Monday, February 9, 2009

१० स्यावड़ माता सहाय करी

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १०//२००९

स्यावड़ माता सहाय करी,

अन्न-धन सूं भंडार भरी


-ओम पुरोहित 'कागद'

धीरज-धरम अर आस्था राजस्थान्यां री पिछाण। खेती पण अठै री आन-बान अर स्यान। खै राजस्थान री जीयाजूण खेती सूं पळै। कैबा चालै- खेती खसमा सेती। पण राजस्थान रो किरसो खुद नै खेती रो खसम नीं मानै। उणरी आस्था कै 'देव तूठै तो खेती ठूठै'। खेत अर खेत री कांकड़ में देई-देवतावां रा थान थरपै। आपरै बडेरां रा थान। बोरड़ी, खेजड़ी या जाळ तळै भोमियां, भैरूवां अर खेतरपाळां रा थान। मन में पण स्यावड़ माता। कई लोग पण स्यावड़ी माता भी कैवै। खेती सरू करती बगत सूं लेय'र खळै तक स्यावड़ माता धोकै। 'स्यावड़ माता सहाय करी, अन्न-धन सूं भंडार भरी'। कई ठोड़ बोलीजै- 'स्यावड़ माता सत करियै, बीज म्होड़ो भळ करियै'।

किरसो मानै कै फगत स्यावड़ धोक्यां धान नीं वापरै। हाड़-तौड़ मेहणत करणी पड़ै। 'जको खट्टै, बो मोठ पट्टै।' आ भी मानता है कै हाड़-तौड़ मेहणत करणियै किरसै नै स्यावड़ माता तूठै। ईं सारू राजस्थानी करसो हाड़-तौड़ मेहणत करै। अर स्यावड़ माता नै धोकै। कागडोड या डोडकाग अनै सोनचिड़ी रै दरसण नै स्यावड़ माता रा पड़तख दरसण मानै। आं रै दरसण नै सुभ मानै। दरसण वेळा जकी चीज हाथ आवै, बा भेंट करै। और नीं तो पैरियोड़ा गाभा मांय सूं सूत री तांत काढ'र बीं दिस में अरपित करै, जिण दिस डोडकाग या सोनचिड़ी बैठी होवै। ऐ पंखेरू हरी डाळी माथै बैठ्या डाडा सुभ मानीजै। दरसण सूं कोड चढै अर मेहणत में दूभरिया लागै। डोडकाग सूं सीख लेवै कै खेती में डोड-चेष्टा करियां ई फळ मिलसी।
खेती सरू करतां किरसो स्यावड़ धोकै। खळो काढतां कोड करै। खळै री वेळा डाभ री स्यावड़ बणावै। गाभा नीं पैरावै। पण डाभ सूं बणायोड़ी उघाड़ी स्यावड़ माता रै डील माथै लोह री बसत बांधै। इणनै धान री ढिगली में राखै। धान री ढिगली गाभै सूं ढकै। ढिगली रो मूंडो दिखणादै राखीजै। अन्न काढणियो उतरादै कानी मूंडो राखै। धान बोरां में भरै। जठै तक धान नीं भरीजै। बठै तक सगळा मून रैवै। एक जणो इकलग ढिगली कानी देखतो रैवै। खळो सळट्यां पछै स्यावड़ माता रै नांव माथै गरीब-गुरबां अर सवासण्यां नै अन्नदान करीजै।
स्यावड़ माता पण ही कुण? मार्कण्डेय पुराण रै त्हैत रचिज्योड़ी दुर्गा सप्तशती में शाकम्भरी देवी रो बखाण आवै। विद्वान बतावै कै दुर्गा रूप माता शाकंभरी रो ई राजस्थानी रूप स्यावड़ी या स्यावड़ माता है। किरसाणां री लुगायां स्यावड़ माता रा बरत करै। बरत आळै दिन भेळी हुय'र कथा सुणै- एक किरसै रै गणेशजी रो इष्ट हो। उणरो बिसवास कै खेती रा सगळा काम गणेश भगवान री किरपा सूं हुवै। एक दिन गणेशजी किरसै नै समझायो, तूं स्यावड़ माता नै धोक। खेती में बधेपो हुसी। पण बो नीं मान्यो। गणेशजी नै धोकतो रैयो। एक दिन गणेशजी स्यावड़ माता नै साथै लेय'र किरसै रै खेत ढूक्या। स्यावड़ माता रा गाभा एकदम मैला हा। गणेशजी बोल्या- आपरा गाभा उतार'र म्हनै देवो। म्हैं सारलै तळाव में धोय ल्याऊं। स्यावड़ माता खळै में बड़'र गाभा उतारया। गणेशजी नै झलाया। गणेशजी गाभा लेय'र इस्या गया कै आज आवै। बो दिन अर आज रो दिन। स्यावड़ माता किरसाणां रै खळै री ढेरी में वास करै। किरसाणां रै अन्न-धन बपरावै।
इण कथा री आण में आज भी डाभ री स्यावड़ माता बणाय'र खळै री ढेरी में राखीजै। पग-पग माथै धोकीजै। खेत में जद बाजरी रा च्यार सिट्टा भेळा दिखै तो स्यावड़ माता रो पधारणो मानीजै। हळोतियै री बगत स्यावड़ माता अर गणेशजी धोकीजै। हळ री पै'ली ओड काढती वेळा आं नै गु़ड, लापसी अर सीरो चढ़ाइजै। स्यावड़ माता सूं अरदास करीजै- 'हे स्यावड़ माता सहाय करी, सगळां रै भाग रो अन्न दीजै। गायां रै भाग रो, चिड़ी-कमे़डी रै भाग रो। हाळी-बाळदी रै भाग रो, बैन-सवासणी रै भाग रो। राजा-प्रजा रै भाग रो।'
खळो काढती वेळा कोई बेतियाण नीं आवै इण सारू एक कैवै, 'हरे स्यावड़ माता!' दूजो कैवै, 'स्यावड़ माता ढिग करै'। खळै रै एक पासै स्यावड़ थरपै। गोबर रो थान बणावै। च्यार सिट्टां नै उण माथै स्यावड़ माता रै रूप थरपै। गुळ-घूघरी चढावै। धान री ढिगली गाभै सूं ढक'र राखीजै। ढिगली रै च्यारूंमेर राख सूं लिछमीजी रै नांव सूं कोर काढीजै। किरसो आज भी समूळ चावना-भावना सूं स्यावड़ धोकै। खेती रा नूंवा लटका-झटका बपरांवता मोट्यार-किरसाणां में पण आ भावना मौळी पड़ रैयी है।

