आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २१/३/२००९
सिरजणहार धरती सिरजी। आभो सिरज्यो। नदी, पहाड़, समंदर सिरज्या। रूंख, पानड़ा, बेलड़ी, कीड़ी, मकोड़ा, सांप, गोयरा, अजगर सिरज्या। पांख-पंखेरू सिरज्या। हाथी, घोड़ा, ऊंट, बांदर, बनमाणस सिरज्या। पण मिनख री सिरजण अणूंती कळा। सिरजणहार मिनख नै आपरी सगळी सगती सूंप सिरजक बणायो। अब बो मिनख सिरजै भांत-भांत री कळावां। भांत-भांत री चीजां। भांत-भांत री बातां।
मिनख लोक नै सिरज्यो। लोकभाषा सिरजी। संस्कृति अर संस्कार सिरज्या। देई-देवता, भोमिया-पित्तर, पीर-पैगम्बर सिरज्या। संस्कारां नै थिर राखण सारू सिरज्या लोकगीत। मिनख रै पेट पड़नै सूं लेय'र मरणै तक रा सगळा संस्कारां, रीत-रिवाजां, मंगळ-मौकां रा गीत। आं गीतां री सरसता मिनखां में उमंग भरै। एक-एक बोल थाकेलो हरै। मरियोड़ा मन जीवंत करै। जद ई तो पीढ़ी दर पीढ़ी कंठ सूं कंठ लगोलग ऐ गीत गूंजबो करै।
मिनख रै पेट पड़नै सूं लेय'र नव म्हीनां तांईं रा गीत 'हूंस रा गीत' बाजै। लुगाई री सारथकता मां बणनै में ई मानीजै। लुगाई रो भी ओ सै सूं मोटो सपनो। इण सारू पेट मंडाण रै सागै ई उणरै मन मांय सिरजण रो उछाव पांगरै। इणी उछाव में बा जापै री पीड़ रो सामणो करण सारू त्यार व्है जावै। इण वेळा गाइजण वाळा गीत भी उण में मोकळी ताकत भरै। आं दिनां लुगाई में डीलगत अर मनगत बदळाव आवै। न्यारी-न्यारी चीजां खावण री मनस्या हुवै। आं बदळावां रो बखाण लोकगीतां मांय बड़ो सोवणो अनै मनमोवणो। हूंस रा गीत घेवर, कैर, बोर, मतीरो, पड़वाळियो आद नांवां सूं जाणीजै।
तारीख- २१/३/२००९
भंवर म्हानै बोरिया भावै
-प्रहलाद राय पारीक
-प्रहलाद राय पारीक
सिरजणहार धरती सिरजी। आभो सिरज्यो। नदी, पहाड़, समंदर सिरज्या। रूंख, पानड़ा, बेलड़ी, कीड़ी, मकोड़ा, सांप, गोयरा, अजगर सिरज्या। पांख-पंखेरू सिरज्या। हाथी, घोड़ा, ऊंट, बांदर, बनमाणस सिरज्या। पण मिनख री सिरजण अणूंती कळा। सिरजणहार मिनख नै आपरी सगळी सगती सूंप सिरजक बणायो। अब बो मिनख सिरजै भांत-भांत री कळावां। भांत-भांत री चीजां। भांत-भांत री बातां।
मिनख लोक नै सिरज्यो। लोकभाषा सिरजी। संस्कृति अर संस्कार सिरज्या। देई-देवता, भोमिया-पित्तर, पीर-पैगम्बर सिरज्या। संस्कारां नै थिर राखण सारू सिरज्या लोकगीत। मिनख रै पेट पड़नै सूं लेय'र मरणै तक रा सगळा संस्कारां, रीत-रिवाजां, मंगळ-मौकां रा गीत। आं गीतां री सरसता मिनखां में उमंग भरै। एक-एक बोल थाकेलो हरै। मरियोड़ा मन जीवंत करै। जद ई तो पीढ़ी दर पीढ़ी कंठ सूं कंठ लगोलग ऐ गीत गूंजबो करै।
