नटै। पण मंगतो रोज हेलो पाड़ै- बाई, आटो घालो। एक दिन लुगाई रीस्यां बळती आटै भरे़डी झोळी में धू़ड रो धोबो भर'र घाल दियो। मंगतो राजी होयो। लोगां पूछ्यो, बावळा, दस सेर आटै रो सित्यानास कर दियो अर तूं खुसियां मनावै? मंगतो बोल्यो, घालण री बाण तो पड़ी। आज धू़ड घाली है। का'ल आटो ई घाल दे'सी।
लखदाद है राज्य सरकार नै। घणा-घणा रंग जिको आपणी मायड़भासा री फिलमां नै एक साल सारू तो मनोरंजन कर सूं मुगत करी। चलो, बाण तो पड़ी। पाणी पीवतां-पीवतां कदी तो नाज रो कस आ'सी। आओ, इण मिस आज राजस्थानी फिलम जातरा री बात करां।
राजस्थानी री पैली फिलम 1942 में बणी। 'नजराना' नांव री इण फिलम रा निर्माता-निर्देशक पी।सी. बिलिमोरिया अर जी.पी. कपूर हा। अनुपम चितर रै बैनर तळै बणी इण फिलम में महिपाल भंडारी हीरो अर जैतकंवर हीरोइन ही। 67 साल री इण अवधि में राजस्थानी भाषा में 100 सूं बेसी फिलमां बणी है। सौवीं फिलम रो नांव 'ओढली चुनरिया' है। इण पछै 'हिवड़ै सूं दूर मत जा' राजस्थानी री नूंवी फिलम है। जिणरा निर्माता-निर्देशक अरविंद कुमार है। आं फिलमां में सूं 6 फिलमां गुजराती सूं राजस्थानी अर एक फिलम 'भाई दूज' भोजपुरी सूं राजस्थानी में डब करीजी। सन् 1997 में आपणी भासा में सै सूं बेसी सात फिलमां बणी। 'रमकू़डी-झमकू़डी' डबल रोल री पैली अर 'मां-बाप नै भूलज्यो मती' विदेश में बणी पैली राजस्थानी फिलम है। 2001 में बणी 'बवंडर' अंतरराष्ट्रीय फिलम जगत में नांव कमायो। 1961 में बणी 'बाबासा री लाडली' पैली लोकप्रिय अर हिट फिलम मानीजै। 1988 में बणी 'बाई चाली सासरियै' ऑल टाइम हिट फिलम रो दरजो पायो। 'लाज राखो राणी सती' (1973) पैली रंगीन फिलम बणी। आ फिलम फगत 1 घंटा 52 मिनट री है अर आ सै सूं कम अवधि री फिलम मानीजै। राजस्थानी में सै सूं लम्बी अवधि री फिलम 'गौरी' (1993) है, जकी 3 घंटा 12 मिनट री है। 'डूंगर रो भेद' (1975) पैली बाल फिलम है। मंजू बंसल जसरानी पैली निदेशक अर जी. पी. कपूर पैला संगीतकार है।
अर ल्यो, अबार बांचो, राजस्थानी री कीं और चावी फिलमां रा नांव-
नानी बाई को मायरो, बाबा रामदेव पीर, ढोला-मरवण, गोगाजी पीर, सुपातर बीनणी, वीर तेजाजी, म्हारी प्यारी चनणा, चोखो लागै सासरियो, रामू-चनणा, देराणी-जेठाणी, नणद-भोजाई, थारी-म्हारी, करमा बाई, बाई चाली सासरियै, बाई सा जतन करो, सतवादी राजा हरिश्चंद्र, घर में राज लुगायां को, मां म्हनै क्यूं परणाई, बीनणी बोट देणनै चाली, दादोसा री लाडली, जाटणी, दूध रो करज, माता राणी भटियाणी, राधू की लिछमी, छम्मक छल्लो, जियो म्हारा लाल, छैल छबीली छोरी, गोरी रो पल्लो लटकै, जय सालासर हनुमान, म्हारी मां संतोषी, जय जीण माता, चोखी आई बीनणी, ओ जी रे दीवाना, मां-बाप नै भूलज्यो मती, प्रीत न जाणै रीत, ओढ ली चुनरिया, हिवड़ै सूं दूर मती जा।
