आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २४/२/२००९
बाबा रामदेव ऊंच-नीच रो भेद मिटावण री सीख दीवी तो जांभोजी मिनख में नैतिक गुणां रै विकास माथै जोर दियो। सदाचार नै सिरै मान्यो। जांभैजी रै जलम बावत दो बातां मिलै। पैली तो आ कै आपरो जलम वि. सं. 1508 री भादवै बदी आठम (सन 1451) नै पीपासर (नागौर) में पंवार राजपूत लोहटजी रै घरै होयो। वां री माता रो नांव हंसा देवी हो। दूजी धारणा आ है कै आप लोहटजी रै घर रै नजदीक खेजड़ै हेटै मिल्या।
मध्यजुग रा दूजा संता री भांत जांभोजी भी चमत्कारी हा। सुरजनजी लिख्यो है कै वां री पलकां कोनी पड़ती ही। न वै पीठ रै बळ सोंवता अर ना ई कीं खांवता-पींवता हा। बाळपणै में ई वां कई चमत्कार दिखाया। लोग वां नै अवतारी पुरख मानता। ख्स्त्र बरसां री उमर तक आप गायां चराई। पछै काम-धंधो छोडनै मानव सेवा रो संकळप लियो। सन 1485 मांय आप बिस्नोई पंथ री थापना कीनी। उणतीस सिद्धांत बणाया। वां सिद्धांतां नै मानणिया लोग बिस्नोई बाज्या। ऐ बिस्नोई आगै जाय'र एक जात रै रूप में ढळग्या। बिस्नोई मूळ रूप सूं खेती-बाड़ी करै। कुळ देवता रै रूप में जांभोजी नै पूजै। जीव-दया राखै। सदाचारी जीवण जीवै अर पर्यावरण रा रूखाळा हुवै।
जांभोजी इक्यावन बरस रा होया जित्तै 'सबद' कैया। बां आपरा घणकरा सबद समराथळ धोरै हेटै हरि कंके़डी हेटै दिया। जनसेवा रा मोकळा काम करिया। आप कैयो- 'जीव दया पाळणी, रूंख लीलो नीं घावै।' आप पिच्यासी बरस री उमर पाई। वि. सं. 1593 री मिंगसर बदी नौम्यूं (सन 1536) नै तलवा रै नजीक एक धोरै माथै आपरो बैकुंठवास हुयो। तद सूं ओ धोरो जांभोजी रो मुकाम मानीजै। अठै एक मिंदर है, जठै आयै साल दो वार आसोज अर फागण री अमावस नै तीन-तीन दिनां रो मेळो लागै। लाखूं जातरी न्यारै-न्यारै प्रांतां सूं आवै। माथो निवावै अर होम करै।
जांभोजी रै पर्यावरण आंदोलन नै बिस्नोई पंथ रा लोगां आगै बधायो। वां रै चेलै वील्होजी रूंख लगावण अर पाणी छाण'र पीवण सारू जोर दियो। वां कैयो, 'बिरछ काटण वाळै मिनख नै नरक मांय भी जाग्यां नीं मिलैली।' जांभोजी री सीखां रो ई असर हो कै रूंखां री रूखाळी सारू वि. सं. 1661 मांय दो सगी बैनां करमां अर गोरां आपरा माथा कटाया। तिलवासणी गांव री खिवणी, नेतू अर मोटू भी आपरा पिराण बिरछां री रिछ्या सारू दिया। वि. सं. 1700 मांय पोलावास (मे़डता) रा बूचोजी ऐचरा आपरो बलिदान रूंखां री खातर दियो। बिरछां री रिछ्या सारू सै सूं बडो बलिदान सन 1730 मांय जोधपुर राज रै खेजड़ली कलां गांव मांय होयो। अठै खेजड़ियां री रिछ्या सारू 363 बिस्नोईयां आपरो बलिदान दियो। आं 363 मांय सै सूं पैलां बलिदान इमरता देवी दियो।
बिस्नोइयां रो नारो है- 'सिर साटै रूंख रहै तो भी सस्तो जाण।' आज पर्यावरण रिछ्या सारू जित्ता भी आंदोलन होय रैया है, वां री जड़ां मांय गुरु जांभोजी रै उपदेसां रो ई हाथ है।
तारीख- २४/२/२००९
जीव दया पाळणी,
रूंख लीलो नीं घावै
मनोहर लाल विश्नोई रो जलम 15 नवंबर, 1951 नै टिब्बी तहसील रै गिलवाळा गांव में होयो। आजकाल आप संगरिया रै राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मांय राजस्थानी रा प्राध्यापक हैं। मुक्तिधाम 'मुकाम' मेळै रै मौकै बांचो, आं रो लिखियोड़ो, ओ खास लेख।रूंख लीलो नीं घावै
