साहित्य रै आभै रो चांद: 'चंद्र'
नीरज दइया रो जलम 22 सितंबर, 1969 नै बीकानेर मे हुयो। आप राजस्थानी रा समरथ लिखारा। अनुवादक, आलोचक अर कवि। मोकळी पोथ्यां छपी अर मोकळा मान-सम्मान मिल्या। आजकाल केन्द्रीय विद्यालय, सूरतगढ़ न.1 मांय हिन्दी रा व्याख्याता। चंद्रजी रो सान्निध्य हरमेस रैयो। इण लेख रै मिस बांचो चंद्रजी नैश्रद्धाजंलि।-नीरज दइया
यादवेंद्र शर्मा चंद्र नीं रैया। घणै अचरज री बात है पण साव साची है। काल चार मार्च रात नै सवा दो बजी आभै में चांद हो पण साहित्य रै आभै रो चांद आपरी सांसां पूरी करी। हिंदी अर राजस्थानी साहित्य में एक जुग रचणवाळा प्रयोगधर्मी गद्यकार चंद्र जी रो मानणो हो कै राजस्थानी भाषा प्राथमिक पोसाळां सूं जोड'ऱ टाबरां री भणाई सरू हुवणी चाइजै। कवि कन्हैयालाल सेठिया, चंद्र जी आद राजस्थानी मान्यता रो सपनो देख्यो, पण राम जाणै कद पूरो हुवैला-ओ सपनो।आप राजस्थानी कहाणी संग्रै 'जमारो' खातर साहित्य अकादेमी नई दिल्ली सूं पुरस्कृत हुया। आप री 'समंद अर थार' (कहाणी संग्रै ) हूं गोरी किण पीव री, जोग-संजोग, चांदा सेठाणी (तीनूं उपन्यास) तास रो घर (नाटक) राजस्थानी पोथ्यां घणी चावी हुई। राजस्थानी री पैली रंगीन फिलम 'लाज राखो राणी सती' रा लेखक चंद्र जी है।फणीश्वरनाथ रेणु अर मीरा पुरस्कार सूं सम्मानित आप री पोथी 'हजार घोडों का सवार' माथै दूरदर्शन सीरियल घणो लोकप्रिय हुयो। चकवे-चकवी की बात, विडंबना, चांदा सेठाणी फिल्मा में राजस्थानी समाज रो साचो चितराम देखण नै मिलै। 'संन्यासी और सुंदरी' उपन्यास रो नाट्य रूपातंरण आकाशवाणी तैयार करयो जिको घणो सराइज्यो।
जवानी में पग धरतां ई लेखक बणण दी हूंस लियां कोडाया-कोडाया यादवेंद्र शर्मा केई-केई जागावां घूम्या-फिरया। पूरी उमर बै लेखक रै ताण जीया। कोई नौकरी कोनी करी। ऐड़ो आखरां रो चाकर बां नै टाळ बीजो कोई कोनी। बै आत्मकथा 'बनजारा रे बनजारा' लिखणी चावता हा पण पूरी नीं लिख सक्या। 'नजर एक चेहरे अनेक' बांरी संस्मरणां री पोथी आं दिनां चर्चा में है। हिंदी में बां री चर्चित पोथ्यां रा नांव इण भांत है- एक ओर मुख्यमंत्री, खम्मा अन्नदाता, जनानी ड्योढी, प्रजाराम, गुलजी गाथा, संन्यासी और सुंदरी, खून का टीका, गुनाहों की देवी, ढोलन कुंजकली, केसरिया पगड़ी, गुलाबड़ी, रनिवास की रूपसी, मोहभंग (उपन्यास), महाराजा शेखचिल्ली, मैं अश्वत्थामा, चार अजूबे (नाटक), जनक की पीड़ा, जंजाल तथा अन्य कहानियां, पीटर बहुत बोलता है, मेहंदी के फूल (कहाणी संग्रै), आपरी इक्यावन कहानियां, चर्चित कहानियां, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां, मेरी