संवैधानिक मानता सारू जूझती आपणी भासा कनै भरोसैजोग फिलमां है। आपां जे आपणी भासा री फिलमां सूं हेत राखांला। आपणै घरां में आपणी भासा री फिलमां अर गीतां री सीडियां, केसेटां बपरावालां। ब्याव-सगाई, जलम-दिन अर दूजा मंगळ मौकां पर राजस्थानी केसेट अर सीडियां रो निजराणो पेस करांला। आपणै खास आयोजनां में पधारया पावणां नै निसाणी (स्मृति चिह्न) रै रूप में भी ऐ जिनसां पेस करांला, तो आपणै कलाकारां अर फिलम निर्मातावां रो हौसलो बधैला। मान बधैला। आपणी भासा में फिलमां रो विकास हुवैला। टीवी चैनलां पर भी आपणी भासा रै कार्यक्रमां री बढोतरी हुवैला।
आज रो औखांणो
देस री गधी अर पूरब री चाल।
देश की गधी और पूर्व की चाल।
देश की स्वस्थ परंपरा छोड़कर अन्य संस्कृति का अनुकरण करने वाले पर कटाक्ष।
देस री गधी अर पूरब री चाल।
देश की गधी और पूर्व की चाल।
देश की स्वस्थ परंपरा छोड़कर अन्य संस्कृति का अनुकरण करने वाले पर कटाक्ष।
Bhai Satynaryan, vinod sawmi
ReplyDeleteRam- Ram sa
Rajasthani filma ro ithihas pedyo.rajasthani filma ro abhi kam hono baki hai.mayer bhasha mai isi filam banni chhayi jo rasthiye setter per denko baja sake,. Abhi tak isi filam koni ayi. mayer bhasha ri kahaniya .prempera per hindi mai bhut hi achhi filma beni hai.jia ki pehali filam..
Ager mahne mayer bhasha ro denko bejano hai to ek aapni sanskirti prempera achhi si filam banni chhayi.To bhar re loga nai aapni philosphy aapne dreshan ro tha lagsi.Filam ek achho sadhan hai.
NARESH MEHAN
9414329505
chokho lagyo.
ReplyDeletemanoj soni, jaipur.
Rajasthani filma ro safanamo
ReplyDeletelekh santro rang jamay diyo.
KIRTI RANA JI
aap ghani badhai ra hakdar ho.!
oju fer badhai...!!
-Rajuram Bijarnia 'Raj'
Loonkaransar
'आपणी भाषा-आपणी बात' में कीर्ति राणा रो राजस्थानी फिलमां रो सफरनामो chhokho lagyo.
ReplyDeleteDevmitra jha
loonkaransar
विनोदजी, बांच’र घणौ चोखो लागौ सा. पण एक जाणकारी अठै खोटी देरीजी है सा, म्हे correction करणौ चावूं.
ReplyDeleteफिलम : मां बाप नै भुलजो मती.
दिग्दर्शक : संदिप वैष्णव
निर्माता : संदिप वैष्णव / अर वांरी घर वाळी (i think याद कोनी)
कलाकार : संदिप वैष्णव रा छोरा
आपरी जाणकारी रै वास्तै इण फिलम री शुटींग फक्त भारत मांय इज करीजी है, संदीपजी इणरौ खोटो प्रचार कर्यौ है कै शूटींग अमेरीका मांय करीजी है. आप संदिपजी सूं कंन्फर्म कर सकौ हौ.
हाल तांई राजस्थांनी फिल्मां री शुटींग भारत सूं बारै कठैई नीं हुय़ी है सा.