आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २२/३/२००९
आपणी भाषा री मठोठ देखो। चूल्है में आग बाळणो नीं, चूल्हो चेतन करणो कैईजै। मरणै नै सौ बरस पूगणो। दुकान बंद करणै नै दुकान मंगळ करणो। दीयो बुझावण री ठोड़ दीयो बडो करणो। घटती नै बढती। मारणै नै हिंडावणो या धोबा देवणो। लूण नै मीठो। गुण बायरै नै रंगरूड़ो का रोहिड़ै रो फूल। पाणी में चीज न्हाखण नै पधरावणो। जावणै नै पधारणो। जांवण री इग्या मांगणियै नै जा' री ठोड़ 'बेगो आई' कैवणो। कठै जावै पूछणो होवै तो पूछीजै सिधसारू, पण कठकारो नीं देईजै।
कांण-मोकाण में लोकाचार। मरियोड़ै री 12 दिन बैठक। मरियोड़ै रै समचार नै चिट्ठी। अस्त चुगण नै फूल चुगणो। इणी कारण पुहुप नै फूल नीं कैईजै। सांप रै डसण नै पान लागणो। मरियोड़ै टाबर नै माटी देवणै नै आडै हांथां लेवणो। साग-सब्जी नै काटणो नीं, बंधारणो का सुंवारणो कैईजै। ओसर-मोसर, कारण-ऐढां माथै जीमण सारू बुलावण नै नूंतो। फगत बुलावण सारू तेड़ो। जवाई नै तेड़ो। गीतां रो तेड़ो। मैं'दी-पीठी रो तेड़ो। उच्छब-रैयाण रो तेड़ो कैईजै। जकै रै बाप नीं होवै बो बापड़ो। मा रै जिको चिप्यो रैवै बो मावड़ियो। हांचळ सूं दूध नीं पीवै, पण आंगळ्यां सूं कुचरणी करै बो कुचमादी। सासरै जांवती छोरी रै कूकणै नै बिराजी होवणो। पोतियो गमी में पै'रीजै। जींवतै रो सिराणो उतरादै नीं करीजै। बडेरो मरियां बाळ कटावणै नै भदर होवणो कैईजै। आडै दिनां दाड़ी-मूंछ नीं कटाईजै। दाड़ी-मूंछ मायतां रै मरियां ई कटाईजै। पण बाळ कटावण नै सुंवार करावणो कैईजै। यानी बात साफ है कै काटणो अर कटावणो कैवणो ई कोनी। एक सोरठो चेतै आवै-
हाजत-आफत सारू बी न्यारा सबद। गा छंगास। मिनख पाळी। सांढ-ऊंठ चीढै अर भैंस मूत करै। पण अब तो मिनख मूत करण लागग्या। निमटणै री संका नै हाजत। निमटणै नै संका भांगणो। जंगळ जावणो। दिसा जावणो। फिरणो। बन जावणो। भरिया करण का छी छी जावणो कैईजै। पैसाब करण नै संको पालणो, भीजिया का नाडो खोलणो कैईजै। रितु धरम नै गाभा।
रोटी खास्यूं कैयां बडेरा कैवै डाकी है के? ईं सारू सबद है जीमण। जीमण सारू थाळी लगावणो। पुरसणो। जिमावणै नै पुरसगारी अर जिमावणियै नै पुरसगारो कैईजै। बातां तो भोत है, पण बडेरां खनै बैठ्यां ई लाधै।
आज रो औखांणो
हंसा सरवर ना तजो, जे जळ खारो होय।
डाबर-डाबर डोलतां, भला न कहसी कोय।।
हे हंसो, यदि जल खारा है तो भी सरोवर मत छोड़ो। पोखर-पोखर डोलने से कोई तुम्हें भला न कहेगा।
जिस भूमि और जल से हमारा सीर-संस्कार जुड़ा है, उसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। वरना कहीं भी कद्र नहीं होगी।
तारीख- २२/३/२००९
राजस्थानी सबद अर संस्कार
-ओम पुरोहित 'कागद'
राजस्थानी भाषा जित्ती मीठी, बित्ती ई संस्कारी। संस्कारां री छिब पग-पग माथै। खावण-पीवण, पैरण-ओढण, उठण-बैठण में संस्कार। बोलण-बतळावणं में संस्कार। सबदां रा संस्कार सिरै। कैबा कै बाण रा घाव मिटै, पण बोली रा घाव नीं मिटै। इण सारू सावचेती सूं बोलणो। बोलण सारू बगत-घड़ी, वेळा-कुवेळा अर ठोड़-ठिकाणों देखणो। ऊंच-नीच अर काण-कायदो देखणो। बो' ई सबद बपरावणो, जकै री दरकार। मांदो नीं बोलणो। नन्नो नीं बरतणो। यानी नकार नीं बरतणो। बडेरा सिखावै कै नीवड़णो, बंद करणो, कमती होवणो, बुझावणो, आग लगावणो जेड़ा सबद नीं बोलणा। नीं, कोनी अर खूटणो मूंडै सूं नीं काढणो।-ओम पुरोहित 'कागद'
