Sunday, February 22, 2009

२३ सिव-सिव रटै

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २३/२/२००९

सिव-सिव रटै, संकट कटै

-ओम पुरोहित 'कागद'


तीन महादेव बिरमा-बिसणु-महेस। ऐ तीन देव एड़ा, जकां रै मां-बाप रा नांव किणी ग्रंथ मांय नीं लाधै। आं में ओ भेद भी नीं कै तीनां में सूं कुण पैली परगट हुयो। रिषि-मुनि सोध-सोध थक्या। छेकड़ आदि-अनादि-अनन्त कैय'र पिंड छुडायो। इण में सूं भगवान महेस नै देवां रो देव महादेव बतायो। इणी महादेव रै बिरमा-बिसणु रै बीच ज्योतिर्लिंग रूप में प्रगटण री रात नै कैवै- स्योरात। आ फागण रै अंधार-पख री चवदस नै आवै। मानता है कै जको इण दिन बरत राखै। अभिसेक करै। गाभा, धूप अर पुहुपां सूं अरचना करै। जागण करै। 'ऊँ नम: शिवाय' पांचाखर रो जाप करै। रूद्राभिषेक, रूद्राष्टाध्यायी अर रूद्री पाठ करै। बो शिव नै पड़तख पावै। उणमें सूं विकारां रो खैनास व्है जावै। उणनै परमसुख, शांति अर अखूट सुख मिलै।
स्योरात नै शिवपुराण में महाशिवरात्रि, इणरै बरत नै बरतराज कैयीज्यो है। स्योरात जम रो राज मिटावण वाळी। शिवलोक ढुकावण वाळी। मोक्ष देवण वाळी। सातूं सुख बपरावण वाळी। पाप अर भै नास करण वाळी मानीजै।
राजस्थान सूरवीरां री धरा। शिव अर सगति री मोकळी ध्यावना। अठै गढ़ां अर किलां में माताजी, भैरूंजी अर शिवजी रा मोकळा मिंदर। धरणीधर महादेव, शिवबाड़ी, गोपेश्वर महादेव, जैनेश्वर महादेव (बीकानेर), नीलकंठ महादेव (अलवर), हरणीहर महादेव (भीलवाड़ा), मंडलनाथ महादेव, सिद्धनाथ महादेव, भूतनाथ महादेव, जबरनाथ महादेव (जोधपुर), गुप्तेश्वर महादेव, परसराम महादेव (पाली), एकलिंगनाथजी (उदयपुर), ताड़केश्वर महादेव, रोजगारेश्वर महादेव, गळताजी (जयपुर), शिवमंदिर (बाड़ोली), पाताळेश्वर महादेव, पशुपतिनाथ महादेव (नागौर), रा मिंदर नांमी। महादेवजी रा इण मिंदरां में महाशिवरात्रि रा मेळा भरीजै।
अर अबार बांचो, एक लोककथा-

मैणत-सार

एकर मादेवजी दुनियां माथै घणो कोप कीधो। खण लियो कै जठा तांईं आ दुनियां सुधरै नीं, तठा तांईं संख नीं बजावै। मादेवजी संख बजावै तो बरसात व्है। काळ माथै काळ पड़िया। पांणी री छांट ई नीं बरसी। दुनियां घणी कळपी। घणो ई पिरास्चित करियो। पण मादेवजी आपरै प्रण सूं नीं डिगिया।
एक मादेवजी अर पारवतीजी गिगन में उडता जावै हा। कांईं देख्यो कै एक जाट सूखा में ई खेत खड़ै। परसेवा में घांण व्हियोड़ो। लथौबत्थ। भोळै बाबै मन में इचरज करियो कै पांणी बरसियां नै तो बरस व्हिया, पण इण मूरख रो ओ कांई चाळो! विमांण सूं नीचै उतरया। चौधरी नै पूछ्यो- बावळा, बिरथा क्यूं आफळै? सूखी धरती में क्यूँ पसीनो गाळै? पांणी रा तो सपनां ई को आवै नीं। चौधरी बोल्यो- साची फरमावो। पण खड़ण री आदत नीं पांतर जावूं, इण खातर म्हैं तो आयै साल सूड़ करूं, खेत जोतूं। जोतण री जुगत पांतरग्यो तो म्हैं पाणी पड़ियां ईं नीं जै़डो। बात महादेवजी रै हीयै ढूकी। मन में बिचार करियो... म्हनै ई संख बजायां नै बरस बीत्या। संख बजांणो भूल तो नीं गियो। खेत में ऊभा ई जोर सूं संख पूरियो। चौफेर घटा ऊमड़ी। आभै में गड़गड़ाट माची। अणमाप पांणी पड़्यो। जठै निजर ढूकै, उठी जळबंब-ई-जळबंब!


