टिचकारयां चालै, बुचकारयां थमै
मोहम्मद अमीन छींपा रो जलम 1 अगस्त, 1963 नै भादरा तहसील रै गांव मळसीसर मांय हुयो। ग्राम्य लोक समाज रा सांतरा चितेरा। आपरी रचनावां पत्र-पत्रिकावां में छपती रैवै। आज आपरो ओ लेख-
बांचो
बांचो
-मोहम्मद अमीन छींपा
राजस्थानी भासा में मिठास घणो। मरूधर रै कण-कण में मिठास। अठै अंतस री आवाज मिनख भी समझै अर जीव-जिनावर भी। मिनख रै अंतस रो भाव जीव-जिनावर अर जीव-जिनावर री वेळा-कुवेळा निकळी बोली नै मिनख समझै। सुण'र अंदाजो भरै। समै अर काळ सूं जोड़ै। सूण-कसूण सूं जोड़ै।
कित्ती निराळी बात कै टिचकारयां पसु चालै तो बुचकारयां थमै। पीठ पर थापी मारयां भैंस पावसै तो अड्यो-अड्यो बोल्यां घणो हेज करै। धिराणी रै कनै आवै। चिमठी सूं दुहारकी बणै। छी-छी बोल्यां पाणी पीवै। हीयो-हीयो बोल्यां गाय हेज करै। जै-जै बोल्यां ऊंट बैठै तो तुवक-तुवक करयां पाणी री चरड़क भरै। और्रक-और्रक बोल्यां टोडारू आवै तो कर्रक-कर्रक करयां झोटो। पूस-पूस बोल्यां मिनकी आवै तो छिर-छिर बोल्यां पाछी जावै। चै-चै बोल्यां छाळी आवै तो ठिरर-ठिरर बोल्यां भेड जावै। डरिक-डरिक बोल्यां खागड़ दड़ूकै तो हीयो-हीयो बोल्यां गाय।
जिनावरां री बोली रा ई लूंठा अर निराळा नांव। गाय रांभै तो भैंस रिड़कै। छाळी मिमियावै तो ऊंट अर डाग अरड़ावै। कुत्तो भूंसै। कूकरियां यानी कूरियां सारू कैबा चालै- 'अठारियो अटकै, उनीसीयो पटकै अर बीसीयै रै मूँडै मांय चुसियो लटकै ।' पंजां में अठारा, अन्नीस अर बीस नूरियां रै आधार पर न्यारा-न्यारा नांव। आधी रात नै मोर किरळायोड़ा अर कुत्ता कूके़डा माड़ा मानीजै। कैवै- आज तो मोरिया कोजा कूकै। भाइयो, कै तो धरणी धूजसी कै कोई बूढो-ठेरो जा'सी। दूहो है-
रातां बोलै कागला, दिन में बोलै स्याळ। कै नगरी रो राजा मरै, कै पड़ैलो काळ।।
स्याळ रातां बोलै तो जमानो रसै। कागलो दिन में बोलै तो घणो सुहावै। मंडेरी माथै बोलै तो घरां बटाऊ आवण रो सुगन मानै। बै'ण आपरै बीरै नै बेगो आवण रो सनेसो कागलै नै देवै। परदेसी पीव नै बुलावण सारू सोनै री चांच मढावण रा कोल करीजै। जे ऐ कुबेळा बोलै तो आंरी बोली रा अरथ साव उल्टा हो ज्यावै।
ल्यो बांचो एक हांसणियो-
एकर एक सै'र रो पढे़ड छोरो गाँव में आपरै काकै कनै मिलण गयो। आगलै दिन छोरो आपरै काकै री डाग नै खेळ पर पाणी प्याण गयो। आगै एक आदमी आपरी डाग प्यावै हो। तुवक-तुवक रै साथै डाग पाणी रा लांबा चरड़का मारै ही। बो छोरो बोल्यो- अरे भाई साहब, आपने जो अभी अपने वाली ऊंटनी के लिए बोला है, वो मेरे वाली के लिए भी बोलना। ये पानी नहीं पी रही है। गांव रो मिनख ईं बात पर हांस्यो अर बोल्यो- तूं पढ्यो पढ्यो ई है लाडी, गुण्यो कोनी।आज रो ओखाणो
लगाई कुत्ती सिकार नीं मारै।
लगाई कुत्तिया शिकार नहीं मारती।
दबाव देकर किसी से कार्य करवाना संभव नहीं। मनोयोग और रूचि से किया काम ही फलता-फूलता है।
लगाई कुत्ती सिकार नीं मारै।
लगाई कुत्तिया शिकार नहीं मारती।
दबाव देकर किसी से कार्य करवाना संभव नहीं। मनोयोग और रूचि से किया काम ही फलता-फूलता है।
ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਭਾਸਕਰ ਤੇ ਕੀਰਤੀ ਰਾਣਾ ਦੀ ਸ਼ਲਾਘਾ ਕਰਨੀ ਬਣਦੀ ਹੈ।
ReplyDeleteਕੋਸ਼ਿਸ਼ਾਂ ਜਾਰੀ ਰੱਖੋ।
ਆਮੀਨ!
ਗੁਰਮੀਤ ਬਰਾੜ
sh Moahmed amin ji,
ReplyDeleteNameskar.
Tharo lok jiven aur gramin sanskirti ro lekh pedyo.janwera ri bhasha aapna semejha aur janwer bhi aapni bhasha smejhe. ityo gehree su theye likhyo hai ki iayn lag rehyo mahye mahari bhens nai thapi mar rehiyo hu.Gramin jiven mai pasu pekshi aur minkh sabhi apas mai ristyedar hu jave,
Thaneye payre sai lekh khatir dhanyabad.
NARESH MEHAN
9414329505
jordar vichar mandaya the .rajasthani bhasha saru sagla jana ne aage avno padsi .aandolen saru kamar kas lyo.
ReplyDeletebhai Ameenji
ReplyDeleteMajo Aagayo.Aapri jankari sarun Lakhdad.Mayad Bhasha Sarun aapra prayas saravan jaga hai.
Dr.Kailash Mandela
Geetkar Hindi/Rajasthani
Ghani khma ! Mahne ghani khushi hui apre jishaa matar bhashai bhi ate janam liyo hai. Ghano ghano dhanywad "mahro rajasthan"mahri rajasthani :)anand kumar jalore abhar chennai
ReplyDeleteMahro rajasthani anand chennai
ReplyDeleteRajasthani bhasa me MA kar raha hu plz mahne en bhasa ri jankari derao
ReplyDeleterajasthani bhasa aachhi lage mhane
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