Sunday, May 30, 2010

अंतस री अरज


अंतस री अरज

आप सबनै खम्माघणी अरज होवै सा!
मायड़ भाषा रा लाडेसर सपूत कलावंत स्वरूप खान इंडियन आयडल में राजस्थानी धजा नै मजबूती सूं थाम राखी छै। इण इतियासू मुकाम पर पोंचवा री स्वरूप खान नै घणी-घणी बधाई अर सफलता री मंगळकामनावां।
आप सब सूं अंतस री अरज छै के राजस्थान रा सुर साधक अर मायड़ भाषा रा सपूत नै एसएमएस रै रूप में समर्थन देय'र मायड़ भाषा रै सम्मान रा यज्ञ में आहूति देवा रा भागी बण'र पुन्न कमावो सा!
जै राजस्थान। जै राजस्थानी!

Monday, May 24, 2010

घड़ला सीतल नीर रा

घड़ला सीतल नीर रा
कल्याणसिंह राजावत

(आं दूहां रो सस्वर पाठ सुणन सारू अठै क्लिक करो सा!)

राजस्थानी रा चावा कवि अर सरस गीतकार। नागौर रै चितावा गांव में 8 दिसम्बर 1939 नै जलम। 'रामतिया मत तोड़', 'मिमझर', 'परभाती', 'जूझार', 'आ जमीन आपणी' अर 'कुण-कुण नै बिलमासी' कविता पोथ्यां घणी चावी। मीरा पुरस्कार सूं नवाजिया थका राजावत सिणगार रस री कविता रा हेताळु।
राजस्थानी में कैबा चालै- बिन भाषा बिन पाणी, बिलखै राजस्थानी। राजस्थानी जन-जीवन में पाणी रो मोल बतावै कवि रा ऐ सरस दूहा। आप भी बांचो सा!


घड़ला सीतल नीर रा, कतरा करां बखाण।
हिम सूं थारो हेत है, जळ इमरत रै पाण॥


घड़ला थारो नीर तो, कामधेन रो छीर।
मन
रो पंछी जा लगै, मानसरां रै तीर॥


घड़ला थारा नीर में, गंग जमन रो सीर।

नरमद मिल गौदावरी, हर हर लेवै पीर



जितरी ताती लू चलै, उतरो ठंडो नीर।
तन
तिरलोकी राजवी, मन व्है मलयागीर


बियाबान धर थार में, एक बिरछ री छांव।
मिल
जावै जळ-गागरी, बो इन्नर रो गांव॥



रेत कणां झळ नीसरै, भाटै भाटै आग।
झर झर सीतल जळ झरै, घड़ला थारा भाग॥


इक गुटकी में किसन है, दो गुटकी में राम।

गटक-गटक पी लै मनां, होज्या
ब्रह्म समान॥

Tuesday, May 11, 2010

फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना


फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना
आईएएस कवि री कवितावां

जितेन्द्र कुमार सोनी 'प्रयास' राजस्थानी रा नूवां कवियां में आगीवांण। इंटरनेट माथै आपरी कवितावां रो ब्लॉग 'मुळकती माटी' घणो चावो। आरएएस पुरुष वर्ग में पैली ठोड़ रैवण वाळा सोनी आईएएस में पूरै भारत में 29 वीं ठोड़ पर अर राजस्थान में ओबीसी टॉपर रैया है। इण लूंठी सफलता पर 'आपणी भाषा-आपणी बात' कानी सूं वां नै घणा-घणा रंग अनै मोकळी बधाई। आज बांचो श्री सोनी री ताजा कवितावां-

॥ मिनख-लुगाई॥

मिनख
बाद में बणै है
बाप,
भाई,
घरधणी
अर बेटो,
पैलां हुवै है
सदां ई मिनख।
अर लुगाई
सदां ई हुवै
मां,
बैन,
जोड़ायत
अर बेटी,
पण आखी जूण
कदै नीं बण सकै
फगत एक लुगाई।

॥ फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना॥

सड़क बिचाळै
फुटपाथ पर बैठ्यै
बाप रा सुपना
होग्या ईंट रा,
सिमटगी सोच
एक कमरै मांय।
एक कमरो बण्यां पाछै
नीं दिखै
कमरै रै बा'र स्यूं
फाट्योड़ा गाबां मांय
लगोलग जुवान होंवती
बीं री तीन छोरियां,
नीं दिखैला
बै सारा
पाणी स्यूं
पेट नै स्हारो देंवता।
छात अर भींतां
छुपा सकै
बां रा कई दुख,
ऐ बातां
कदै ई नीं जाणै
महलां मांय रैवण वाळा।
च्यार दीवारां अर
छात री कीमत
जाणै है
आसमान री छात तळै
फगत एक
बूढो बाप।

