Wednesday, March 18, 2009

१९ छोलियां री चटणी

आपणी भासा-आपणी बात
तारीख
- १९//२००९

छोलियां री चटणी,

पीठ फोरगे गिटणी


26 अगस्त, 1979 नै नोहर तहसील रै बरवाळी गांव में जलम्या दयाराम ढील राजस्थानी रा युवा लिखारा। अध्यापक अर समाजसेवी। आपरी रचनावां पत्र-पत्रिकावां में छपै अर आकाशवाणी सूं प्रसारित हुवै। आज बांचो आं रो ओ लेख।

-दयाराम ढील

छोलियां री रुत आंवतां पाण जीभड़ी करै किलोळ। करै जाड़ां साथै मजाक। बूढा-बडेरा, हाळी-पाळी, छोरी-छांपरी, लुगायां-पतायां, टाबर-टीकर बगै उपाळा, खेतां कानी, छोलियां रै कोड में। गांव रै गौरवैं निकळतां पाण मूंडो आपी पळपळाइजै। मतै ई जावै हाथ बूंटां कानी। घेघरियां सूं लड़ालूम बूंटा घणा ई जीव लळचावै, पण जोर कोनी चालै। जिकां रै आपरा खेत, बां रै तो घणा ई ठाठ, पण जिकां रै खेत नीं, बां री पीड़ कुण जाणै! भरयै खेत माखर कुत्तै ज्यूं टिपो, का फेर निजरां चुका'र इण जीभड़ी रो बाळा-फूंको करो। पण छोलियां रो सुवाद तो खावै जिको ई जाणै। काचा खावो, पाका खावो एक सूं एक जबरो सुवाद। ना जीभ थमै, ना पेट भरै। जाड़ां चालबो करै। छोलियां रो सुवाद ऐ
ड़ो कै मन में आवै, आ रुत कदे नीं जावै।

हांथां सुरड़ै घेघरी, चालै चाकी जाड़।
कुकै ऊभा छोलिया, बड़ग्यो सांड लुंगाड़।।

पाड़ै बूंटा, बांधै पांड। घरां आंवतां पाण सगळा फिरै बा'रकर। छोलिया काढण सारू बीनणी सासू कनै बैठ ठूळो ठरकावै- छोलियां री चटणी, पीठ फोरगे गिटणी।
मांय बिचाळै टाबरिया ई डांचळी मार ज्यावै। चटणी री भरै कूंडी। कइयां रै पल्लै पड़ै, कइयां में होवै भूंडी। कई तो आंगळी चाटता ई रैय जावै।

चटणी प्यारी, तीवण प्यारो, प्यारा लागै होळा।
नाचै गावै, काख बजावै, टाबर चढग्या छोळां।।


पेट रो कोटो पूरो होयां याद आवै छोलियां रा बीजा सुवाद। धोरियै माथै भींटका बाळै करै होळा।

बाळ भींटको धोरियै, होळा करै किरसाण।
पैली खाया धापगे, फेरूं करै लदाण।।


आज रो औखांणो

छोलियो अर गोलियो मूंडै लाग्यां माड़ो।

चना और दुष्ट व्यक्ति मुँह लगे अच्छे नहीं।

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खेद है सा!

'आपणी भाषा-आपणी बात' स्तंभ मांय 18 मार्च नै छप्यै लेख 'अजब-गजब धोरां री काया-माया' (रूपसिंह राजपुरी) रै एक सबद माथै सिक्ख समाज रै वरिष्ठजनां स. तेजेन्द्रपालसिंह टिम्मा, मुखत्यारसिंह बढावण, सूरतसिंह, मुकुंदसिंह महराजका, गुरुकृपालसिंह, गुरुप्रीतसिंह, नौनिहालसिंह, कुलविंद्रसिंह, हरसिमरणसिंह, इकबालसिंह, अवतारसिंह, नक्षत्रसिंह, सुनील भाटिया अर अभिभाषक कुलवंतसिंह संधू अर अभिभाषक अमरजीतसिंह जॉली 'भास्कर' कार्यालय मांय पधार'र आपरो विरोध दर्ज करवायो।
'भास्कर' हमेस जनभावना रो सनमान करतो रैयो है अर करतो रै'सी। अणजाण-पणै मांय हुयी इण भूल सूं आपरी भावना नै ठेस पूगी, इणरो म्हानै घणो खेद है।
-संपादक






3 comments:

  1. Bhai Satyanaryan,Vinod ,
    Nameskar,
    Aaj Bhai Dayaram deel ko lekh vanchyo,Choliya ro ghano sawed aa geyo.Choliya kachha bhi kha liya aur Choliya ri chettni benar bhi kha li ghani hi sawed hi.o sawed mhanye hamesa yaad resi.Dayaram nai mahro dhersara asirbad aur payar.donu sage.
    NARESH MEHAN
    9414329505

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  2. dayaram nuvi pidhi ro nam rosan karela
    in me koi sak ni.
    lekh padh'r mhare mundhe me hi pani aagyo.
    -RAJ BIJARNIA
    LOONKARANSAE
    9414449936

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  3. दयारामजी म्हारी शुभकामनावां आपरै सागै है सा.

    संपादक श्री किर्ती राणाजी, आप बतायौ कोनी कै वौ सबद कांई हौ जिणरौ सिक्ख समाज विरोध कर्‌यौ.

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