तारीख- २/२/२००९
राजस्थान रा लोक-बाजा
सै उपजै संगीत सूं, राग और अनुराग।
हियो सून संगीत बिन, ओ पण मिनख अभाग।।
हियो सून संगीत बिन, ओ पण मिनख अभाग।।
संगीत नै जीवण सूं न्यारो नीं कर सकां। इणी भांत बाजां नै संगीत सूं। रंगीलो राजस्थान लोक संगीत में ई आपरोन्यारो रंग राखै। अठै रा बाजा ई अनूठा। जातियां रै हिसाब सूं ई न्यारा-न्यारा बाजा। यूं तो अलेखूं लोक-बाजा है, पण कीं चावा नांव इण भांत है-
अळगोजा, इकतारो, कमायचो, करणो, करताळ, कांनी, कूंडी, खंजरी, खड़ताळ, गरासियां री लेजिम, घंटी, घड़ो, घुराळियो, घूघरा, घेरो, चंग, चिमटो, वीणो, चौतारो, जंतर, झालर, झींझा, टिकोरो, टोटो, डंडिया, डफ, ढोल, ढोलक, ढाक, तुरी, डमरू, थाळी, दमामो, दुकाको, धानी सारंगी, धूंसो, नगारा, नड़, नटां री ढोलक, नागफणी, नौपत, पाबूजीरा माटा, पूंगी, पेली, बंसरी, बरगू, बांकियो, भपंग, भूंगळ, भैरूजी रा घूघरा, मजीरा, मटकी, मसक, मादळ, मुरळो, मेवां रो चिकारो, मोरचंग, रमझोळ, रवाब, रावणहत्थो, वीरघंट, सतारो, सिंधी सारंगी, सींगी, सींगो, सुरमंडळ, सुरनाई, श्रीमंडल, गुजरातण सारंगी, जोगिया सारंगी, ड़ेढ पसळी सारंगी, दोतारो, तंदूरो, सुरिंदो, अपंग, गरासिया रोचिकारो, दुकाको, छुराळियो, मोरचंग अर रवाज आद घणा ई नांव है।
देवनारायणजी री पड़ अर बगड़ावत गांवता गूजर-भोपा जंतर बजावै। रावणहत्थै माथै पाबूजी, डूंगजी अर जवारजीइत्याद वीर पुरसां री गाथावां गाईजै। इकतारै माथै भगत भरतरी रा भजन, ब्यावला आद गावै। तंदूरो बाबा रामदेवरा भगतां रो खास बाजो। इण भांत ऐ लोक-बाजा संगीत सूं जुड़ियोडा।
अळगोजा, इकतारो, कमायचो, करणो, करताळ, कांनी, कूंडी, खंजरी, खड़ताळ, गरासियां री लेजिम, घंटी, घड़ो, घुराळियो, घूघरा, घेरो, चंग, चिमटो, वीणो, चौतारो, जंतर, झालर, झींझा, टिकोरो, टोटो, डंडिया, डफ, ढोल, ढोलक, ढाक, तुरी, डमरू, थाळी, दमामो, दुकाको, धानी सारंगी, धूंसो, नगारा, नड़, नटां री ढोलक, नागफणी, नौपत, पाबूजीरा माटा, पूंगी, पेली, बंसरी, बरगू, बांकियो, भपंग, भूंगळ, भैरूजी रा घूघरा, मजीरा, मटकी, मसक, मादळ, मुरळो, मेवां रो चिकारो, मोरचंग, रमझोळ, रवाब, रावणहत्थो, वीरघंट, सतारो, सिंधी सारंगी, सींगी, सींगो, सुरमंडळ, सुरनाई, श्रीमंडल, गुजरातण सारंगी, जोगिया सारंगी, ड़ेढ पसळी सारंगी, दोतारो, तंदूरो, सुरिंदो, अपंग, गरासिया रोचिकारो, दुकाको, छुराळियो, मोरचंग अर रवाज आद घणा ई नांव है।
देवनारायणजी री पड़ अर बगड़ावत गांवता गूजर-भोपा जंतर बजावै। रावणहत्थै माथै पाबूजी, डूंगजी अर जवारजीइत्याद वीर पुरसां री गाथावां गाईजै। इकतारै माथै भगत भरतरी रा भजन, ब्यावला आद गावै। तंदूरो बाबा रामदेवरा भगतां रो खास बाजो। इण भांत ऐ लोक-बाजा संगीत सूं जुड़ियोडा।
हाँसणियो
पोतो दादै सूं बोल्यो- दादा, आप म्हनै इस्कूल क्यांमीं घालो ?
दादो- बेटा, मिनख बणावण सारू।
पोतो- दादा, म्हनै तो मास्टर रोज-रोज मुरगो बणावै।
दूहो
सोनो लावण पिव गया, सूनो करग्या देस।
सोनो मिल्यो, न पिव मिल्या, चांदी हूग्या केस।।
आज रो औखांणो
ज्यांरा मरग्या पातस्या, रुळता फिरै वजीर।
जिनके मर गए बादशाह, भटकत फिरें वजीर।
आश्रयदाता के मरने पर या उसका वर्चस्व समाप्त होने पर आश्रितों की बहुत बुरी हालत होती है। अभिभावक केटूटने पर घर बिखर जाता है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
email- aapnibhasha@gmail.com
blog- www.aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
पोतो दादै सूं बोल्यो- दादा, आप म्हनै इस्कूल क्यांमीं घालो ?
दादो- बेटा, मिनख बणावण सारू।
पोतो- दादा, म्हनै तो मास्टर रोज-रोज मुरगो बणावै।
दूहो
सोनो लावण पिव गया, सूनो करग्या देस।
सोनो मिल्यो, न पिव मिल्या, चांदी हूग्या केस।।
आज रो औखांणो
ज्यांरा मरग्या पातस्या, रुळता फिरै वजीर।
जिनके मर गए बादशाह, भटकत फिरें वजीर।
आश्रयदाता के मरने पर या उसका वर्चस्व समाप्त होने पर आश्रितों की बहुत बुरी हालत होती है। अभिभावक केटूटने पर घर बिखर जाता है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
email- aapnibhasha@gmail.com
blog- www.aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
chokho lagyo.
ReplyDeleteaap rjasthani ro bhandar ini bhaant bhartaa revo. buryodaa mateera ini bhaant saami laavto revo. aapri jiti bhi badai kari jaave kam husi. vinod saraswat. bikaner.
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