-मनोहर लाल विश्नोई
राजस्थानी समाज रा आपरा न्यारा देवी-देवता। रामदेवजी, जांभोजी, तेजोजी, गोगोजी अर करणी माता लोक में सिरै। आं री मोकळी चावना-ध्यावना। आं री खास बात आ कै ऐ खुद वीर हा। संत हा। समाज हित में उपदेस दिया। समाज हित में वीरता दिखाई। आं रा मेळा भरीजै। मेळां में आखै देस रा जातरू धोक देवण आवै। बाबा रामदेव क्रसण भगवान रा, तो जांभोजी विस्णु रा अवतार मानीजै। ऐ देवता सांचमांच में मिनख हा अर करड़ै बगत में मिनखां रै आडा आया। आज आं री पूजा देव रूप में होवै।बाबा रामदेव ऊंच-नीच रो भेद मिटावण री सीख दीवी तो जांभोजी मिनख में नैतिक गुणां रै विकास माथै जोर दियो। सदाचार नै सिरै मान्यो। जांभैजी रै जलम बावत दो बातां मिलै। पैली तो आ कै आपरो जलम वि. सं. 1508 री भादवै बदी आठम (सन 1451) नै पीपासर (नागौर) में पंवार राजपूत लोहटजी रै घरै होयो। वां री माता रो नांव हंसा देवी हो। दूजी धारणा आ है कै आप लोहटजी रै घर रै नजदीक खेजड़ै हेटै मिल्या।
मध्यजुग रा दूजा संता री भांत जांभोजी भी चमत्कारी हा। सुरजनजी लिख्यो है कै वां री पलकां कोनी पड़ती ही। न वै पीठ रै बळ सोंवता अर ना ई कीं खांवता-पींवता हा। बाळपणै में ई वां कई चमत्कार दिखाया। लोग वां नै अवतारी पुरख मानता। ख्स्त्र बरसां री उमर तक आप गायां चराई। पछै काम-धंधो छोडनै मानव सेवा रो संकळप लियो। सन 1485 मांय आप बिस्नोई पंथ री थापना कीनी। उणतीस सिद्धांत बणाया। वां सिद्धांतां नै मानणिया लोग बिस्नोई बाज्या। ऐ बिस्नोई आगै जाय'र एक जात रै रूप में ढळग्या। बिस्नोई मूळ रूप सूं खेती-बाड़ी करै। कुळ देवता रै रूप में जांभोजी नै पूजै। जीव-दया राखै। सदाचारी जीवण जीवै अर पर्यावरण रा रूखाळा हुवै।
जांभोजी इक्यावन बरस रा होया जित्तै 'सबद' कैया। बां आपरा घणकरा सबद समराथळ धोरै हेटै हरि कंके़डी हेटै दिया। जनसेवा रा मोकळा काम करिया। आप कैयो- 'जीव दया पाळणी, रूंख लीलो नीं घावै।' आप पिच्यासी बरस री उमर पाई। वि. सं. 1593 री मिंगसर बदी नौम्यूं (सन 1536) नै तलवा रै नजीक एक धोरै माथै आपरो बैकुंठवास हुयो। तद सूं ओ धोरो जांभोजी रो मुकाम मानीजै। अठै एक मिंदर है, जठै आयै साल दो वार आसोज अर फागण री अमावस नै तीन-तीन दिनां रो मेळो लागै। लाखूं जातरी न्यारै-न्यारै प्रांतां सूं आवै। माथो निवावै अर होम करै।
जांभोजी रै पर्यावरण आंदोलन नै बिस्नोई पंथ रा लोगां आगै बधायो। वां रै चेलै वील्होजी रूंख लगावण अर पाणी छाण'र पीवण सारू जोर दियो। वां कैयो, 'बिरछ काटण वाळै मिनख नै नरक मांय भी जाग्यां नीं मिलैली।' जांभोजी री सीखां रो ई असर हो कै रूंखां री रूखाळी सारू वि. सं. 1661 मांय दो सगी बैनां करमां अर गोरां आपरा माथा कटाया। तिलवासणी गांव री खिवणी, नेतू अर मोटू भी आपरा पिराण बिरछां री रिछ्या सारू दिया। वि. सं. 1700 मांय पोलावास (मे़डता) रा बूचोजी ऐचरा आपरो बलिदान रूंखां री खातर दियो। बिरछां री रिछ्या सारू सै सूं बडो बलिदान सन 1730 मांय जोधपुर राज रै खेजड़ली कलां गांव मांय होयो। अठै खेजड़ियां री रिछ्या सारू 363 बिस्नोईयां आपरो बलिदान दियो। आं 363 मांय सै सूं पैलां बलिदान इमरता देवी दियो।
