Thursday, February 19, 2009

२० मायड़भासा मीठी खासा

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २०//२००९


मायड़भासा मीठी खासा

सगळां रै मन भावै रे

21 फरवरी आखी दुनिया में 'विश्व मातृभाषा दिवस' रै रूप में मनाइजै। जिकी भासा आपां आपणी मां सूं सीखां, बा आपणी मातृभाषा। मतलब मायड़भासा। जिकी भासा मां आपरै लाडलै नै गोदी खिलांवती, पालणै झुलांवती, लाड लडांवती, दूध चूंघांवती सिखावै। जिकी भासा आपां खेत-खळै-आंगण-उगाड़ में बोलां। जिकी भासा में आपणा सगळा संस्कार हुवै। अर जिकी भासा रा लोकगीत, लोककथावां, कहावतां, अर प्यारी-प्यारी बातां आपां नै संस्कारित करै। बा है आपणी मायड़भासा। मायड़भासा रो मान बधावणो आपणो सै सूं मोटो फरज। क्यूंकै मां, मायड़भासा अर मायड़भोम रो दरजो सुरग सूं ऊंचो। मायड़भासा दिवस नै आपां आपरी मायड़भासा रो मान बधावण सारू सभावां, गोष्ठियां करां। मायड़भासा अर संस्कृति रो मान बधावण वाळा कार्यक्रम आयोजित करां। जठै इण भांत रा आयोजन राखीज्यै, बठै अवस पूगां। ल्यो, आज बांचो, कवि रामदास बरवाळी रा दूहा अर आ धमाळ। होळी री धमाळां साथै आजकाल मायड़भासा रो मान बधावण वाळी धमाळां भी खूब चलण में है।

धरती राजस्थान री, रणवीरां री खैंण।
भासा री बिन मानता, आंसू टळकै नैण।।

चूंघ्या जिणरै हांचळां, करां मोकळो हेत।
मान बिना म्हे दूबळा, ज्यूं कालर रो खेत।।

मान बिना मायड़ दुखी, दुखिया मायड़ बैण।
हिवड़ै चिमकै बीजळी, झरै चौमासो नैण।।

धमाळ

भासा म्हारी रे बोलण में डाडी लागै प्यारी रे
भासा म्हारी रे।
मायड़भासा मीठी खासा सगळां रै मन भावै रे।
सुणबा लागै बैण, भूलज्या तोल, बोपारी रे।
भासा म्हारी रे।
डेडर मोर पपईया गावै, कोयल राग सुणावै रे।
सुणबा लागै राग, भूलज्या गाम, सवारी रे।
भासा म्हारी रे।
पणिहारी बतळावै पणघट, भूली बाट घरां री रे।
गोदी टाबर, सिर पर घड़ो, घड़ै पर झारी रे।
भासा म्हारी रे।
भांत-भांत रा सबद मोकळा, मिसरी सी घोळै रे।
सबदां रो नीं पार, साळ ज्यूं, भरी बखारी रे।
भासा म्हारी रे।


आज रो औखांणो

मां, दो कवा है, एक थूं खायलै अर एक म्हैं खायलूं। कै नीं बेटा, दोनूं ईं थूं खायलै।

माँ, दो कौर हैं, एक तू खा ले और एक मैं। कि नहीं बेटे, दोनों ही तू खा ले।

बेटे की दृष्टि में और माँ की ममता में बहुत फर्क है। बेटे की दृष्टि में तो हिसाब रहता है, पर माँ की ममता रंचमात्र भी हिसाब नहीं जानती। उसकी आँखें तो ममता के पानी से हरदम आप्लावित रहती हैं। बेटा हिसाब में प्रवीण है तो माँ त्याग में पारंगत है।


प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504
कनाबती-09602412124, 9829176391


कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523

राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!




3 comments:

  1. Bhai Satyanaryan, vinod sawmi,
    mithoso nemeskar,
    Mayerbhasha mithi bhasha aapni si lage hai, dhora si unchi lage khejeri si putheri lage mahne. aa hai mahari mayerbhasha.
    21 feb. materbhasha dives khatir thane mokli- mokli subhkamnaye. Tharo o pryas or mehnet sagla re dil mai besgayi hai.Aapni bhasa re khatir sagla nai o dives menano chaiye.
    O mater dives jivren mai sabsu paviter dives hai. e ki pavterta bani rehni chaiye.Ek bete ki terf su mater bhasa nai salam.
    NARESH MEHAN

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  2. घणो आच्छो लाग्यो सा
    आपरो ओ धमाल
    Santosh Pareek

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  3. घणो आच्छो लाग्यो ओ धमाळ

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