Tuesday, March 3, 2009

४ लाडो बेटी जाय घरां


आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख-//२००९

लाडो बेटी जाय घरां

-रामस्वरूप किसान

जोरै गीत या कविता री पिछाण है कै बो मनगत नै बदळै। माहौल नै पळटै। आ गीत री ताकत। ओ गीत रो असर। राजस्थानी लोक में इस्यो ई एक गीत- 'सीखड़ली'। मतलब-विदाई-गीत। बेटी जद परणीज'र पैलपोत बाबल री पोळ छोडै, ओ गीत गाईज्यै। इण गीत री सगति रो पार नीं। लुगायां जद भेळै सुर में ओ गीत उगेरै तो आखै घर रो माहौल बदळज्यै। हाँसतो घर अचाणचक उदासी रै दरियाव में डूबज्यै। ब्याव री खुसी गम में बदळज्यै। इण गीत री मार्मिक लय साथै जद गठजोड़ो आंगणै सूं बहीर हुवै तो च्यारूंमेर आंसुवां री झड़ी लागज्यै। बाखळ में बैठ्या बटाउवां री आंख्यां गीली हूज्यै। होको भरतो नाई आंसुवां सूं आग ठंडी करद्यै। आटो ओसणता मोट्यार आंख्यां रै पाणी सूं आटो गीलो करद्यै। गळी में लोग आंसू पूंछता बगै। बाबल अर मायड़ तो मूं छोड़द्यै। थाम्या नीं थमै। गीतेरणां रा घूंघटा आंसुवां सूं तर हूज्यै। आ इण गीत री ताकत है। राजस्थानी में इण विदाई गीत पर अनेकूं साहित्यिक गीत वारया जा सकै। बांचो ओ गीत-

थारो पीं'डो रीतो ओ, कै जामी, थारी धीव बिना,
म्हारी बहुवां भरैली ए, कै लाडो बेटी, जाय घरां।

थारो गोबर पसरयो ओ, कै बाबल, थारी धीव बिना,
म्हारी बहुवां बुहारै ए, कै लाडो बेटी, जाय घरां।

म्हारो भतीजो बिलखै ओ, कै जामी, थारी धीव बिना,
थारी भाभी लडासी ए, कै लाडो बेटी, जाय घरां।

मेरी गुडिया रैयगी ओ, कै जामी, थारै आळै में,
मेरी छुटकी खेलै ए, लाडो बेटी, जाय घरां।

मेरी बहली अटकी ओ, कै जामी, थारी पोळां में,
कै ईंट कढास्यां ए, कै लाडो बेटी, जाय घरां।

बाबल कूण कैयसी ओ, कै जामी, थारी धीव बिना,
म्हारा नैण बण्या नदियां, कै लाडो बेटी, जाय घरां।

इण गीत में विदा होंवती बेटी रै हिवड़ै री उथळ-पुथळ। बाबल रो घर छोडणै री सजोरी पीड़। बेटी घर नीं छोडणै सारू भ्यानै पर भ्यानो बणावै। दूजी कानी बाप री मजबूरी रो चित्रण भी गजब। बो बेटी नै घरां नीं राख सकै। काळजै पर पत्थर राख'र काळजै री कोर नै विदा करै। ईं सारू बेटी रै हर भ्यानै नै काटतो जावै। गीत री छेकड़ली ओळ्यां तो सुणनियै रो काळजो काढै। बा कैवै, हे बाबल! थारी पोळां में म्हारी बहली अटकगी। म्हैं सासरै कीकर जावूं? म्हैं तो थांरै आंगणै में ई खेलस्यूं। पण मजबूर बाप काळजो करड़ो कर'र कैवै- हे बेटी! ईंट काढ'र बारणो चोड़ो कर देस्यां। हे लाडो! थूं थारै घरां जा। अन्त में बेटी रा बोल, कै थानै बाबल कुण कैयसी? बाप री आंख्यां नै नदी में बदळ देवै। सुणणियै री आंख्यां पतनाळा बणज्यै।

आज रो औखांणो

बळद अर बेटी बांधै जठै ई बंधै।

बैल और बेटी, जहां बांधें वहीं बंधते हैं।





1 comment:

  1. Aader Jog,
    Sh Ram sawroop ji
    Aaj tharo lado beti jaye gharan pedyo.Charumair Aasuvan ri jhari lag gayi.mahre hivedye mai uthal puthal mach gayi.Dil matiriye re terh phat gayo aur Aakhn mai chal pedi nadiya.E lok geet mai mitho so derd hai sagye khusi bhi.bas ito hi likhu tharo o lekh sabsu jayda mulyam ho.do sewed mai bhi
    likhu
    Oss ri boond si hove hai betiya
    Bap ri dulari aur jan su payari huve hai betiya
    Thodo so depte to rove hai betiya
    Beta roshan kersi ek hi gher
    Do -Do ghera nai roshan kersi betiay
    Khenye su parayi amaanat huve hai betiya
    per beto su bedker aapni huve hai betiya
    NARESH MEHAN
    9414329505

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