प्रिय कहानियां केई-केई पोथ्यां छपी। डॉ. रांगेय राघव मुजब-'यादवेंद्र शर्मा चंद्र की कलम साहित्य में अपना विशेष महत्त्व रखतीहै।' मन्नू भंडारी रो मानणो है-'सामंती संस्कारों और इतिहास के भीतर उभरते नए जनजीवन के जैसे प्रमाणिक चित्र चंद्र जी ने दिए, वैसे इस क्षेत्र में किसी लेखक ने नहीं दिए।' सांवर दइया पोथी 'उकरास' में लिख्यो है-'राजस्थानी कहाणी में लुगाई नै आपरी बात कैवण रो-साची केवा तो एकदम खुल'र कैवण रो- मौको देवाणिया चंद्र जीवण रा केई ऐड़ा अछूता पख उजागर करया है जिका फगत उणा री कहाणियां में ई लाधै।'
राजस्थानी री हिन्दी में धूम मचावणियां चंद्र जी बरसां पैली 'कालबोध' पत्रिका रो संपादन करयो। राजस्थानी कालजयी कहाणियां और राजस्थानी की प्रतिनिधि कहाणियां रो संपादन ई आपरो जस जोग काम है जिको बरसां याद करीजैला। चंद्र जी रै हिंदी लेखन में राजस्थानी घर, परिवार, समाज, देस अर इतिहास बोलै। राजस्थान में हिंदी में सबसूं बेसी लिखण वाळा चंद्र जी है। 'बिणजारो' पत्रिका खातर म्हैं चंद्र जी सूं बंतळ करी। एक सवाल रै जवाब में बां कैयो- 'आज ई म्हैं राजस्थानी में जितो लिख्यो है, उणा खातर कोई प्रकाशन री कोई व्यवस्था कोनी।आ म्हारी मजबूरी ही कै जिकी चीजां म्हनै मायड़ भाषा राजस्थानी में लिखणी ही.....लिखणी चावतो हो, वै म्हैं हिंदी राष्ट्रभाषा में लिखी।'
'आपणी भाषा-आपणी बात' रा बांचणियां नै अठै ओ कैवणो बिरथा हुवैला कै यादवेंद्र शर्मा 'चंद्र' जिण राजस्थानीरो सपनो देख्यो बो आपां नै पूरो करणो है। सपनो साचो हुयां ई बा नै साची श्रद्घाजंली हुवैला।
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आपणी भाषा-आपणी बातमुळकण लागी चूंतरी,
पणघट चढ़रयो छोळ
-रामदास बरवाळी
पणघट चढ़रयो छोळ
-रामदास बरवाळी
मुळकण लागी चूंतरी, पणघट चढ़रयो छोळ।
छमछम पायल बाजणी, मारू करै किलोळ।।
होळी री उमंग चौफेर पसरी। रग-रग नाचै। जबान भी कठै बस री! रंगीलो फागण। रांग-रंगीली होळी। मटकै पोरी-पोरी। गावै भेळी होय'र- बीनण्यां, लुगायां, बडेर्यां अर छोरी- 'होळी ए तेरो लांबो टीको, लांबै डस री डोरी। डोर कढाई ख्याली बीरै, बीं री भवड़ गोरी। गोरी है तो दही जमाल्यो, टाबर खेलै होळी। ओढ झड़ूलो खेलण लाग्या, रिमझिम-रिमझिम होळी।' रिमझिम-रिमझिम रंग बरसै। अंग-अंग सरसै। पणघट में पणिहार। हेत-बाजणी छमछम बाजै। बीनणी हेलो साजै। सिर पर घड़ो ऊंचाय, पैड़ियां ढळै। होळी रा गीत मीठा। उतरै गळै। चूंतरी-पणघट-कुवां-बावड़ी, गूंजै गीतां रो गजरो। जियां ब्याव मंड्यो व्है सजरो। करै मारू ढोलै नै मुजरो।छमछम पायल बाजणी, मारू करै किलोळ।।
