आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २८/२/२००९
बीजी जागां तो सोळा संस्कार पण राजस्थान में होळी सूं जुड़ियो थको सतरवों संस्कार भी मौजूद। ढूंढ संस्कार। ढूंढ होळी नै घणै ई लाडां-कोडां लडाईजण री साख भरै। किणी टाबर रै जलम्यां पछै पैली होळी आवै जद ढूंढ करीजै। इण वेळा टाबर रै झांझरिया घड़ावै। टाबर री मां रै वेस सिड़ावै। ढूंढ करण सारू न्यात-बास रा लोग फागण गावता टाबर रै घरै पूगै। टाबर रो काको क गवाड़ रो कोई मोटियार बारणै बिचाळै बाजोट ढाळै। बाजोट रा दो पागा फिळै रै मांय अर दो बारै राखै। उण माथै खुद बैठै। टाबर नै बो आपरै खोळै में सुवावै। आवण वाळा गैरियां मांय सूं दो जणा आगै आवै। टाबर रै ऊपर आडी लाठी ताण देवै। बाकी रा गैरिया आप-आप री लकड़ियां सूं बीं लाठी पर वार करै। तड़ातड़-तड़ातड़ बाजती जावै। सगळा गावण लागै-
तारीख- २८/२/२००९
ढूंढ तो करावो थांरै मौबी बेटा री
-प्रो. जहूरखां मेहर
-प्रो. जहूरखां मेहर
बीजी जागां तो सोळा संस्कार पण राजस्थान में होळी सूं जुड़ियो थको सतरवों संस्कार भी मौजूद। ढूंढ संस्कार। ढूंढ होळी नै घणै ई लाडां-कोडां लडाईजण री साख भरै। किणी टाबर रै जलम्यां पछै पैली होळी आवै जद ढूंढ करीजै। इण वेळा टाबर रै झांझरिया घड़ावै। टाबर री मां रै वेस सिड़ावै। ढूंढ करण सारू न्यात-बास रा लोग फागण गावता टाबर रै घरै पूगै। टाबर रो काको क गवाड़ रो कोई मोटियार बारणै बिचाळै बाजोट ढाळै। बाजोट रा दो पागा फिळै रै मांय अर दो बारै राखै। उण माथै खुद बैठै। टाबर नै बो आपरै खोळै में सुवावै। आवण वाळा गैरियां मांय सूं दो जणा आगै आवै। टाबर रै ऊपर आडी लाठी ताण देवै। बाकी रा गैरिया आप-आप री लकड़ियां सूं बीं लाठी पर वार करै। तड़ातड़-तड़ातड़ बाजती जावै। सगळा गावण लागै-
चंग म्हारो गैरो बाजै
खाल बाजै घेटा री
ढूंढ तो करावो थांरै मौबी बेटा री
म्हांनै खाजा दो क हां रे खाजा दो।
खासी ताळ तड़ातड़-भड़ाभड़ करियां पछै गैरियां री अगवाई करतो व्है जको टाबर रो लाड करै। उणनै हजारी उमर री आसीस देवै। इण पछै टाबर रै घर रो बडेरो गैरियां नै आपरी सरधा मुजब गुळ, खाजा, टक्का अर मिठाई देवै। कठैई बामण एकलो घर में जाय अर सगळी रीत सूं एकलो ई निवड़लै। बीजा गैरिया फिळै रै बारै ई ऊभा रैवै। ओ ढूंढ संस्कार। ढूंढ सूं जुड़ियोड़ो एक औखांणो ई चावो। एक होळी रा ढूंढियोड़ा। कोई साईनो अणूंती डींगां हांकै अर हेकड़ी पादै जद कहीजै क भाई क्यूं घसकां धरै, हां तो आपां एक ई होळी रा ढूंढियोड़ा।खाल बाजै घेटा री
ढूंढ तो करावो थांरै मौबी बेटा री
म्हांनै खाजा दो क हां रे खाजा दो।
आज रो औखांणो
फागण फरड़ियो अर गवूं करड़ियो।
फागुन का रुख बदला और गेहूं पका।
मौसम आने पर प्रत्येक वनस्पति फलती है, पकती है। फागुन में गेहूं ही या पुरुषों की उत्तेजना भी पकने लगती है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504.
कानांबाती-9602412124, 9829176391
कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523
email- aapnibhasha@gmail.com
blog-www.aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
फागण फरड़ियो अर गवूं करड़ियो।
फागुन का रुख बदला और गेहूं पका।
मौसम आने पर प्रत्येक वनस्पति फलती है, पकती है। फागुन में गेहूं ही या पुरुषों की उत्तेजना भी पकने लगती है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504.
कानांबाती-9602412124, 9829176391
कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523
email- aapnibhasha@gmail.com
blog-www.aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
No comments:
Post a Comment
आपरा विचार अठै मांडो सा.