आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- ६/१/२००९
आपणै राजस्थानी में बारखड़ी कियां बोलता, ल्यो सुणो- 'कंवळै क, कनै का, पिचूं कि, इग्गूं की, छोटो कु, बड़ो कू, इक-मत के, दू-मत कै , काना-कड़मत को, दो-मात कौ, कं, क:।' आजकाल पहली पुस्तक और गिणती-पहाड़ां री पोथ्यां आवै। इणसूं पै'ली कायदो आंवतो। बडेरा बतावै पै'ली 'पाटी-पावड़ा' नांव सूं एक पोथी आंवती। आ पोथी बड़ी रोचक होवती। चाळीस तक पहाड़ा होवता। पाई, आधो, पूणो, सवायो, डो'डो, हूंटो(साढे तीन), ढंचो(साढे च्यार) अर छेटी(सवा छव) रा पहाड़ा भी चालता। आजकाल केलकुलेटर सूं हिसाब काढां पण आपणा बडेरा आंगळियां पर हिसाब काढ देंवता। गणित रा सूत्र भी राजस्थानी कवितावां में हा। आपां कोसिस करस्यां कै कीं सूत्र आपां नै लाध जावै अर आपां बां रो जिकर करता रैवां। आपनै भी मिलै तो पूगता करो सा! अब सुणो एक बात-
गाबा बळेड़ियो मिनख बीं कानी कैरो-कैरो देख'र बोल्यो- '' क्यूँ गाम और बाळसी के?''
तारीख- ६/१/२००९
पराई बाळण रो डाडो बक्ख
आपणै राजस्थानी में बारखड़ी कियां बोलता, ल्यो सुणो- 'कंवळै क, कनै का, पिचूं कि, इग्गूं की, छोटो कु, बड़ो कू, इक-मत के, दू-मत कै , काना-कड़मत को, दो-मात कौ, कं, क:।' आजकाल पहली पुस्तक और गिणती-पहाड़ां री पोथ्यां आवै। इणसूं पै'ली कायदो आंवतो। बडेरा बतावै पै'ली 'पाटी-पावड़ा' नांव सूं एक पोथी आंवती। आ पोथी बड़ी रोचक होवती। चाळीस तक पहाड़ा होवता। पाई, आधो, पूणो, सवायो, डो'डो, हूंटो(साढे तीन), ढंचो(साढे च्यार) अर छेटी(सवा छव) रा पहाड़ा भी चालता। आजकाल केलकुलेटर सूं हिसाब काढां पण आपणा बडेरा आंगळियां पर हिसाब काढ देंवता। गणित रा सूत्र भी राजस्थानी कवितावां में हा। आपां कोसिस करस्यां कै कीं सूत्र आपां नै लाध जावै अर आपां बां रो जिकर करता रैवां। आपनै भी मिलै तो पूगता करो सा! अब सुणो एक बात-
बीड़ी आळी बात
कमांडर जीप री बिचाळली सीट पर दो जणा बैठ्या हा। एक जणै बीड़ी सिलगाई। दो-एक ओकड़ू घूंट मारी। सा'रलै रै जाबक नूंवा गाबा हा। कां ठा कद एक चिणगारी बीं रै कु़डतियै रै पूठियै अर फेर पजामै माखर बेजकला करगी। चामड़ी रै बळत लागी जद बेरो पड़्यो। मसळनै बुझाई अर बोलबालो परनै सरकग्यो। बीड़ी आळै सोच्यो, आदमी तो भलो है गाबा बाळ दिया तो ई कीं आछी-मंदी को कैयी नीं। बीं नै आपरी करणी पर अळोच होयो अर गाबा बळेड़ियै मिनख रै सारै लाग'र बोल्यो, ''भाईजी, थारो गाम कुणसो है?''गाबा बळेड़ियो मिनख बीं कानी कैरो-कैरो देख'र बोल्यो- '' क्यूँ गाम और बाळसी के?''
टोटका
बीड़ी पीवणियां पर राजेराम ताऊ एक टोटको कैया करै-उठतां पांण आदमी गै जी में आवै बीड़ी गी।
तागै स्यूं टिपागे छोडै खाल काढै कीड़ी गी।।
एक और टोटको सुणो, एकर सुरजै ताऊ सुणायो। तमाखू रा बैरी, होकै-कळी रा चासड़ू घणा ई होवै आपणै गांवां में। बां पर बड़ो जचै-तागै स्यूं टिपागे छोडै खाल काढै कीड़ी गी।।
कळी देख मूंडो पळकावै
सिरक-सिरक नै नै़डो आवै
धूंवो काढै धोळो-ध ख
पराई बाळण रो डाडो ब ख।
आज रो औखांणो
तंबाखू भेळो गुळ बळै।
सिरक-सिरक नै नै़डो आवै
धूंवो काढै धोळो-ध ख
पराई बाळण रो डाडो ब ख।
आज रो औखांणो
तंबाखू भेळो गुळ बळै।
तंबाकू के साथ गु़ड भी जलता है। कुसंगति का प्रभाव पड़े बिना नहीं रहता।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।
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