आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २६/३/२००९
दीठमान जग रै सरूपोत में बिरमा जी परगट्या। एकला डरप्या। साथ री गरज पाळी। खुद रै ई रूप सूं देवी परगटाई।इण सारू बिरमा अर सगत में राई-रत्ती रो ई भेद नीं मानीजै। महादेवी कैवै- म्हैं अर बिरम सदीव एक हां। बुद्धि रै भरम सूं ई भेद लखावै। इणी जग जामण शून्य जगत नै पूरण करियो। महादेवी यानी महालक्ष्मी देवियां अर देव परगटाया। महालक्ष्मी पैली महाकाळी अर महासरस्वती नै प्रगट करी। भळै आं दोन्यां नै एक-एक स्त्री-पुरूष सिरजण री आज्ञा दीवी। खुद बिरमां अर लक्ष्मी नै सिरज्या। महाकाळी शंकर अर त्रयी नै। महासरस्वती विष्णु अर गौरी नै। पछै आपस में जोड़ा बनाया। शंकर-गौरी, विष्णु-लक्ष्मी, बिरमा-त्रयी(सुरसत) रा जोड़ा बण्या। भळै बिरमां अर सुरसत जगत रच्यो। विष्णु अर लक्ष्मी जगत नै पाळ्यो। शंकर अर गौरी परळैबेळा में जगतसंहार करियो।
महालक्ष्मी-महाकाळी अर महासरस्वती ई नौ देवियां परगट करी। शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी अर सिद्धिदात्री। आं रा दूजा रूप है-चामुंडा, वाराही, ऐन्द्री, वैष्णवी, महेश्वरी, कौमारी, लक्ष्मी, ईश्वरी अर ब्राह्मामी। नोरतां में इणी नौ देवियां री पूजा देवी भागवत मार्कण्डेय पुराण अर दुर्गासप्तसती में बताई विधि मुजब नौ दिनां तक होवै। पैलै दिन केश-संस्कार। दूजै दिन केश गूंथण-संस्कार। तीजै दिन सिंदूर-आरसी संस्कार। चौथै दिन मधुपर्क तिलक संस्कार। पांचवै दिन अंगराग-आभूषण संस्कार। छठै दिन पुष्पमाळा संस्कार। सातवैं दिन ग्रहमध्य पूजा। आंठवैं दिन उपवास अर पूजन। नौवैं दिन कुमारी पूजा। कुमारी कन्यावां नै जीमाइजै। दसवैं दिन पूजा करणियैं री पूजा अर जीमण, दान-दखणां। नौ रातां ताणी एकत करै। इणी कारण ऐ नौ दिन नोरता बजै।
तारीख- २६/३/२००९
आओ, म्हारै कंठां बसो भवानी
आपणी भाषा-आपणी बात स्तंभ में आज सूं रामनवमी तांईं आपां राजस्थानी रा लूंठा लिखारा ओम पुरोहित 'कागद' रा नवरात्रां रै मंगळ मौकै सारू लिख्योड़ा खास लेख बांचस्यां। 27 मार्च नै घटस्थापना रै साथै ई देवी आराधना रा अनुष्ठान सरू व्है जावैला। 'आओ, म्हारै कंठां बसो भवानी' लेखमाळा रै पैलै दिन आज जाणो नोरतां रो पूजन विधान।सदा भवानी दाहिनी
-ओम पुरोहित कागद
राजस्थान रजपूतां-रणबंका री खान। पण सारू रण। पण पाळै अर रण भाळै। जीत री पाळै हूंस। हूंस पण स्यो-सगत रो वरदान। इणीज कारण स्यो रा गण भैरूं अठै पूजीजै। मां सगत दुरग रूखाळी। इणीज कारण दुरगा बजै। रणबंका खुद नै सगत रा पूत बतावै। मरूधरा रै कण-कण में रण री छाप। रण री देवी रणचंडी री ध्यावना आखो राजस्थान करै। नोरतां में तो कैवणो ई काँईं।घर-घर दुरगा री पूजा हुवै। सरूपोत में गजानंद महाराज अर सुरसत सिंवरीजै। भळै मात भवानी ध्यावै।-ओम पुरोहित कागद
सिमरूं देवी सारदा। गुणपत लागूं पांय।।
सदा भवानी दाहिनी, सन्मुख होय गणेश।
पांच देव रक्षा करै, ब्रह्मा विष्णु महेश।।
एक साल में च्यार नोरता आवै। चैत, आसाढ, आसौज अर माघ रै चानण पख री एक्युं सूं नौमीं ताईं। चैत रा नोरतां नै वासन्तिक नौरता। आसाढ अर माघ रा नोरता गुप्त नोरता। आसोज रा नोरता बजै शारदीय नोरता। नोरता में जगजामण मां भागोती रै सैंकड़ूं रूपां री पूजा होवै। तीन मूळ देवियां- महालक्षमी, महाकाळी अर महासरस्वती। शक्ति रा उपासक आं री ध्यावना करै। शक्ति रा उपासक इणी पाण शाक्त बजै।सदा भवानी दाहिनी, सन्मुख होय गणेश।
पांच देव रक्षा करै, ब्रह्मा विष्णु महेश।।
