Saturday, February 14, 2009

१५ हूं रे हूं

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १५//२००९


हूं रे हूं

जाडी गवाड़ी रो धणी चालतो रह्यो तो उणरी घरवाळी कई दिनां तक रोवती नीं ढबी। न्यात अर कड़ूंबा रा जाट भेळा होय उणनै समझावण लागा। तद वा रोवती-रोवती ई कैवण लागी- धणी रै लारै मरणा सूं तो रीवी। आ दाझ तो जीवूंला जित्तै बुझैला नीं। अबै रोवणो तो इण बात रो है कै लारै घर में कोई मोट्यार कोनीं। म्हारी आ छह सौ बीघा जमीं कुण जोतैला, बोवैला?
हाथ में गेडी अर खांधै पटू़डो* लियां एक जाट पाखती ई ऊभो हो। वो जोर सूं बोल्यो- हूं रे हूं।
पछै वा जाटणी वळै रोवती-रोवती बोली- म्हारै तीन सौ गायां री छांग अर पांच सौ लरड़ियां रो ऐवड़ है। उणरो धणी-धोरी कुण व्हैला?
वो सागी ई जाट वळै कह्यो- हूं रे हूं।
वा जाटणी वळै रोवती-रोवती बोली- म्हारै च्यार पचावा*, तीन ढूंगरियां* अर पांच बाड़ा है, वां री सार-संभाळ कुण करैला?
वो जाट तो किणी दूजा नै बोलण रो मौको ई नीं दियो। तुरंत बोल्यो- हूं रे हूं।
जाटणी तो रोवती नीं ढबी। डुस्कियां भरती-भरती बोली- म्हारो धणी बीस हजार रो माथै लेहणो छोड़नै गियो, उणनै कुण चुकावैला?
अबकी वो जाट कीं नीं बोल्यो। पण थोड़ी ताळ तांईं किणी दूजा नै इणरो हूंकारो नीं भरतां देख्यो तो जोस खाय कह्यो- भला मिनखां, इत्ती बातां रा म्हैं एकलो हूंकारा भरिया। थैं इत्ता जणा ऊभा हो, इण एक बात रो तो कोई हूंकारो भरो। यूं पाछा-पाछा कांईं सिरको!
(विजयदांन देथा री बातां री फुलवाड़ी सूं साभार।)
पटू़डो- ओढण रो ऊनी गाभो। पचावा-ज्वार-बाजरी रै पूळां रो ढिग। ढूंगरियां-सूकै घास रो ढिग।

हांसणियो

कई देर बोल्यां पछै एक आदमी जद माइक छोड्यो तो कनै बैठ्यो एक अंग्रेज बोल्यो- थारै देस रा नेता इतणी देर भासण दे सकै है?
आदमी बोल्यो- नेताजी तो अब आवण आळा है। ओ तो माइक टेस्टिंग आळो है।

आज रो औखांणो
परायै पगां कितरोक पैंडो!
पराये पांवों से कितना दौरा!
दूसरे के आसरे ज्यादा दिन निर्वाह नहीं हो सकता। आखिर अपनी कमाई ही अपने काम आती है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504.
कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523
email- aapanibhasha@gmail.com
blog- aapanibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!

No comments:

Post a Comment

आपरा विचार अठै मांडो सा.

आप लोगां नै दैनिक भास्कर रो कॉलम आपणी भासा आपणी बात किण भांत लाग्यो?