-जितेन्द्र कुमार सोनी 'प्रयास'
प्राध्यापक (राजनीति विज्ञान) राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नेठराना, तहसील-भादरा, जिला-हनुमानगढ़। कानाबाती : 9785114110
स्थायी ठिकाणो-
पुराने राधास्वामी सत्संग भवन के पास, रावतसर ,जिला हनुमानगढ़ [ राज. ] 335524

email-jksoni2050@gmail.com
blog-www.jksoniprayas.blogspot.com
blog-www.mulkatimaati.blogspot.com

Sunday, May 9, 2010

आचार्य श्री महाप्रज्ञजी रो मायड़भाषा प्रेम

आचार्य श्री महाप्रज्ञजी रो मायड़भाषा प्रेम


करीब 15 बरस पैली आचार्य श्री महाप्रज्ञ भादरा सूं नोहर कानी जावै हा। मारग में परळीका गांव। बस अड्डै पर राजस्थानी भाषा में स्वागत रा बैनर टंग्योड़ा देख'र घणा राजी हुया। परळीका मांय थमण रो कोई कार्यक्रम नीं हो, पण मायड़भाषा हेताळुवां री मनवार रो मान राखता थकां महाप्रज्ञजी बठै राजस्थानी भाषा अर साहित्य री महता बखाणता थकां राजस्थानी में ई करीब चाळीस मिनट रो शानदार प्रवचन दीन्हो। पछै तो जैन विश्व भारती में जद-जद साहित्यिक जलसा हुया, परळीका रा साहित्यकारां नै भी याद करीज्या। परळीका गांव रै मायड़भाषा हेत नै बै आपरै प्रवचनां में ठौड़-ठौड़ बखाणता।
फोटू :- परळीका गांव में मायड़भाषा हेताळुवां रै साथै आचार्य श्री महाप्रज्ञ।
प्रस्तुति :- अजय कुमार सोनी

Thursday, May 6, 2010

'मुळकती माटी' बणी सिरताज

नेठराना गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्राध्यापक (राजनीति विज्ञान) पद पर कार्यरत जितेन्द्र कुमार सोनी 'प्रयास' संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2009 में चयनित घोषित हुए हैं। इसी वर्ष अपने प्रथम प्रयास में ही आरएएस पुरुष वर्ग में टॉपर रह चुके सोनी ने आयोग की ओर से गुरुवार को घोषित परिणाम में देशभर में 29 वां स्थान प्राप्त किया है।
रावतसर तहसील के धन्नासर गांव में 29 नवम्बर 1981 को जनमे सोनी ने इस अवसर पर कहा कि उनका बचपन से संजोया हुआ सपना साकार हो गया है तथा ऐसी कोई उपलब्धि नहीं जिसे मेहनत के दम पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह परिणाम सिद्ध करता है कि राजस्थान और खासकर हनुमानगढ़ जिले में शिक्षा के संदर्भ में बहुत बड़ी जाग्रति आई है और सोनी की इस सफलता से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।
सोनी ने सिद्ध कर दिया है कि हिन्दी माध्यम, ग्रामीण पृष्ठभूमि या सरकारी स्कूल में पढ़कर भी सफलता के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है और अगर कोई इंसान कड़ी मेहनत करता है तो निश्चित तौर पर हर लक्ष्य उसे छोटा नजर आता है।

साहित्यकारों में खुशी का माहौल

स्थानीय साहित्यकार सत्यनारायण सोनी, रामस्वरूप किसान, मेहरचंद धामू व विनोद स्वामी ने सोनी की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की है। गौरतलब है कि सोनी हिन्दी व राजस्थानी के चर्चित युवा कवि भी हैं तथा इनका कविता संग्रह 'उम्मीदों के चिराग' प्रकाशित हो चुका है। इंटरनेट पर सोनी की राजस्थानी कविताओं का ब्लॉग 'मुळकती माटी' भी काफी चर्चित हुआ है। गत दिनों नई दिल्ली में आयोजित सार्क सम्मेलन में भी सोनी भाग ले चुके हैं तथा अगले वर्ष पाकिस्तान में आयोजित हो रहे विश्व साहित्यकार सम्मेलन में भी इन्हें आमंत्रित किया गया है। सोनी इन दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय से 'विकास के गांधीय प्रतिमान' विषय पर पीएच.डी. भी कर रहे हैं।

आप लोगां नै दैनिक भास्कर रो कॉलम आपणी भासा आपणी बात किण भांत लाग्यो?