आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- ११/२/२००९
अंतर रो फूंबो, अंतर रो छकियो, अंतरियो बनड़ो, अंधारै घर रो पांवणो, अचूकरा बोलणो, अलबेलो ओठी, अलवलियो असवार, आंखड़ल्यां रो ठार, आंख्यां रो अंजन, आंख्यां रो काजळ, आतमा रो आधार, ऊगतो भाण, ऊगतै सूरज रो तेज, ऊजळदंतो कानूड़ो।
कमोदणी रो चांद, काचै किरसलियै रो रूप, कान्हकंवर-सा, काया री कोर, काळजै री कूंप, केतकी रो कंथ, केळू री कांब, केळू री पांख, केसर वरणो, केसरियो भरतार, कोटड़ियां रो रूपक, कोडीलो, खावंद। गसारी रा प्राण आधार, गाडाळ, गायड़ रो गाडो, गुडळो बादळ, गोपियां मांयलो कान्ह। घण नेहाळू, घणबिलमाऊ, घण-रीसाळू, घण-रूपाळू, घण-संकाळू, घणहंसा, घर रो आधार, घर रो धणी, घु़डलां रो असवार।
रंगीलो बादळ, रखड़ी रो उजास, रागां रो रसियो, रागां रो रीझाळू, राय, रिड़मलो, रीसाळु राज, रूप रो डळो, रेजो, रेसम, रेसम रो भारो। लळवळियो सरदार, लाखीणो भरतार, लाडो, लालां बिचलो मोती। व्हालो।
संसार रो सुख, सइयां, सईजादो, बनड़ो, सगां रो सूवटियो, सजनी रो सूओ, समंदां जिस्या अथाह, सरद पून्यूं रो चांद, सांवळियो मोटियार, सवाग रो चीर, सवाग रो धणी, सातां बैनां रो बीर, सायधण रो चीर, सायरमल, सायर सोढो, सासू-जायो, सासू रो मोबी, सिर रो सेवरो, सुन्दर रो सायबो, सुखकरण, सुख रो सागर, सूरज रो साखियो, सेजां रो सुख, सेजां रो धणी, सेजां बिचलो स्याम, सेजां रो सरूप, सेजां रो सिणगार, सेजां रो सुखवासी, सेजां रो सूवटियो, सैणां रो सूवटो, सोरमियो, सोळा कळा सुजान। हथळेवै रो हाथ, हरियाळो बनड़ो, हाटां मांयलो हीर, हाथां रो खतमी, हाथां रो खामची, हिवड़ै रो चीर, हिवड़ै रो हमीर, हिवड़ै रो हार, हीयै री जोत, हीयै रो हीर, हेताळु हंसलो।
तारीख- ११/२/२००९
लालां बिचलो मोती,
लाखीणो भरतार।
राजस्थानी लूंठी भासा। लूंठो इणरो सबदकोस। लूंठी इणरी बातां। एक-एक सबद रा पर्याय गिणो तो गिणण में नीं आवै। लाधता जावै, लाधता जावै। लारलै दिनां छैल भंवर रा नांव अर विशेषण छाप्या तो आप घणा दाय करिया। घणी सरावणा कीनी। आज कीं और भळै बांचो। ऐ नांव आपणै सारू अंवेर'र भेज्या है- जोधपुर सूं प्रो. जहूरखां मेहर।लाखीणो भरतार।
अंतर रो फूंबो, अंतर रो छकियो, अंतरियो बनड़ो, अंधारै घर रो पांवणो, अचूकरा बोलणो, अलबेलो ओठी, अलवलियो असवार, आंखड़ल्यां रो ठार, आंख्यां रो अंजन, आंख्यां रो काजळ, आतमा रो आधार, ऊगतो भाण, ऊगतै सूरज रो तेज, ऊजळदंतो कानूड़ो।
कमोदणी रो चांद, काचै किरसलियै रो रूप, कान्हकंवर-सा, काया री कोर, काळजै री कूंप, केतकी रो कंथ, केळू री कांब, केळू री पांख, केसर वरणो, केसरियो भरतार, कोटड़ियां रो रूपक, कोडीलो, खावंद। गसारी रा प्राण आधार, गाडाळ, गायड़ रो गाडो, गुडळो बादळ, गोपियां मांयलो कान्ह। घण नेहाळू, घणबिलमाऊ, घण-रीसाळू, घण-रूपाळू, घण-संकाळू, घणहंसा, घर रो आधार, घर रो धणी, घु़डलां रो असवार।
चंवरी रो रूप, चतर रो चांद, चतुर बुद्ध रो जाण, चु़डलै रो रूप। छिरजगारो, छैल-छबीलो। जग-मोवणो, जीव री जड़ी, जीव रो आसरो, जोड़ी रो भरतार, जोबन रो जोड़। टोळी मांय सूं टाळको, टोळी रो टीकायत। ढळती नथ रा मोती। तन रो ताईतियो, तारां बिचलो चांद, तुनक मिजाजी। थोड़ा बोली रो सायबो। दुख-भंजक। धण रो धणी, धरती-सो धीमो। नखराळो, नथड़ी रो मोती, नेतल रो भरतार, नैणां री जोत, नैणां रो नीर, नैणां रो वासी, नैणां रो हीर, नैनी नणद रो वीर।