बिस्नोइयां रो नारो है- 'सिर साटै रूंख रहै तो भी सस्तो जाण।' आज पर्यावरण रिछ्या सारू जित्ता भी आंदोलन होय रैया है, वां री जड़ां मांय गुरु जांभोजी रै उपदेसां रो ई हाथ है।
आज रो औखांणो
संतोखी नर सदा सुखी
जिस व्यक्ति को कुछ भी अभाव नहीं खटकता, वही सबसे अधिक सुखी और समृद्ध है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504.
कानांबाती-9602412124, 9829176391
कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523.
email-aapnibhasha@gmail.com
blog-aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
संतोखी नर सदा सुखी
जिस व्यक्ति को कुछ भी अभाव नहीं खटकता, वही सबसे अधिक सुखी और समृद्ध है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504.
कानांबाती-9602412124, 9829176391
कोरियर री डाक इण ठिकाणै भेजो सा!
सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523.
email-aapnibhasha@gmail.com
blog-aapnibhasha.blogspot.com
राजस्थानी रा लिखारां सूं अरज- आप भी आपरा आलेख इण स्तम्भ सारू भेजो सा!
Bhai stayanaryan
ReplyDeleteBhai vinod sawmi, Ram-Ram sa, Aaj menai bhi ek line yaad aa gayi; kee runkh mani ma lage hai ki runkh mani betian,ji kare ki mer jau aur runkh benker jiun,aa shiv betalivi bhut hi suno likhyo hai.Manohar lal bisnio ro o lekh ped ker maine mahra ruknh yaad agaya.mahara jita bhi lok devta hai vai preyvern khatier bhut hai paviter kam keryo hai.E kolam ko nam to aapnibhasha aapniprempera rakhno chiye thane kyoki prempera hamesh aapni bhasha mai hi huve. theye sahi raste per chal rehiyo ho mai pedya hai jayda ter thara lekh lok sanskirti aur prempera per hi huve. ek mahri line hai
jad su saher besyo log ro mizaz bigdyeo kine kayin chinta ki khate ek runkh ujedyo.
NARESH MEHAN
9414329505
Bhai satyanaryan
ReplyDeleteBhai vinod sawmi Ram- Ram sa, mai aapni bhasha lagataar pes rehiyo hun.eko nam ab aapnibhasha aapni prempera hono chaiye.aapna lok devi devta prempera su bhasha nai jinda rakhyo hai.jiko mai aaj banchiyo hai manohar lal bisnoi nai bulkul sacho likhiyo hai maharo dhanyabad bane.
jambho ji preybern re sage sage lok prempera aur bhasha nai bhi majboot ker geaya.
mai aaj shiv betalvi ri kuch pengtiya likh reheo hun. ki runkh manai ma lagge hai. ki runkh laage hai battiyn.ji ker ki mar jau aur runkh ben ke liyu.
ek mari aap ri pengtiya. jad su sehar besyio loga ro mizaz bigreyo. kine khate chinta ki .khate ek ped ujreyo
NARESH MEHAN
9414329505
your article is really good. i have met with you so i feel more curiosity to read it. thanks to you to make solid and sound movement for our mother tounge. jitendra kumar soni, lecturer , gsss, nethrana , contact-- 9785114110, 9783561806
ReplyDelete