कह मारू, इण चांदणी, सुणो भंवर मोरी बात।
तूं छोटो संपळोटियो, मैं नागण दो-दांत।।
कटै काळजो बालमा, सुण होळी रा गीत।
नैणां मिलज्या पाटड़ा, जोबन मिलगी भींत।।
तूं छोटो संपळोटियो, मैं नागण दो-दांत।।
कटै काळजो बालमा, सुण होळी रा गीत।
नैणां मिलज्या पाटड़ा, जोबन मिलगी भींत।।
'पांच बरस रो परण्यो जी, पच्चीसां ढळ गई नार। बालम छोटो-सो। कुम्हारां रै जाऊं तो ढोलो लारै-लारै जाय। म्हानै घोड़ियो दिरायदे म्हारी नार, बालम छोटो-सो। घोड़ियो दिरावै थारा माय'र बाप। म्हानै लाजां मत मारो भरतार, बालम छोटो-सो! छोटो तो मोटो गोरी मतना करो, कोई राख मरद री लाज, मोटो होय जासी।'
उठै हिवड़ै भांत-भांत री तरंग। रूं रूं रमै होळी रो रंग। दे दे गे़डा डुलै काळै नाग दाँईं। कई बिचाळै बैठी एडी बजावै। गावै- 'मेरै सुसरै री भैंस, पाणी प्यावण गई, मिंडकी नै मारी लात, मेरो जोबन मटकै। कदे आगै मटकै, कदे लारै मटकै। कदे पाछै मटकै, कदे न्यूं मटकै।' गूंजै मोवणा गीत। बाजै ताळी-पटका। गावै जकड़ी। करै लटका। 'मेरा पैरण गा दामण खूंटी धर्या, गूंजण में बड़ गयो बिच्छु़डो। मनै खा गयो रंगीलो बिच्छु़डो। सुसरै जी गा झाड़्या बिच्छु ना झड़ियो, मेरै दूणी-दूणी अगन लगा गयो....' जेठ अर देवर रो झाड़्यो भी नीं झड़्यो तो... 'बालमजी गा झाड़्या बिच्छु इब झड़ियो, मेरी सारी-सारी अगन मिटा गयो ए, मनै खा गयो रंगीलो बिच्छु़डो।'
सिंझ्या रो काम संवेट लुगायां-छोरियां आप-आपरै बास में चूंतरियां पर भेळी होवै। होळी रै गीतां री रमझोळ, सुणीजै गळी-गळी। खिलै हिवड़ै री कळी-कळी। मस्त महीनै री मस्ती छाई है। होळी आई है। होळी आई है।
आज रो औखांणो
गावण वाळी जीभ अर नाचण वाळा पग सचळा नीं
गाने वाली जीभ व नाचने वाले पाँव चुप नहीं रहते।
गावण वाळी जीभ अर नाचण वाळा पग सचळा नीं
गाने वाली जीभ व नाचने वाले पाँव चुप नहीं रहते।
जिसका जैसा स्वभाव होता है वह अजाने ही प्रकट होकर रहता है।
आपका ब्लाग काफी सुंदर प्रयास है.
ReplyDeleteवेब की दुनिया में आप सचमुच अच्छी कोशिश कर रहे हैं. कागजी पन्नों से इतर इस आभासी दुनिया में
भी राजस्थानी, आपणी भाषा की बात, चर्चा देख अच्छा लगा.
थारा प्रयास स्तुत्य है
एक ब्लाग रो लिंक भेजूं थे देखियो..
सादर,
पृथ्वी परिहार
नई दिल्ली
http://kankad.wordpress.com/
Prem serdhye,
ReplyDeleteSh Niraj Deyia ji.
Ek kethakar-Rechnakar ro jano bhut hi dukhdayi huve.Yadvender sharma mahnye bhut kuch dgeya.Ager vh rehta to aur bhut kuch manhney deta.mhye kuch aur su venchit reh gaya.veh mahne ito kuch dgaya hai Ab mahro kam hai vineye sembhal ker rakhnye ko.
