आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १३/३/२००९
पंजाबी जात रो कवि बुल्लेशाह मनुवादी जात नै आडै हाथां लेवतां कैवै-
इण जात री एक खासियत और कै आ फगत खुद रो ई नीं, बीजी जात रो ई आदर करै। उण नै अणूंतो मान देवै। हेलो मार आपरै आंगणै बुलावै अर भर बांथ मिलै। अनुवाद रै ब्याण बैठ जद आपणै अठै कोई बिदेसी भासा आवै तो आपणी भासा बाग-बाग हुज्यै। बीं नै काळजै में जिग्यां देवै अर पछै आप रै रंग में रंग'र आप जिसी करल्यै। खुद में बदळ ल्यै। किणी पावणै नै खुद में बदळ लेवणो मनवार री छेहली सींव। आ मनवार तो- 'साजन आया ए सखी, कांईं भेंट करां? थाळ भरां गज मोतियां, ऊपर नैणं धरां' सूं ई सौ गुणी है। इणी मनवार रै कारण गोर्की, मोपासां अर ओ हेनरी आपणा-सा लागै। अर इणी जात रै कारण आपां विश्व मंच पर भेळा होवां। आखी दुनिया नै एक करै आ जात।
तारीख- १३/३/२००९
एक हांडी में रांधै अर
एक थाळी में जिमावै
-रामस्वरूप किसान
भासा मिनख री सांची जात। पुख्ता जात। जात रो मतलब पिछाण। औळखाण। हिंदी रा नामी समीक्षक अर चिंतक डॉ। रामविलास शर्मा इणी जात नै असल जात मानी। बां रै मुजब हिंदी, बांग्ला, पंजाबी, गुजराती, मराठी, तेलुगु, तमिल, मलयालम, राजस्थानी आद बठै रै रैवासियां री जात है। इण जात मुजब आपां राजस्थानी हां। आ जात आपां नै ने़डै-ने़डै ल्यावै। एक मंच पर भेळा करै। एक थाळी में जिमावै। सगळां रा मन मिलावै। ईद, होळी अर लोहड़ी नै रळम-पळम करै। निकाह, फेरा अर ग्रंथसाहब रै पाठ नै एक सुर देवै। भासा री जात घिरणा भानै। प्रेम जगावै। एक-दूजै रै बांथां भरावै। इण जात रा सै भाई कुहावै। इण जात री एक खास बात कै आ कू़डी अर नकली जात, धरम अर संप्रदाय री करतूतां संवारै। बांरा भरणा भरै। अळुझायोड़ा सुळझावै। बिगाड़योड़ा संवारै। फाटियोड़ा सीमै। बां रै हाथां करियोड़ा घावां पर पाटा बांधै। बां रै खिंडायोड़े नै जचावै। तोड़ीयोड़े नै सांधै। भासा री जात एक हांडी में रांधै अर एक थाळी में जिमावै। एक थाळी में जिमावै
-रामस्वरूप किसान
पंजाबी जात रो कवि बुल्लेशाह मनुवादी जात नै आडै हाथां लेवतां कैवै-
चल बुलेआ, चल उत्थे चलिए
जित्थे सारे अन्हे।
नां कोई साडी जात पिछाणे
ना कोई मैनूं मन्हे।
कवि झूठी जात सूं आखतो होय'र जगां छोड़णी चावै। बो बठै जाणौ चावै, जठै फगत भासा री सांची जात हुवै।जित्थे सारे अन्हे।
नां कोई साडी जात पिछाणे
ना कोई मैनूं मन्हे।
इण जात री एक खासियत और कै आ फगत खुद रो ई नीं, बीजी जात रो ई आदर करै। उण नै अणूंतो मान देवै। हेलो मार आपरै आंगणै बुलावै अर भर बांथ मिलै। अनुवाद रै ब्याण बैठ जद आपणै अठै कोई बिदेसी भासा आवै तो आपणी भासा बाग-बाग हुज्यै। बीं नै काळजै में जिग्यां देवै अर पछै आप रै रंग में रंग'र आप जिसी करल्यै। खुद में बदळ ल्यै। किणी पावणै नै खुद में बदळ लेवणो मनवार री छेहली सींव। आ मनवार तो- 'साजन आया ए सखी, कांईं भेंट करां? थाळ भरां गज मोतियां, ऊपर नैणं धरां' सूं ई सौ गुणी है। इणी मनवार रै कारण गोर्की, मोपासां अर ओ हेनरी आपणा-सा लागै। अर इणी जात रै कारण आपां विश्व मंच पर भेळा होवां। आखी दुनिया नै एक करै आ जात।
आज रो औखांणो
एक तवै री रोटी, के छोटी के मोटी !
छोटी-मोटी बातों के लिए शिकवा-शिकायत करना उचित नहीं।
एक तवै री रोटी, के छोटी के मोटी !
छोटी-मोटी बातों के लिए शिकवा-शिकायत करना उचित नहीं।
Prem Serdhye,
ReplyDeleteSh Ramsawroop ji
Nameskar,
Ek Handi mai randhye ar ek thali mai jimave,Ram sawroop ji ghano hi puthro likyo hai.Basha koi bhi ho vo jat pat koni dekhye. bhasha amirt jisi huve.vi amrit nai theye kiyn berto o tharye uper hai.Aa baat Bulhe shaa bhut pehlye likh geyo. ki bullya bhetye chall jatheye saglla andha huve bethye mahri koi jat nahi puchye.n hi mahnye koi manye.Bullhe sahaa ko yaad ker khatir thanye sadhu bad.Tharo jat-pat re upper o lekh bhut hi paviter or payro ho.
Bhai SATYANARYAN, VONOD.
Tharo aaj ro Okhanno bhi bhut prrenadyak ho.
NARESH MEHAN
9414329505