Monday, January 12, 2009

१२ टाबर है पण लांठां रा ई कान कतरै

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १२/१/२००९

टाबर है पण लांठां रा ई कान कतरै

आपणै अठै एक कैबा चालै कै टाबरिया ई घर बासै तो बाबो बू़ढळी क्यूँ ल्यावै।
टाबर तो टाबर ई होवै, पण आजकाल रा टाबर बड़ा चंट। चालती गाडी रा पहिया काढ़ ल्यावै। तो चंट टाबरां री बात सुणो-
सुपनै में आया बाबो सा
एक टाबर इस्कूल में आपरै मास्टर सूं बोल्यो- ''गुरुजी, रात आपरा बाबोसा म्हारै सुपनै में आया अर बोल्या, आप म्हारै छोरै नै कैय देईयो कै बो थानै गणित में दस बटा दस नंबर दे देवै।"
मास्टरजी नै टाबर री बात पर घणो अचंभो होयो अर बोल्या- ''ठीक है, म्हारै बाबोसा रो केयोडो म्हैं टाळ कोनीं सकूं। पण म्हारा सुरगवासी बाबोसा साच्याणी तेरै सुपनै में आ बात कैवण आया?''
आगलै दिन मास्टर टाबरियै नै खड़्यो कर लियो अर बोल्या, ''बाबोसा तो रात म्हारै ई सुपनै में आया। बै तो कैवै हा कै बो टाबरियो कू़ड बोलै हो बीं नै जीरो देवणो है।''
टाबर रै मूंडै पर फेफी आयगी, अर बण भोत धीरज रै साथै मास्टर नै ऊथळो दियो- ''कै देखल्यो मास्टरजी, नंबर देवणा तो थारै हाथ में है। जीरो द्यो भांऊ दस बटा दस। पण कू़ड म्हैं कोनीं, थांरा बाबोसा बोल्या है। जिको थांनै कीं कैयग्या अर म्हनै कीं।''
भेडां री गिणती
आ बात थोडी पुराणै जमानै री मानीजै । जद गांव रै इस्कूलां रै च्यारूंमेर भींत कोनी होंवती, बाड़ होंवती। कमरा ई कोनी हा। टाबर दरख्तां तळै बैठता। एक दिन मोटा अफसर आया। एक क्लास में गया। एक पढेसरी कानी सैन करी। बोल्या- ''एक सुवाल बता।'' इन्नै-बिन्नै खांत्यो अर बाड़ कनैकर टिपतै रेवड़ कानी आंगळी कर'र बोल्या- ''बता ईं रेवड़ में कित्ती भे़ड है?''
पढेसरी झट ऊभौ हुयो अर पड़ूत्तर दियो पचास है जी!''
अफसर गिणी तो पूरी पचास बैठी। अचरज रो ठिकाणौ नीं रैयो। बीं टाबरियै नै कनै बुला'र सिर पळूंस्यो। काळजै लगायो। मास्टरजी कानी मूंडो कर'र बोल्या, ''मास्टरजी, ईं क्लास नै गणित कुण पढावै? इण टाबरियै तो कमाल कर दियो। एक सैकिंड में ई पचास भेड गिण नाखी। ईं रो दिमाग तो कम्प्यूटर सूं ई तेज चालै। ईं नै तो म्हैं दिल्ली में सनमानित करासूं। आप तो इण री नीवं हो, आपनै भी सनमानित करास्यां।''
टाबरियै कानी देख्यो तो मास्टरजी रै पसेव चोवण लागग्यो। अफसर नै तावळो-सो दफ्तर में लेग्यो। चा-पाणी री मनवार कर विदा कर्यो। पछै उंतावळो-सो लास में आयो अर बीं टाबर नै खड़्यो कर'र बोल्यो- ''काळिया, आज तूं ईं सवाल रो जवाब इत्तो तावळो किंयां दे दियो रै! तनै तो दोय अर दोय रो जोड़ पूछ्यां ई तूं तो तीन बताया करै?''
टाबर बोल्यो- ''मास्टरजी, ओ तो जाबक ई सोरो-सो हो। म्हैं भेडां री टांग गिणी अर च्यार रो भाग दे दियो।''
रामस्वरूप किसान रै इण दूहै में सुणो इण टाबरियै री बात-
म्हारै रांधी लापसी, बाळ बजावै काख।
ल्यायौ घोचै घालगे, लै बेलीड़ा चाख।।
आज रो ओखांणो
टाबर है पण लांठां रा ई कान कतरै
बच्चा है पर बड़ों के भी कान कतरता है।
यह कहावत छोटी उम्र का बच्चा जब ज्यादा होशियारी बताए तब प्रयुक्त होती है।
प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका।

1 comment:

  1. चोखो लागौ.... लाग्या रह्‌वौ अजैभाई .. :)

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