Wednesday, May 20, 2009

२१ नातां-बातां री रमझोळ

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २१//२००९

नातां-बातां री रमझोळ

-ओम पुरोहित कागद

नातां-रिस्तां री रमझोळ फगत राजस्थानी भाषा में। रिस्तां री झणकार। झणकार में टणका। कदैई मीठा। कदैई चरपरा। पण नाता-रिस्ता सरजीवण राखण सारू मैताऊ। सुणावणियो सुणाय'र राजी। सुणणियो सुण'र।
मा री ठौड़ जग में सैं सूं ऊंची। पण मासी कम नीं। मा सी ई होवै मासी। मासी सागै भाणजा रमै। हाँसी करै। खारी कैवै। पण मासी नै भावै। एक भाणियो मासी नै कैवै- मासी ओ मासी, तन्नै काळा कुत्ता खासी, तन्नै भाणजो छु़डासी। मासी मुळकै। भाणियै रै लारै भाजै। मासी ने़डी आवै जद भाणियो आपरा सबद पाछा लेवै- मरो मा, जीवो मासी। दूध नीं तो, छाछ पासी।।
सासू-बू रा झगड़ा तो जग जाहर। फळ रो पाछो फूल बण सकै पण सासू-बू में बणनी दोरी। सासू नै बू बुरी लागै तो बू नै सासू। इणी खातर कैईजै- 'सासू तो माटी री बुरी।' आ बी कैईजै कै हाथी पाळणो सोरो, बू परोटणी दोरी। बू माथै सासू रा टणका न्यारा ई। माड़ो काम कुण करियो। सासू बोलै, कूघरां री जाई... छाटियै री बू। कोई गळत काम होंवता ई मैणो त्यार। बहुवां कनू चोर मरावां, चोर बहू रा भाई। पण आ भी कैबा कै सासू बिना के सासरो, नदी बिना के नीर। बैन सारू कैईजै- बैन हांती री धिराणी है, पांती री नीं। मामा रा कोड करतो भाणियो बोलै। मा सूं मामो चोखो। मा में एक पण मामा में दो-दो भायां सारू औखांणो है- रैवणो भायां में, हुवो चावै बैर ई। बैठणो छाया में, हुवो चावै कैर ई। भाई हुवै तो बावड़ै, गया बेगाना छड्ड। भाई बेटी ई नीं परणीजै, बाकी कीं नीं छोडै। भाई मर्यै रो धोखो नीं, भौजाई रो नखरो तो भंग्यो!
राजस्थानी संस्कृति में जुवाई जम बरोबर मानै। लाडां-कोडां सूं पाळ्योड़ी छोरी नै उणी भांत ले ज्यावै, जिण भांत जम सरीर सूं आदमी नै। एक ओखाणो है- सिंघ नीं देख्यो, तो देख बिलाई। जम नीं देख्यो, तो देख जंवाई।। ढुकाव री घड़ी गीत गाइजै। आं गीतां में मसखरी होवै। बात-बात में चूंठिया बोडीजै-
सात सुपारी लाडा सिंघाड़ां रो सटको।
ओछा ल्यायो जानी, लाडी क्यांरो करसी गटको।।
राजस्थानी सगै नै लडाइजै-कोडाईजै। पण जान में ढूक्योड़ा सगां ने गीतां में गाळ्यां काढीजै। ऐ कोडायती गाळ्यां बजै। सगा सुण-सुण राजी हुवै। उथळा देवै। सग्यां गावै- सगो जी री लीला न्यारी, ऐ तो बोल्यां घणी बणावै रै, ऐ तो सेखी घणी बतावै रै आं सूं राम बचावै रै। दूजी गावै- पांच बरस रा सगो जी, बीसां ढळ गई सगी जी। सग्यां भेळी गावै-थे सगा जी म्हारा आया, मोटा म्हारा भाग, थे सगा जी थारै माथै धरल्यो पाग, लाजां मरगी ओ थारो उगाड़ो माथो, नीं तो थारै टोपी आळो खीलो। इण गीत में सगा उथळो देवै। वाह! वाह, सगी जी वाह!! सग्यां पाछी फिरै- बोल्यो रै बोल्यो, गाळ्यां रै कारण बोल्यो, कैण कैयो सो बोल्यो, माळजादी रा। पै'र सगी जी रो घाघरो, सग्यां में आटो पीसै रै। सगा बोलै-हूं। सग्यां घिरै-हूं रे हूं, थारै घाघरियै में जूं, थारी मा रो मांटी हूं, कैण कैयो सो बोल्यो, माळजादी रा।
इणी भांत मोकळा ई चूंठियां, गाळ्यां, आड्यां, बंध अर आण गाईजै। कैईजै। बकारीजै। आं सगळां में अपार रस। रिस्ता नै ने़डा करण रो सामरथ। घर-आंगणै में बी औखांणा कैईजै। बाबो मर्यो गीगली जाई, रैया तीन गा तीन। दादी रो चू़डो फूट्यो सुवासण्यां नै सीरो भावै। बेटी जाई रै सुब राज, उण रा होया नीचा हाथ। काको-काकी लारै-बाकी म्हारै लारै। टाबरिया ई घर बसावै, तो बाबो बूढळी क्यूं ल्यावै। काको ल्यायो काकड़ी, काकी गाया गीत, काकै मारी लात गी, काकी गावै गीत। लुगाई रो न्हावणो-मरद रो खावणो। तिरिया रै दो आसरा-का पीहर का सासरा। तिरिया तेरै-नर अठारै। लुगाई भली लुकाई। भलाई रांड कुत्तां री बहू। दादी परणी तो दोहिती नै फेरा भावै। जच्चा जिस्या बच्चा। बेटी अर बळद जूवौ नीं न्हाखै।

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