आपणी भाषा री मठोठ देखो। चूल्है में आग बाळणो नीं, चूल्हो चेतन करणो कैईजै। मरणै नै सौ बरस पूगणो। दुकान बंद करणै नै दुकान मंगळ करणो। दीयो बुझावण री ठोड़ दीयो बडो करणो। घटती नै बढती। मारणै नै हिंडावणो या धोबा देवणो। लूण नै मीठो। गुण बायरै नै रंगरूड़ो का रोहिड़ै रो फूल। पाणी में चीज न्हाखण नै पधरावणो। जावणै नै पधारणो। जांवण री इग्या मांगणियै नै जा' री ठोड़ 'बेगो आई' कैवणो। कठै जावै पूछणो होवै तो पूछीजै सिधसारू, पण कठकारो नीं देईजै।
कांण-मोकाण में लोकाचार। मरियोड़ै री 12 दिन बैठक। मरियोड़ै रै समचार नै चिट्ठी। अस्त चुगण नै फूल चुगणो। इणी कारण पुहुप नै फूल नीं कैईजै। सांप रै डसण नै पान लागणो। मरियोड़ै टाबर नै माटी देवणै नै आडै हांथां लेवणो। साग-सब्जी नै काटणो नीं, बंधारणो का सुंवारणो कैईजै। ओसर-मोसर, कारण-ऐढां माथै जीमण सारू बुलावण नै नूंतो। फगत बुलावण सारू तेड़ो। जवाई नै तेड़ो। गीतां रो तेड़ो। मैं'दी-पीठी रो तेड़ो। उच्छब-रैयाण रो तेड़ो कैईजै। जकै रै बाप नीं होवै बो बापड़ो। मा रै जिको चिप्यो रैवै बो मावड़ियो। हांचळ सूं दूध नीं पीवै, पण आंगळ्यां सूं कुचरणी करै बो कुचमादी। सासरै जांवती छोरी रै कूकणै नै बिराजी होवणो। पोतियो गमी में पै'रीजै। जींवतै रो सिराणो उतरादै नीं करीजै। बडेरो मरियां बाळ कटावणै नै भदर होवणो कैईजै। आडै दिनां दाड़ी-मूंछ नीं कटाईजै। दाड़ी-मूंछ मायतां रै मरियां ई कटाईजै। पण बाळ कटावण नै सुंवार करावणो कैईजै। यानी बात साफ है कै काटणो अर कटावणो कैवणो ई कोनी। एक सोरठो चेतै आवै-
मरता जद माईत, मूंछ मुंडाता मानवी।
रोज मुंडावण रीत, चाली अद्भुत चकरिया।।
रोज मुंडावण रीत, चाली अद्भुत चकरिया।।
हाजत-आफत सारू बी न्यारा सबद। गा छंगास। मिनख पाळी। सांढ-ऊंठ चीढै अर भैंस मूत करै। पण अब तो मिनख मूत करण लागग्या। निमटणै री संका नै हाजत। निमटणै नै संका भांगणो। जंगळ जावणो। दिसा जावणो। फिरणो। बन जावणो। भरिया करण का छी छी जावणो कैईजै। पैसाब करण नै संको पालणो, भीजिया का नाडो खोलणो कैईजै। रितु धरम नै गाभा।
रोटी खास्यूं कैयां बडेरा कैवै डाकी है के? ईं सारू सबद है जीमण। जीमण सारू थाळी लगावणो। पुरसणो। जिमावणै नै पुरसगारी अर जिमावणियै नै पुरसगारो कैईजै। बातां तो भोत है, पण बडेरां खनै बैठ्यां ई लाधै।
आज रो औखांणो
हंसा सरवर ना तजो, जे जळ खारो होय।
डाबर-डाबर डोलतां, भला न कहसी कोय।।
हे हंसो, यदि जल खारा है तो भी सरोवर मत छोड़ो। पोखर-पोखर डोलने से कोई तुम्हें भला न कहेगा।
जिस भूमि और जल से हमारा सीर-संस्कार जुड़ा है, उसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। वरना कहीं भी कद्र नहीं होगी।
Pandit ji
ReplyDeleteRam-Ram sa,
Tharo Rajasthani sawed or senskar pedyo.kisa sawed ki jighye bertena chhiye o thye ghenyo hi slikye su betyo hai.sewda nai ager trikye su bertiyo javye to biko res hi bedyo mitho aavye.jiya sidhsaru sa dukan mangel kerno,diyo bedo kerno.isa sewed su samnye bale ro ji soro ho javye.Mithha sewda ri fulbari or sughend khatir thanye dhanyabad.
Bhai,
Satynaryan,Vinod,
Nameskar,
Aaj re Okhanyo Hansa server na tejo.Jai jal kharo hoi.Ghano hi Aachho lagyo.DHANYABAD.
NARESH MEHAN
9414329505
ओमजी, हुकम आपरौ लेख घणौ दाय आयौ. बांच’र घणी माहिती (जाणकारी) हासल व्ही.
ReplyDeleteएक दो सबद म्हें ईं जाणु हूं, आपरै अर दूजा बाचकां वास्तै अठै लिखू हूं, गलती हुवै तौ माफी चावूं.
दुकान बंद करणी : दुकान बधावणी
होळी बालणी : होळी मंगळावणी
बंगड़ी तोड़णी या हाथ सूं काढणी (not sure) : मुठीयौ वड़ौ करणौ
मरग्यौ : चलग्यौ (चल्यौ)
दूजा घणा सबद है, पण हाल बोली सूं आगा हुय ग्या है सो द्यांन मांय नीं आय रह्या. याद आया पाछा update करूंला.