Ek kethakar kedye koni mare vo hamesh jindia revhe hai.mahne banka ahsanmend hai ki veh rajasthani aur hindi don mai bhut kuvh dygeya hai.
Mai salam karu Desh re yashasvi kathakaar sahityakar nai. Mhari Dil su vinamra Sachhi Shraddhanjali hai.
Banki kahaniya Dhora,aur khejari ri terh adig kheri hai.
NARESH MEHAN
9414329505
sagla minkha ne hi o blog chokho lage ar lage kyu ni o h hi jabro dekhne wale ro ji soro hoy jave. aap loga ri aa khechal rang lave jana huve.ar aas h ke ab khana din udik ni rakni pade. jai rajasthan jai rajasthani.
ReplyDeleteTHANE EK BATT ORU BATAWANI CHAWOO KE RAJENDER JI AR BARA DUJA PADADIKARI MANE BIKANER SAMBHAG RO PATVI(ADYAKSH)PAD RO BHAR SUMPYO HAIN.MHARI TAKAT SARU HU HAMESHA RAJASTHANI SARU MANYATA ANDOLAN SU JUDYODO REVOOLA JAD TAI RAJASTHANI NE MANYATA NI MIL JAVELA.
JAI RAJASTHAN,JAI RAJASTHANI
HARIRAM BISHNOI
SAMBHAG PATVI BIKANER
RAJASTHANI MOTYAR PARISAD
9214164455
(MOTYAR PARISAD BI)
राजस्थानी में ब्लॉग देख कर खुशी हुई , आप सभी बधाई के पात्र है ,
ReplyDeleteइन्टरनेट पर ये अछी शुरूवात है आगे चल कर हमें एक वेब पोर्टल का निर्मान करना होगा !
आशा है भविष्य में लेख मिलते रहेगे !
धन्यवाद !
उमा शंकर लखोटिया, राजियासर
RAJASTHANIYO RI HAI PUKAR,
ReplyDeleteSEVIDHAN ME BHASA NE ADHIKAR,
NHI TO RAJASTHAN RI JENTA SAGE KHILVAD,
OR RAJASTHAN RA RAJNETAVA NE DHIKAR,
DUB MERO PANE ME KALO MUNDO KRAR..AMIT RAJASTHANI
AMIT JOSHI
MOTYAR PRIESED.
MOB. NO. 9929969191
Rajasthani bhasa bdi suhavni
ReplyDeletejne e to enro metev rajnetava ni janye
abe hi jan lo en ri bani, or bolen lago aa bani.
ni to dub mro kunve me ketem kerlo aapri koeni.
mne o pryas gno choko lagyo per kae kru heye ri tees nikalni hi pde to en re sayre su nikal riyo hu.dhnyvad danik bhasker ro.
rakesh vyas
9928462576
yadvendra sharma ji ne sat-sat naman..!
ReplyDeleteRaj Bijarnia
Loonkaransar
soniji, eak suzaaw hai, 'aapni bhasha' ke jitne bhee lekh aap is blog par daal rahe hai to lekhak ke naam ke saath hi unka mo.no. aur email bhee dena chahiye.
ReplyDeleteblog dekhne waale unhe bhee to badhai de sakenge.
...kirti rana
soniji, mera eak suzaw hai.
ReplyDelete'AAPNI BHASHA'ke jo lekh aap blog par daal rahe hai, unke lekhako ke naam ke saath mo.no.aur email bhi dena chahiye.
blog dekhne wale unhe bhi apni bhawana bata sakenge.
--kirti rana
rajasthani me o peryog aage jar chokho rang lya se o maharo viswas h. the to bus lagya revo. rana ji,soni ji ar bhae vinod ne ghana ghana rang ar badhae.
ReplyDeleteVinod Nokhwal
Pilibangan
# 99501-04641