मिनख रै पेट पड़नै सूं लेय'र नव म्हीनां तांईं रा गीत 'हूंस रा गीत' बाजै। लुगाई री सारथकता मां बणनै में ई मानीजै। लुगाई रो भी ओ सै सूं मोटो सपनो। इण सारू पेट मंडाण रै सागै ई उणरै मन मांय सिरजण रो उछाव पांगरै। इणी उछाव में बा जापै री पीड़ रो सामणो करण सारू त्यार व्है जावै। इण वेळा गाइजण वाळा गीत भी उण में मोकळी ताकत भरै। आं दिनां लुगाई में डीलगत अर मनगत बदळाव आवै। न्यारी-न्यारी चीजां खावण री मनस्या हुवै। आं बदळावां रो बखाण लोकगीतां मांय बड़ो सोवणो अनै मनमोवणो। हूंस रा गीत घेवर, कैर, बोर, मतीरो, पड़वाळियो आद नांवां सूं जाणीजै।
लाल पिलंगड़ो पिछोकड़ै, सूती जे कोई बूझै बात
भंवर म्हानै बोरिया भावै।
घेवर री हूंस रै गीत मांय दस म्हीनां में री न्यारी-न्यारी हूंस रो जिकर आवै-भंवर म्हानै बोरिया भावै।
पैलो मास'ज जच्चा राणी नै लागियो
म्हारो मन पड़छायां जाय।
म्हारो मन हरख्यो घेवर में।
आ तो हूंस भली छै घर री नार
थारो सुसरोजी पुरावै ओ राज
म्हारो मन हरख्यो घेवर में।
आज रो ओखाणो
कूख सूं जायोड़ो सरप ई मां नै वाल्हो लागै।
कोख से जन्मा साँप भी माँ को प्रिय होता है।
मां की कोख से बदमाश, लंपट व शैतान ही क्या,
यदि साँप भी पैदा हो जाय तो वह उसे प्यार करती है।
मां की ममता का कोई पार नहीं।
म्हारो मन पड़छायां जाय।
म्हारो मन हरख्यो घेवर में।
आ तो हूंस भली छै घर री नार
थारो सुसरोजी पुरावै ओ राज
म्हारो मन हरख्यो घेवर में।
आज रो ओखाणो
कूख सूं जायोड़ो सरप ई मां नै वाल्हो लागै।
कोख से जन्मा साँप भी माँ को प्रिय होता है।
मां की कोख से बदमाश, लंपट व शैतान ही क्या,
यदि साँप भी पैदा हो जाय तो वह उसे प्यार करती है।
मां की ममता का कोई पार नहीं।
pareek ji,
ReplyDeleteaapro lekh gajab..!
boriya jiso mithas
sabada me nige aave.
mithe boriya ar
mithas bhare lekh saru badhai..!!
-DHARAMVEER MEENA
(SAVAIMADHOPUR)
HAL-LOONKARANSAR
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ReplyDelete-------------------------------------------------
BHANWAR MHARA..!
BORIYO SAMBHAL PARO KHAIJYO.
GUTHALI AD JAVELA..!!
HA...HA....HA....!!
KHER..AA TO MAJAK HI.
BHAI JI SACHI LEKH ME TANT HAI.
AAP IYA HI LIKHATA REVO..AAPRI LEKHNI ME MITHAS BHARYO REVE AA HI ARDAS HAI..SURSATI MATA SU..!!
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-RAJ BIJARNIA
LOONKARANSAR
9414449936
Bhai Satynaryan, Vinod,
ReplyDeleteNameskar,
Aaj prehlad pareek ji ro lekh vanchiyo. bhanwer mehanye boriya bhave.Aachho likhyo hai.sirjnhar dharti sirji.E sirjin mai jika geet gaya jave banko bhut hi paryro bol likhya hai.Minkh re pett mai pednye su nave mihane teyi jika geet gaya jave biro pareek ji ghano hi payro or ritti- rivaj su lekhiyo hai.
Pareek ji nai mahri terf su Dhenabad diyo
NARESH MEHAN
9414329505