आपणी भाषा- आपणी बात
तारीख- १८/१/२००९
अब्बासी, आबी, आभासांइंर्, आभैवरणो, उन्नावी, कपासी, करजवी, काफरी, काही, किसमिसी, कुमैत, कोकई, कोकाकोला, कोच, कोढ़िया, क्रीमकलर, गेरूवरणो, चटणी रंग, चप, जंगाली, जमुरुदी, जाम्बू रंग, जीलानी, तांबल, तीतरवरणो, तूतिया, तूसी, दाड़मियां, दूधिया, नाफरमांनी, नीला, पिस्ताकी, पोपटी, फालसई, बादळवरणो, बादळसांई, बुर्रा, भंवर, मजीठिया, रूपैलो, लाजवर्दी, सब्जकाही, समदरलैर, सरदई, सावरी, सिंगरफी, हरसिंगारी।
कीं गूढा रंगां सारू ऐ नांव लिया जावै-
उजळो बुराक, काळो किट्ट, काळो ध्राक, काळो भंवर, काळो मिट्ठ, धोळो धक्क, धोळो धट्ट, धोळो फट्ट, पीळो केसर, रातो चुट्ट, रातो चोळ, रातो लाल, लाल चुट्ट, लाल सुरंग, लीलो चैर, लीलो स्याह, सफेद झक्क, सफेद बुराक।
संसार में सात सुख बताया है। ऐ सातूं सुख किणी बिरळै अर भागी मिनख नै ई मिलै-
तारीख- १८/१/२००९
काळी भली न कोड्याळी,
भूरी भली न सपेत।
लारलै दिनां आपां रंगां रा नांव बांच्या। आपणै लोक मांय ठाह नीं कित्ता-कित्ता नांव बिखर्या पड़्या है। जरूरत है वां नै अंवेरण री। वां नै ठाया राखण री। आप भी आ सेवा कर'र आपरी हाजरी लगवा सको हो। आज कीं रंगां रा नांव और हाथ लाग्या है। बांचो सा!भूरी भली न सपेत।
अब्बासी, आबी, आभासांइंर्, आभैवरणो, उन्नावी, कपासी, करजवी, काफरी, काही, किसमिसी, कुमैत, कोकई, कोकाकोला, कोच, कोढ़िया, क्रीमकलर, गेरूवरणो, चटणी रंग, चप, जंगाली, जमुरुदी, जाम्बू रंग, जीलानी, तांबल, तीतरवरणो, तूतिया, तूसी, दाड़मियां, दूधिया, नाफरमांनी, नीला, पिस्ताकी, पोपटी, फालसई, बादळवरणो, बादळसांई, बुर्रा, भंवर, मजीठिया, रूपैलो, लाजवर्दी, सब्जकाही, समदरलैर, सरदई, सावरी, सिंगरफी, हरसिंगारी।
कीं गूढा रंगां सारू ऐ नांव लिया जावै-
उजळो बुराक, काळो किट्ट, काळो ध्राक, काळो भंवर, काळो मिट्ठ, धोळो धक्क, धोळो धट्ट, धोळो फट्ट, पीळो केसर, रातो चुट्ट, रातो चोळ, रातो लाल, लाल चुट्ट, लाल सुरंग, लीलो चैर, लीलो स्याह, सफेद झक्क, सफेद बुराक।
संसार में सात सुख बताया है। ऐ सातूं सुख किणी बिरळै अर भागी मिनख नै ई मिलै-
सातूं सुख
पैलो सुख-निरोगी काया
दूजो सुख-हो घर में माया
तीजो सुख-पतिबरता नारी
चौथो सुख-सुत आग्याकारी
पांचवो सुख-सुथांन वासो
छट्ठो सुख-हो नीर-निवासी
सातवों सुख-राज में पासो।
आज रो औखांणो
काळी भली न कोड्याळी, भूरी भली न सपेत।
राखो रांडां च्यारवां, एकण ई रणखेत।।
काली भली न चितकबरी, भूरी भली न सफेद।
चारों दुष्टाओं को मारो, एक ही रणखेत।।
इण औखांणै रै लारै एक कहाणी है। बांचो-
पैलो सुख-निरोगी काया
दूजो सुख-हो घर में माया
तीजो सुख-पतिबरता नारी
चौथो सुख-सुत आग्याकारी
पांचवो सुख-सुथांन वासो
छट्ठो सुख-हो नीर-निवासी
सातवों सुख-राज में पासो।
आज रो औखांणो
काळी भली न कोड्याळी, भूरी भली न सपेत।
राखो रांडां च्यारवां, एकण ई रणखेत।।
काली भली न चितकबरी, भूरी भली न सफेद।
चारों दुष्टाओं को मारो, एक ही रणखेत।।
इण औखांणै रै लारै एक कहाणी है। बांचो-
गोरखनाथ रा गुरु मछंदरनाथ एकर कांगरू देस गया। बठै कई जादूगारी लुगायां मिल'र बां नै बळद बणा दिया। गोरखनाथ नै ठाह पड़ी। घणी भाजादोडी कर'र आपरै गुरु री खोज करी। जद बै आपरै गुरु नै आपरै साथै लेय'र चालण लाग्या तो जादूगरणियां बाज पंछी रो रूप धार लियो अर लारै-लारै उडी। मछंदरनाथजी हा भोत ई दयालु। वां नै दया आयगी। जद गोरखनाथजी आ बात कैयी। बै जादूगरणी जकी बाज बण'र उडै ही, बां रा च्यार न्यारा-न्यारा रंग हा। बां में किसी ई भली को ही नीं, ना काळी, ना कोड्याळी मतलब चितकबरी, ना भूरी अर ना सपेत। गोरखनाथजी बोल्या, ऐ च्यारूं ई दुस्ट है अर च्यारुवां नै एक ई जिग्यां मार'र बूर देणी चाइजै।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका। दुसमण अर दुस्टी लोगां पर कोई दया दिखावै जद आज ई आ बात कैयी जावै।
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