Tuesday, May 5, 2009

६ नित बरसो मेहा बागड़ में

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- //२००९

नित बरसो मेहा बागड़ में

गावणो मानखै रै हिरदै रो सास्वत स्वभाव। सुख हो या दुख, आदमी गायां बिना को रैवै नीं। हरख में उमाव अर प्रीत सूं गावै, दुख में मन रो दुख भूलण नै अर उणरी कसक कम करण नै गावै। गीत उणरै हियै अर कंठां में बस्योड़ा। पूरी जूण गीतां री रणक अर गमक में मानखो जीवै। गीतां रो रस पीवै। आपणै देस रा घणकरा लोग गांवां में बसै। जूनो पैरवास, रैवास अर परम्परावां रा बच्या-खुच्या निसाण गीतां में लाधै। लोकगीतां में किणी प्रदेस री संस्कृति री सबळी झांकी देखी जा सकै। राजस्थान रा लोकगीत अर ग्रामगीत भी इण प्रदेस री सांस्कृतिक छिब उजागर करै।
अठै रो मिनख कुदरत सूं कीं अरदास करै तो फगत खुद वास्तै नीं। उणरै मन में लोक-कल्याण रा भाव बसै। राजस्थान में मेह रो मोटो मान। आकास सूं बरसतो पाणी, पाणी नीं करसा री जिंदगाणी। उणरा सगळा काज उणसूं ई सरै। पुरवाई उणरी बैन, सूरयो उणरो भाई अर मेहूड़ो तो उणरो प्राण। जदैई तो बादळ नै झाला देय बुलावै अर दोय घड़ी रळको देवण री अरदास करै। आज बांचो इस्यो ई एक ग्रामगीत- 'नित बरसो मेहा बागड़ में'। इण गीत रा भाव जाबक सीधा-सादा। किरसै रै अंतरमन रा निरमळ भाव। राजस्थान रा दो इलाकां बागड़ अर खादर रै जनजीवण री झलक पण इण गीत में मिलै।

नित बरसो मेहा, बागड़ में।
नित बरसो मेहा, बागड़ में

मोठ-बाजरो बागड़ निपजै
गेहूँड़ा निपजै खादर में
नित बरसो मेहा, बागड़ में
नित बरसो मेहा, बागड़ में

मूंग'र चंवळा बागड़ निपजै
जवड़ा निपजै खादर में
नित बरसो मेहा, बागड़ में
नित बरसो मेहा, बागड़ में

टोड-टोडिंया बागड़ निपजै
बैल्या निपजै खादर में
नित बरसो मेहा, बागड़ में
नित बरसो मेहा, बागड़ में

भेड़-बकरी बागड़ निपजै
भैंस्यां निपजै खादर में
नित बरसो मेहा, बागड़ में
नित बरसो मेहा, बागड़ में

आज रो औखांणो

सरवर-तरवर-संतगण, चौथौ बरसै मेह।
परसवारथ रै कारणै, च्यारां धारी देह।।
इण दूहै में गिणायोड़ी च्यारूं चीजां परोपकारी। आपां नै भी आं री भांत परोपकारी बणनो चाहिजै।

1 comment:

  1. Bhai,
    Sh.Satyanaryan.Viond
    Ram-Ram sa
    Aaj ghanio hi paviter or payro so geet vanchiyo
    Nit verso meha bager mai;Geet koi bhi ho segla prkirti re najdeek huve hai.Lokgeet to sidhyo bhagwan su tar jodye hai.Lokgeet isa to dil re bhiterm tai santi dave hai.
    Thanye 'Nit verso meha bager mai; jise geet khatir sadhu-bad
    NARESH MEHAN

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