दीठमान जग रै सरूपोत में बिरमा जी परगट्या। एकला डरप्या। साथ री गरज पाळी। खुद रै ई रूप सूं देवी परगटाई।इण सारू बिरमा अर सगत में राई-रत्ती रो ई भेद नीं मानीजै। महादेवी कैवै- म्हैं अर बिरम सदीव एक हां। बुद्धि रै भरम सूं ई भेद लखावै। इणी जग जामण शून्य जगत नै पूरण करियो। महादेवी यानी महालक्ष्मी देवियां अर देव परगटाया। महालक्ष्मी पैली महाकाळी अर महासरस्वती नै प्रगट करी। भळै आं दोन्यां नै एक-एक स्त्री-पुरूष सिरजण री आज्ञा दीवी। खुद बिरमां अर लक्ष्मी नै सिरज्या। महाकाळी शंकर अर त्रयी नै। महासरस्वती विष्णु अर गौरी नै। पछै आपस में जोड़ा बनाया। शंकर-गौरी, विष्णु-लक्ष्मी, बिरमा-त्रयी(सुरसत) रा जोड़ा बण्या। भळै बिरमां अर सुरसत जगत रच्यो। विष्णु अर लक्ष्मी जगत नै पाळ्यो। शंकर अर गौरी परळैबेळा में जगतसंहार करियो।
महालक्ष्मी-महाकाळी अर महासरस्वती ई नौ देवियां परगट करी। शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी अर सिद्धिदात्री। आं रा दूजा रूप है-चामुंडा, वाराही, ऐन्द्री, वैष्णवी, महेश्वरी, कौमारी, लक्ष्मी, ईश्वरी अर ब्राह्मामी। नोरतां में इणी नौ देवियां री पूजा देवी भागवत मार्कण्डेय पुराण अर दुर्गासप्तसती में बताई विधि मुजब नौ दिनां तक होवै। पैलै दिन केश-संस्कार। दूजै दिन केश गूंथण-संस्कार। तीजै दिन सिंदूर-आरसी संस्कार। चौथै दिन मधुपर्क तिलक संस्कार। पांचवै दिन अंगराग-आभूषण संस्कार। छठै दिन पुष्पमाळा संस्कार। सातवैं दिन ग्रहमध्य पूजा। आंठवैं दिन उपवास अर पूजन। नौवैं दिन कुमारी पूजा। कुमारी कन्यावां नै जीमाइजै। दसवैं दिन पूजा करणियैं री पूजा अर जीमण, दान-दखणां। नौ रातां ताणी एकत करै। इणी कारण ऐ नौ दिन नोरता बजै।
नोरतां रो पूजन विधान
पैली घट थापना होवै। बेकळा री वेदी थरपीजै। वेदी में जौ-कणक रा ज्वारा बाईजै। इण माथै सोनै, चांदी, तांबै या माटी रो कळसियो धरै। कळसियै माथै देवी री फोटू लगावै। फोटू ना होवै तो कळसियै रै लारै साथियो। असवाड़ै-पसवाड़ै त्रिसूळ। पोथी या साळगराम धरै। पैलै नोरतै में स्वस्तिवाचन अर शान्ति पाठ कर'र संकळप लेईजै। भळै गणपत, षोडष मात्रिका, लोकपाळ, खेतरपाळ, नवग्रह, वरूण, ईष्टदेव री ध्यावना करै। प्रधान देवळ री षोडषोपचार सूं पूजा होवै। अनुष्ठान में महाकाळी अर महासरस्वती री पूजा होवै। नौ दिन तक दुर्गा-सप्तशती रा पाठ करै। नौ रातां दिवळो चेतावै। आधीरात, भखावटै अर दिनूगै जोत करीजै। सम्पदा चावणियां आठवैं दिन अर आखी धरती रै राज री मनस्या राखणियां नौवैं दिन माताजी री कढ़ाई करै। कढ़ाई रै दिन कुमारी पूजन होवै। कन्यावां नै देवी मान पग धोय'र गन्ध पुहुप सूं पूजा करियां पछै जीमावै। चूनड़ी-गाभा भेंटै। नोरतां में कन्यावां री पूजा रा फळ बखाणीजै। एक सूं एश्वर्य। दो सूं भोग अर मोक्ष। तीन सूं धर्म अर्थ अर काम। च्यार सूं राज्यपद पांच सूं विद्याङ्क्तबुद्धि। छै सूं षटकर्म सिद्धि। सात सूं राज्य। आठ सूं सम्पदा अर नौ सूं पिरथी री प्रभुता मिलै । दस वर्ष सूं कम री कन्यावां न्यारी-न्यारी देवी मानीजै। दो बरस री कन्या कुमारी। तीन बरस री त्रिमूर्तिनी। च्यार बरस री कल्याणी। पांच बरस री रोहिणी। छै: बरस री काळी। सात बरस री चंडिका। आठ बरस शाम्भवी। नौ बरस री दुर्गा अर दस बरस री कन्या सुभद्रा या स्वरूपा बजै।
Aaderjog,
ReplyDeletePandit ji,RAM-RAM SA,
mahre kantha beso bhawani.Nortye re mangel mokye p tharo o serdha ,senskirti ko paviter lekh vanchiyo.e khatir thanye sadhu-bad.
NARESH MEHAN