Wednesday, February 25, 2009

२६ भाषा खूट्यां आप री

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २६//२००९


भाषा खूट्यां आप री,

ईं बचैलो मान

-ओम पुरोहित 'कागद'


परी भासा पिछाण बणावै। भासा गमै तो पिछाण गमै। होड़-ठिकाणां रा नांव। गांवां रा नांव। चीज-बस्त रा नांव। भासा पाण चालै। भासा खुरै या मिटै तो ठोड़-ठिकाणां, गांव-सैर अर चीज-बस्त रा नांव खुरै-मिटै। दूजी भासा रै राज में नांव बदळै। अंग्रेजां री टैम कोलकाता सूं कलकत्ता, चैन्नई सूं मद्रास, बैंगलूरु सूं बंगलोर अर मुम्बई सूं बोम्बे या बम्बई होग्या। ओ बदळाव बठै री मायड़भासा री संकड़ाई अर अंग्रेजी रै बिगसाव पेटै होयो। ड़ा उदाहरण इतिहास में पण भरियोड़ा है। आ ई हालत आज राजस्थान री है। अठै री मूळ भासा राजस्थानी माथै धूळ जमाय दी। हिन्दी-अंग्रेजी रै प्रभाव में आय'र ठोड़-ठिकाणां, गांव-सैर अर चीज-बस्तां रा नांव ओळ-पंचोळा होयग्या। अब ऐड़ा नांव ना हिन्दी रा रैया, नां राजस्थानी रा।
आपणै अठै मूंग-मोठ-चीणां री दाळ होंवती। पण आ दाळ, दाळ सूं दाल होयगी। चावळ सूं चावल, बळीतै सूं बलीतो, कळ सूं कल, फळ सूं फल, बळ सूं बल, झळ सूं झल, टाळ सूं टाल, नाळी सूं नाली, फळी सूं फली, काळ सूं काल, पाणी सूं पानी, दळियै सूं दलिया, कांधळ सूं कांधल, बणीरोत सूं बनीरोत, बीकाणो सूं बीकानो, कांधळोत सूं कांधलोत होग्या। ऐड़ा उदाहरण है। आप कीं मैणत करो अर फड़द बणाओ।
इणी भांत गांव-सैरां रा नांव ओळ-पंचोळा होग्या। बिगड़ीयोड़ा नांव बांच-बांच हांसी भी आवै अर झाळ भी। पण करां कांई। किण रै आगै कूकां। आओ देखां, आपणी निजरां साम्हीं कांईं रैयो। कींया खुर रैयी है आपणी मायड़ भासा राजस्थानी। गांव रा नांव आपां बोलां कांई हां अर लिखां कांई हां। गांव सैरां रा नांव बदळतां-बदळतां एहलकारां रै हाथां राज रै कागदां में कींया चढग्या।
आपणो गांव धोळीपाळ हो। धोळी यानी सफेद। पाळ यानी 'बट' का रेत री भींत। बदळ'र होग्यो धोलीपाल। अब कठै रैयो धोलीपाल में धोळीपाळ रो अरथ? इयां ई परळीका सूं परलीका, जसाणा सूं जसाना, कमाणां सूं कमाना, दुलमाणां सूं दुलमाना, दीपलाणा सूं दीपलाना, पीळीबंगा सूं पीलीबंगा, काळीबंगा सूं कालीबंगा, अयाळकी सूं अयालकी, गोरखाणा सूं गोरखाना, ढाळिया सूं ढालिया, भिराणी सूं भिरानी, फेफाणा सूं फेफाना, गाढवाळो सूं गाढवालो, किळचू सूं किलचू, रूणीचै सूं रूनीचा, काळियां सूं कालियां, डबळी सूं डबली देखतां-देखतां ई बणग्या। राज रै कागदां में चढग्या। कीं रै कह्यां बदळ्या? कोई ठाह नीं। अब पण पाछा कींया बदळीजै। इण सारू खेचळ री पण दरकार। पाठक आप-आप रा गांवां रा नांव संभाळो। सागी जूनो अर इतिहासू नांव सोधो अर सूची बणाओ। आपरो इतिहास अंवेरण में संको क्यां रो!

भाषा राखै देस री, आन-बान अर स्यान।
भाषा खूट्यां आप री, नईं बचैलो मान।।

आज रो औखांणो

गांव रो जोगी जोगड़ो अर पार गांव रो सिद्ध।
अपनों की प्रतिभा आसानी से पहिचानी नहीं जाती और दूसरे की थोड़ी प्रतिभा भी बड़ी दिखती है।

प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504.
कानांबाती-9602412124, 9829176391


कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523.

email-aapnibhasha@gmail.com
blog-www.aapnibhasha.blogspot.com

राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!

2 comments:

  1. Bhai om kagad ji
    peripena,
    Bhasa koohtya aap ri nai bechelo man,Om ji thari chintta sachi hai gavn re nam sage biko itihas judydo reve ager nam hi benam ho jave to man koni bachye.saglla hi short cut challen lag geya sirf l or n mai hi frek hai donu ro goomav jayda hai.Ahelkarn jayda khechal kerni dhik koni sameji
    e khatir vye L or N nai short ker diyo.O kam ab govn ra pden bala taber ker sake kio jayda kathin kam koni sirf echhasakti chhiye.do govn su to manye aas hai perloka or jesana a aapna nam rajastjani mai likh sake.Dholipal or pilibangan re jimebari thane lane pedsi. saggla aapni aapni jimebari le lesi to thari chhinta a kam ho jasi.
    Bhai satyanaryan, vonod,
    hamesha khus reho,
    Theye to aap bhasha ro jogi ho geya ho.par govn ra sidh bhi theye ho.E mithi bhasha nai loga re hivdde mai puchan kathir theye bhut hi nek kam ker rehiyo hai.phele a bhasha jheel ki treh hi ab theye ine ek vishal nadi bena di hai. raj canel ri treh. eko pani jathe bi loge go bhate mayer bhasa ri fesal ug jasi.
    Thane e khatir maharo asirbad
    NARESH MEHAN
    9414329505

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  2. aaj ro lekh bout hi jabro n santro mandijyo hain. in saru badai.
    Aaj ri moti bat jiki hu batawani chau ke mukam mele may bishnoi samaj ri taraf su sarvsamati su aapni bhasha ne manyata milne khater hu khud kuldeep bishnoi ar jasvente singh bishnoi ne gyapen diyo ar manch re madyam su o prastav parit karvayo ke rajasthani bhasha ne aapna sanskara ne jivit rakhn saru manyata milni chahije . HARIRAM BISHNOI (MOTYAR PARISAD)BIKANER 9214164455.

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