Monday, January 19, 2009

२० एक-एक चीज रा अलेखूं नांव

आपणी भाषा- आपणी बात
तारीख- २०/१/2009
एक-एक चीज रा अलेखूं नांव

किणी भासा री खिमता बीं रै सबदां सूं जाणी जावै। जिकी भासा में जित्ता बेसी सबद बा भासा बित्ती ई लांठी। बित्ती ई तकड़ी। आपणी भासा भोत तकड़ी है। एक-एक चीज रा अलेखूं नांव इण बात री साख भरै। हरेक भाव अर हरेक सम्बंध सारू न्यारा-न्यारा नांव। कई भासावां में तो भूआ, काकी, ताई, मौसी अर मांमी, आं सगळां सारू एक ई नांव लाधै। पण आपणै तो न्यारा-न्यारा है। आपणा तो ठाठ ई न्यारा है। जदी तो नारो बोलां-
राजस्थानी थारो झांपो काम।
एक चीज रा सौ-सौ नाम।।
ल्यो आज बांचा, रिस्तां रा नांव। रिस्तै नै आपणै राजस्थानी में सगाई, सम्बंध अर गनो भी कैवै। सगाई सबद तो नूंवै सम्बंध सारू भी बरतीजै। तो देखो, आपणी भासा में कांईं-कांईं रिस्ता-
कंत, कंवर-सा, कंवरी, काकी, काकीआत भाई, काकीआत बैन, काकेर-सासू, काकेर-सुसरो, काको, कीकी(बेटी), कीको, कुको(बेटो), कुकी, ख्वास(रखैळ), गीगली, गीगलो, गुरू, गूजर(तीजी लुगाई), गैलड़, गोठी(साथी), चाची, चाचो, चेलो, छंवर(पड़पोतो), छोटियो, छोरी, छोरो, जंवाई, जजमान, जांमण, जांमण जाई, जामण जायो, जांमी, जीजी, जीजी बाई(बडी सौक), जीजा(बडी बैन), जीजाजी, जीजोसा, जीसा, जेठ, जेठांणी, जेठूती, जेठूती-जवांई, जेठूतो, जोड़ायत, टाबर, डीकरी, डीकरो, तंवर(लड़पोतो), ताई, ताऊ, तायर सासू, तायर सुसरो, दाता, दादी, दादेर-सासू, दादेर-सुसरो, दादो, देरांणी, देवर, दोयती, दोयती-जंवाई, दोयतो, दोस्त, धण, धणी, धर्मबैन, धर्मभाई, धीव, नणद, नणदोई, नांणदी, नांणदी-जंवाई, नांणदो, नांनी, नांनेर-सासू, नांनेर-सुसरो, नांनो, पड़दादी, पड़दादो, पड़दायत(रखैळ), पड़नांनी, पड़नांनो, पड़पोती, पड़पोतो, पांवणी, पांवणो, पाड़ोसण, पाड़ोसी, पासवान(रखैळ), पीतस(काक सासू), पीतसरो, पोती, पोतो, फूंफी, फूंफो, फूंफसरो, बडी(पैली लुगाई), बडी मां, बडी सासू, बडो सुसरो, बडेरी, बडेरो, बडो बाप, बाखड़ो बेटो(गैलड़), बाखड़ी बेटी, बापू, बाई, बाप, बाबल, बाबो, बिचोटियो, बींद, बीनणी, बेटी, बेटो, बेली, बैन, बैनोई, ब्याई(समधी), भंवर(पोतो), भतीजी, भतीजी-जंवाई, भतीजो, भरतार, भांणजी, भांणजी-जंवाई, भांणजो, भाई, भाभा(माता), भाभी, भाभू(मां), भायली, भायलो, भावज, भूआ, भूआत भाई, भाईजी, भूआत बैन, भूआर-सासू, भू'ड़ो(फूफो), भोजाई, मां, मांई-जाई(सौतेली बैन), मांई जायो, मांई-मां(सौतेली मां), मां जाई, मां जायो, मांमी, मांमीआत भाई, मांमीआत बैन, मांमेर सासू, मांमेर सुसरो, मांमो, माईत, मासी, मासीआत भाई, मासीआत बैन, मासेर-सासू, मासेर-सुसरो, मासो, मिंत, मोट्यार, मांटी(पति), मोबी, यार, रखैळ, लड़पोती, लड़पोतो, लाडकंवर, लाडी(बहू), लाडली, लाडेसर, लालजी(देवर), ल्होडी(दूजी लुगाई), वाभो, वीरो, सगी, सगो, समधण, समधी, साळेली, सवासणी, साढू, साळी, साळो, सावकी, सावको(सौतेलो), सासू, सुसरो, सौक।
म्हे तो घणा ई ढूंढ्या, पण फेर ई घणा ई छूट्या होसी। आपनै भी कीं न्यारा नांव आवता होसी। पूगता करज्यो सा!
अर अबार बांचो किरपारामजी बारहठ रो ओ सोरठो-
मतलब री मनवार, नूंत जिमावै चूरमो।
बिन मतलब मनवार, राब न पावै राजिया।।
आज रो औखांणो
आपआळो मारै तो छिंयां जरूर गेरै।
घात करने के बाद भी अपने आत्मीय के मन में कभी न कभी तो प्रेम उमड़ता ही है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।

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