आज रो औखांणो

सिव-सिव रटै, संकट कटै।

किसी देवी-देवता का अस्तित्व हो-न-हो, पर मन की प्रबल भावना की शक्ति अदम्य होती है। शिव-शिव के निरंतर जाप से संकट टल जाते हैं या उनसे सामना करने की ताकत स्वत: बढ़ जाती है।

प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504


कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!

सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523


कानाबाती -9602412124, 9829176391

email- aapnibhasha@gmail.com
blog- aapnibhasha.blogspot.com


राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!

4 comments:

  1. Bhai om purohit
    shiv- shiv
    Shiv-shiv retye sanket katye.,shiv re mahima aprempar ro paviter lekh pedyo.mahre man mai ghano hi sakun milyio.
    O serdha purn lekh dy ker kye thye bhut hi accho kam keryo hai mahne mahare gavn ri shiv bari yaad a gayi. jethye mahi shiv re saage hi rehya kerta. shiv bari ro nam pedteye hi mahi mahre gavn puhuch geyo.Shiv ra manbhaven nam mahdev, nilkanth ped ker man bhi paviter ho gayeo.mahne shiv ra sakchat dersan kervan khatir bhi om ji nai ghano hi dhanyabad.
    Bhai styanaryan, vinod sawmi,
    shiv shiv bhole - bhole,
    Thane mahri bhavna ro semman kern kathir , mahri dil re battn likhen katir dhanaybad.
    tharo priserm sabsu jayada hai jike karen o kalem bhi paviter ho geyo.
    NARESH MEHAN
    9414329505

    ReplyDelete
  2. Bhai om ji , shiv bhole,Shiv- shiv ratte sanket katye.pedye ker ian lageyo ki mai aapne gavn surat garh ri shiv bari mai puhuch geyo.mahadev ra dersn tharo lekh pedye ker ho geya.eayn lage rehyo ki shiv sage-sage chal rehya hai.mahero buchpan yaad kervan khatir thane dhanaybad.
    Bhai styanaryan, vinod sawmi, Lambe samey bad itno paviter or bhole re neshye balo lekh pedyo.
    mundo saro ras su bher geyo . O Nesho hamesha ravye. thane bhi mahne bhi.mahri shiv su aradhana hai ki bhut hi jaldi mayer bhasa nai maneyta mile shiv ri treh satye ki treh
    NARESH MEHAN
    9414329505

    ReplyDelete
  3. Bhai satyanaryan ji
    Bhai vinod sawmi,
    Bate Ajay soni,
    jiven ri sanjiveni perdan kern balo deva ro dev mahadev ri tejesvi jot aapre hirdye mai prejvlit hove.Aap re jivenpath nai legatar prakashman kare. mahdev ri aapar kirpa su aa mayer bhasha per hamesha bani rehye.
    subhkamnai re sage mahashivratri
    NARESH MEHAN
    9414329505

    ReplyDelete
  4. ओम पुरोहित 'कागद' रो ''सिव-सिव रटै, संकट कटै''

    आलेख रंग जमायग्यो !

    ओमजी नै घणी-घणी ..!!

    -राजूराम बिजारनियाँ "राज ''

    लूनकरनसर

    ReplyDelete

आपरा विचार अठै मांडो सा.

आप लोगां नै दैनिक भास्कर रो कॉलम आपणी भासा आपणी बात किण भांत लाग्यो?