Sunday, October 30, 2011
Saturday, October 29, 2011
Friday, October 28, 2011
Wednesday, October 26, 2011
Tuesday, October 25, 2011
कनाडा में राजस्थानी लोकगायकी की धूम
कनाडा में मनाया गया राष्ट्रीय दीपावली समारोह
प्रधानमंत्री स्टफीन हार्पर सहित कई सांसदों ने की शिरकत, राजस्थानी लोकगायकी रही आकर्षण का केन्द्र, प्रधानमंत्री स्टफीन हार्पर ने राजस्थानी कलाकारों के साथ की तबले पर संगत, प्रेम भंडारी ने जताई प्रसन्नता
कनाडा में राष्ट्रीय दीपावली समारोह मनाया गया, जिसमें वहां के प्रधानमंत्री स्टफीन हार्पर सहित कई सांसदों ने शिरकत की। ओटावा स्थित नैशनल म्यूजियम ऑफ सिविलाइजेशन में आयोजित इस कार्यक्रम में कनाडा राना अध्यक्ष वाईके शर्मा राना के प्रतिनिधिमंडल सहित सम्मिलित हुए। शर्मा ने बताया कि इस समारोह में राजस्थानी कालबेलिया लोकगायकों द्वारा पेश किए गए राजस्थानी लोकगीत तथा लोकनृत्य आकर्षण का केन्द्र रहे। स्वयं प्रधानमंत्री स्टफीन हार्पर इन कलाकारों की प्रस्तुति से इतने अभिभूत हुए कि उनके हाथ तबले पर संगत देने के मचल उठे और उन्होंने बाकायदा राजस्थानी लोकगायकों का साथ निभाया।
उधर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी ने इस पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह राजस्थानी भाषा, संस्कृति तथा यहां की लोककला की सरसता का प्रमाण है तथा राजस्थानी लोकगायकों ने दुनियाभर में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है। भंडारी ने इस बात की भी खुशी जाहिर की कि कनाडा सरकार के प्रमुख पदाधिकारियों ने भारतीय त्योहार दीपावली पर राष्ट्रीय समारोह आयोजित कर भारत तथा भारतीय लोगों का सम्मान बढ़ाया है।
कनाडा में दीपावली उत्सव 29 को
कनाडा राना के अध्यक्ष वाईके शर्मा से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान ऐसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (राना) की ओर से कनाडा में 29 अक्टूबर को दीपावली उत्सव मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए अब तक 600 लोगों ने अपना पंजीयन करवा लिया है। इस समारोह में कनाडा सरकार के सांसद मार्क एडलर तथा डब्ल्यू लीजोन गैस्ट ऑफ ऑनर होंगे। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी को भी न्यूयार्क से इस कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। भंडारी इस दिन राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए कनाडा में ‘म्हारी जुबान रो खोलो ताळो’ अभियान का आगाज करेंगे। Monday, October 24, 2011
लिछमी - रेवतदान
लिछमी
-रेवतदान
ओढ्यां जा चीर गरीबां रा
धनिकां रौ हियौ रिझाती जा
धनिकां रौ हियौ रिझाती जा
चूंदड़ी रौ अेक झपेटौ दै, अै लिछमी दीप बुझाती जा !
हळ बीज्यौ सींच्यौ लोई सूं तिल तिल करसौ छीज्यौ हौ
ऊंनै बळबळतै तावड़ियै, कळकळतौ ऊभौ सीझ्यौ हौ
कुण जांणै कितरा दुख झेल्या, मर खपनै कीनी रखवाळी
कांटां-भुट्टां में दिन काढ्या, फूलां ज्यूं लिछमी नै पाळी
पण बणठण चढगी गढ-कोटां, नखराळी छिण में छोड साथ
जद पूछ्यौ कारण जावण रौ, हंस मारी बैरण अेक लात
अधमरियां प्रांण मती तड़फा, सूळी पर सेज चढाती जा
जे घड़ी विधाता रूपाळी, सिणगार दियौ है मजदूरां
रखड़ी बाजूबंद तीमणियौ, गळहार दियौ है मजदूरां
लोई में बोटी बांट-बांट, जिण मेंहदी हाथ लगाई ही
फूलां ज्यूं कंवळा टाबरिया, चरणां में भेंट चढाई ही
घर री बू-बेट्यां बिलखी, पण लिछमी तनै सजाई ही
इक थारी जोत जगावण नै, घर-घर री जोत बुझाई ही
पण अैन दिवाळी रै दिन बैरण, सांम्ही छाती पग धरती
ठुमकै सूं चढी हवेली में, मन मरजी रा मटका करती
जे लाज बेचणी तेवड़ली, तो पूरौ मोल चुकाती जा
चूंदड़ी रौ अेक झपेटौ दै,
अै लिछमी दीप बुझाती जा !
हळ बीज्यौ सींच्यौ लोई सूं तिल तिल करसौ छीज्यौ हौ
ऊंनै बळबळतै तावड़ियै, कळकळतौ ऊभौ सीझ्यौ हौ
कुण जांणै कितरा दुख झेल्या, मर खपनै कीनी रखवाळी
कांटां-भुट्टां में दिन काढ्या, फूलां ज्यूं लिछमी नै पाळी
पण बणठण चढगी गढ-कोटां, नखराळी छिण में छोड साथ
जद पूछ्यौ कारण जावण रौ, हंस मारी बैरण अेक लात
अधमरियां प्रांण मती तड़फा, सूळी पर सेज चढाती जा
चूंदड़ी रौ अेक झपेटौ दै,
अै लिछमी दीप बुझाती जा !
अै लिछमी दीप बुझाती जा !
रखड़ी बाजूबंद तीमणियौ, गळहार दियौ है मजदूरां
लोई में बोटी बांट-बांट, जिण मेंहदी हाथ लगाई ही
फूलां ज्यूं कंवळा टाबरिया, चरणां में भेंट चढाई ही
घर री बू-बेट्यां बिलखी, पण लिछमी तनै सजाई ही
इक थारी जोत जगावण नै, घर-घर री जोत बुझाई ही
पण अैन दिवाळी रै दिन बैरण, सांम्ही छाती पग धरती
ठुमकै सूं चढी हवेली में, मन मरजी रा मटका करती
जे लाज बेचणी तेवड़ली, तो पूरौ मोल चुकाती जा
चूंदड़ी रौ अेक झपेटौ दै,
अै लिछमी दीप बुझाती जा !
इतरा दिन ठगती रैई है, थूं भोळी बण छळ जाती ही
खाती ही रोटी मांटी री, पण गीत वीरै रा गाती ही
जे हमें जांण रौ नांम लियौ, तौ जीभ डांम दी जावैला
जे निजर उठी मैलां कानीं, तौ आंख फोड़ दी जावैला
जे हाथ उठायौ हाकै नै, नागोरी गहणौ जड़ दांला
जे पग धर दीनां सेठां घर, तौ पगां पांगळी कर दांला
महलां गढ़ कोटां बंगळां रा, वे सपना हमें भुलाती जा
चूंदड़ी रौ अेक झपेटौ दै,
अै लिछमी दीप बुझाती जा !
Sunday, October 23, 2011
Wednesday, October 19, 2011
Friday, October 7, 2011
Thursday, October 6, 2011
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