Wednesday, February 4, 2009

५ पिछम धरा सूं म्हारा

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- //२००९

जोधपुर जिलै री फळोदी तहसील रै बजरांगसर गांव रा मूल रैवासी डॉ. भवानीसिंह पातावत
रो जलम १० मई, १९६७ नै हुयो। आप राजस्थानी रा समर्थ लिखारा। कई शोध ग्रंथ लिख्या। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर सूं पुरस्कृत। अबार चौपासनी सीनियर सैकण्डरी स्कूल, जोधपुर मांय राजस्थानी रा व्याख्याता। रामदेवजी रै मेळै रै मौकै आज पेस है आं रो लिख्यो ओ खास लेख।

पिछम धरा सूं म्हारा

पीर जी पधारिया


-डॉ. भवानीसिंह पातावत

रामसा पीर राजस्थान रा प्रमुख लोकदेवता। राजस्थान, गुजरात अर माळवै तांई रा लोग बां नै धोकै। जात देवण नै रामदेवरै जावै। उत्तरप्रदेश अर पंजाब में भी आपरी खूब मानता। भादवै अर माघ म्हीनै रै चानण पख री दसमी नै आं रै समाधि-स्थळ रामदेवरा मांय जबरो मेळो भरीजै। गांव-गांव में भी आं रा मेळा भरीजै। हरेक गांव-नगर, बास-गळी मांय बाबा रामदेव रा उपासना स्थळ। लोग आप-आपरै घरां में ई उणां रा पगलिया थापन कर'र ध्यावना करै। जम्मा लगावै। बाबै रा भगत आपरै गळां मांय चांदी या सोनै रा फूल धारण करियां रैवै। रामदेवजी भगवान श्रीकृष्ण रा अवतार मानीजै। इण बाबत हरजी भाटी लिख्यो है-
सोवणी द्वारिका सूं आयो गिरधारी।
तुंवरां रो बिड़द बधायो भारी।
धोळी धजा रो धणी है गिरधारी।
जनभावना मांय रामदेवजी राम अर किसन दोन्या रा अवतार मानीजै। लोकमानस मांय रामकिसन एक ही हुयग्या है।
रमता राम रूणीचै आया।
परचै रै कारण पीर कैवाया।
रामसा पीर हिन्दू-मुस्लिम एकता रो सगळां सूं बड़ा उदाहरण। रामदेवजी नै छत्तीसूं कौम पूजै। सगळा ई समान रूप सूं उणां री पूजा-अरचणा करै। एक इज कुंडी सूं चरणामृत पान करै। हिन्दू इणां नै बाबा रामदेव कैय पुकारै, तो मुसळमान रामसा पीर। वि. सं. १७२९ में रचित एक छंद में भगत-कवि सायर खेम रामदेवजी वास्तै कैयो-
अल्ला-आदम-अलख तूं, राम-रहीम-करीम।
गोसांई-गोरख तूं, तेरो ई नाम तसलीम।।
बाबा रामदेव इज एक एह्ड़ा महापुरख हुया है जिका जात पांत रो भेद मिटाय'र मिनख मात्र नै समान मानण सारू जतन करिया। राजस्थान रै लोकमानस में पांच पीरां री महताऊ थापना, वां में रामदेवजी री ठावी ठोड़-
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगळिया, मेहा।
पांचूं पीर पधारज्यो, गोगोजी जेहा।।
रामदेवजी रा बडेरा अनंगपाळजी दिल्ली रा छेकड़ला तुंवर सम्राट हा। दिल्ली रो राज चौहानां रै हाथ चल्यो गयो तो आप परिवार समेत जयपुर रै नजीक नराणा गांव में रैवास करियो। इणी परिवार मांय तुंवर रैणसीजी हुया। ऐ आपरै बगत में चावै संत अर चमत्कारी पुरख रै रूप में औळखीजता। रैणसीजी रा बेटा अजैसीजी हुया। ऐ बाड़मेर रै इलाकै मांय आय'र बस्या। आ जिग्यां आजकाल 'गडोथळ' रै नांव सूं जाणीजै। अजैसीजी रो ई नांव अजमलजी पुकारीजै। रामदेवजी पिता अजमलजी अर माता मैणादे री दूजी संतान रै रूप में अवतार लीन्यो। आपरो जलम वि. सं. १४०९ में चैत सुद पांचम सोमवार रै दिन हुयो। रामदेवजी रै जलम री बगत देस री हालत चोखी कोनी ही। राजगादी सूं हटिया शासक लुटेरां रै रूप मांय जनता नै पीड़ित करता हा। भांत-भांत रै पंथां, संप्रदायां रो बोलबालो हो। एह्ड़ा बगत में बाबै रामदेव रो अवतार संत अर सूर दोन्यूं रूपां में हुयो। लोग वां नै पिछम धरा रा पातसाह, हिंदवाणी सूरज, लीलै रा असवार, धवळी धजा रा धणी, पिछम धरा रा पीर, अलख धणी अर निकळंक नेजाधारी रै विशेषणां सूं विभूषित करिया है।
फगत तेतीस बरस री उमर में ई वि. सं. १४४२ री भादवा सुदी ग्यारस रै दिन आप जीवंत समाधि लीवी। प्रजा हित रा काम अर परचां पांण आपनै जग पूजै। आतंक रै अंत, अहिंसा, निशस्त्रीकरण, ग्राम विकास अर अछूतां रै उद्धार रा हिमायती बाबो रामदेव जन-जन रै हिरदै बसिया है। हरजी भाटी, महाराजा मानसिंह, लिखमो जी माळी, विजोजी साणी, हीरानंद माळी, देवसी माळी, रांणी रूपांदे आद भगत कवियां बाबै रो जस गायो। बाबै रा भगत कवियां में हरजी भाटी रो नांव सिरै। वां री रची आरतियां घणी चावी। एक आरती रा बोल है-
पिछम धरा सूं म्हारा पीर जी पधारिया,
घर अजमल अवतार लियो।
लाछां रे सुगणा बाई करै हर री आरती,
हरजी रे भाटी चंवर डुळै।
बैकुंठां में रामा होवै हर री आरती,
घणी-घणी खम्मा म्हारै द्वारिका रै नाथ नै।

आज रो औखांणो
मेळै कुण गिया कै पौर गिया जिका ई।
मेले कौन गए कि पिछले वर्ष गए वे ही।
उत्सुक व्यक्तियों को जब भी जहां मौका मिले वे उत्सव-मेलों में पहुंच ही जाते हैं। जीवन का खास आनंद वे वहीं पाते हैं।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
email- aapnibhasha@gmail.com
blog- www.aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
राजस्थानी हो, राजस्थानी बोलो, संको क्यूँ?

No comments:

Post a Comment

आपरा विचार अठै मांडो सा.

आप लोगां नै दैनिक भास्कर रो कॉलम आपणी भासा आपणी बात किण भांत लाग्यो?