आज रो औखांणो

फिरै सो चरै, बंध्यो भूखो मरै।
घर पर बैठै रहने से पेट नहीं भरता। करम का ही महत्त्व है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
email- aapnibhasha@gmail.com
blog- aapnibhasha.blogspot.com

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2 comments:

  1. its really remarkable to give a platform to enrich our own laguage. i know that for it you put your great mentally efforts with a lot of time. kagad ji is also praisable to write such expressions. i respect all exposed and hidden members of this column because they established a milestone. its rightly said- pahar ki choti pe rakha diya roshani bhale hi kam kare magar dikhai dur se par jata hai. keep it up ...... jitendra kumar soni, lect. gsss, nethrana, 9785114110 ,9783561806

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  2. Bhai om kaged,
    perpaina,
    tharo aapnibhasa pedeo. achhao legeo.thari rajasthni lok senskirti per bhut hi payri rechna pedi..Dhora or tibba banke sage kisana ro prkirti pooja. eke sage purani prempera anusar ganesh or mata re pooja. bhut hi paviter vernen kiyo hai.mahra gramin bhai ann re khatir kitta devi devta nai prsen kere o th bhut hi barike su betya hai.
    mahri bhi echha hai ki seaved mata sehaye kri ann - dhan su bhander bheri.
    Thane dil su likhera lekh khatir mokli- mokli bhadiyan.
    Bhai satyanaryan, or vinod,nai aaj ro okhano
    khatir bhadia achhi bat likhi hai, Phire so chere,bhendho bhukho mare.
    NARESH MEHAN

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