परदेसियो, परदेसी सूवटियो, परभात रो रूप, पीरजादो। फूटरियो, फूल बनी रो सायबो, फूलां बिचलो गुलाब। बागां मांयलो केवड़ो, बागां मांयलो चंपलो, बागां रो छैल, बागां रो भंवरो, बागां रो सूवटो, बाड़ी रा भौंरा, बाजू़डै री लूंब, बाढाळो, बाताळु, बायां बिचलो बीजळो, बाव नोचण। भंवरियै पटां रो, भाखर जिस्या भारी, भायां रो लाडलो। मंडियोड़ो मोर, मजलस रो मांझी, मदछकियो स्याम, मनचोर, मनभरियो, मन रो तीमण, मन रो धणी, मन रो मीत, मन रो राजा, महलां मांयलो दिवलो, महलां रो मान, माथा रो मैमद, माथै रो मौड़ , मारूड़ो, मालको, मिजाजी, मिणधर, मिसरी मेवो, मिसरी रो डळो, मैमद मोरियो, मैलां रो मेवासी, मोवनगारो, मौजां रा बगसणहार।रंगीलो बादळ, रखड़ी रो उजास, रागां रो रसियो, रागां रो रीझाळू, राय, रिड़मलो, रीसाळु राज, रूप रो डळो, रेजो, रेसम, रेसम रो भारो। लळवळियो सरदार, लाखीणो भरतार, लाडो, लालां बिचलो मोती। व्हालो।
संसार रो सुख, सइयां, सईजादो, बनड़ो, सगां रो सूवटियो, सजनी रो सूओ, समंदां जिस्या अथाह, सरद पून्यूं रो चांद, सांवळियो मोटियार, सवाग रो चीर, सवाग रो धणी, सातां बैनां रो बीर, सायधण रो चीर, सायरमल, सायर सोढो, सासू-जायो, सासू रो मोबी, सिर रो सेवरो, सुन्दर रो सायबो, सुखकरण, सुख रो सागर, सूरज रो साखियो, सेजां रो सुख, सेजां रो धणी, सेजां बिचलो स्याम, सेजां रो सरूप, सेजां रो सिणगार, सेजां रो सुखवासी, सेजां रो सूवटियो, सैणां रो सूवटो, सोरमियो, सोळा कळा सुजान। हथळेवै रो हाथ, हरियाळो बनड़ो, हाटां मांयलो हीर, हाथां रो खतमी, हाथां रो खामची, हिवड़ै रो चीर, हिवड़ै रो हमीर, हिवड़ै रो हार, हीयै री जोत, हीयै रो हीर, हेताळु हंसलो।
अर अबार सुणो सा, ओ दूहो-
मोरां बिन डूंगर किसा, मेह बिन किसा मल्हार।
तरिया बिन तीजां किसी, पिव बिना किसा सिंगार।।
आज रो औखांणो
धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी।
स्वामी या पति घर में न हो तो सारे राग-रंग फीके हैं। घर भूतों का डेरा जैसा लगता है। इसी तरह सरदार या सेनापति के बिना फौज व्यर्थ है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
email- aapnibhasha@gmail.com
blog- aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
मोरां बिन डूंगर किसा, मेह बिन किसा मल्हार।
तरिया बिन तीजां किसी, पिव बिना किसा सिंगार।।
आज रो औखांणो
धणी बिना गीत सूना तो सिरदार बिना फौज निकांमी।
स्वामी या पति घर में न हो तो सारे राग-रंग फीके हैं। घर भूतों का डेरा जैसा लगता है। इसी तरह सरदार या सेनापति के बिना फौज व्यर्थ है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
email- aapnibhasha@gmail.com
blog- aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
bahut chokho lagyo. rajasthaani bhasha ro eyan ee vikas huwato jawela ar aa kadei pachhi ni rewela.
ReplyDeleteen coloum saroo mhari shubhkamanawan sweekar karo.
saadar ar khamma ghani.
major ratan jangid, 9414040281
ji din sara log man su bhasha ki manyata basata kam karan lag jawaga,manyata milan hu koi nahi rok sak hai.
ReplyDeleteghani ghani shubhkamanwan danik bhaskar n
mukesh agarwal jaipur.09414381503