Tuesday, February 24, 2009

२५ पीसण वाळी रो चु़डलो

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- २५//२००९


पीसण वाळी रो चु़डलो

अमर रहियो म्हारा राज


-रामस्वरूप किसान

म्हैं चाकी। घट्टी अर घटूली म्हारानांव। पाथर री काया, लकड़ी रो हाथ। जुगां-जुगां सूं मिनखां रै साथ। मिनख जद घर बसायो। पैलपोत म्हनैं ल्यायो। क्यूंकै रोटी? मिनख री जरूरत मोटी। रोटी रो पैलो पड़ाव म्हैं। चूल्है तांईं चून म्हैं पूगावूं। म्हारो अर चूल्है रो गै'रो नातो। पण नातै में म्हैं बडी। म्हैं चूल्है री मौताज नीं। पण चूल्हो म्हारो मौताज। म्हारै बिना चूल्हो ठंडो। म्हारी मरजी बिना तोवो नीं टिकै। बोलो, रोटी कियां सिकै?
म्हैं जद-जद अणसारी रैवूं, चूल्हो भिणभिणो हुवै। म्हारै कानी आंख्यां फाड़ै। म्हारै ठीक होवण री बाट जोवै। म्हैं ठीक होवूं। चूल्हो हड़-हड़ हाँसै। अर हाँसतै चूल्है नै देख आखो घर खिलै। जदी स्यात हिन्दी रै नांमी कवि नागार्जुन कैयो-
बहुत दिनों तक चूल्हा रोया
चक्की रही उदास.....

म्हारी उदासी पर चूल्हो रोवण लागज्यै। आखो घर फीको हूज्यै। सगळां रै चै'रां पर दुवाड़ फिरज्यै। अर जद म्हैं हाँसूं, मरियोड़ो सरजीवण हूज्यै। आखा जी-जिनावर चेळकै में आज्यै। कैबा चालै-

घर में घट्टी न घर में चूल्हो, पर घर पीसण जाय।
पाड़ौसण सूं बातां लागी, चून गिंडकड़ा खाय।।

म्हैं घर रै जींवतै होवणै रो परमाण। म्हारी चाल में जीवण-राग। म्हैं बाग-बाग तो घर बाग-बाग। घर धिराणी आथण पीसणो कर, झावलियै में घाल म्हारै कनै छोडै। झांझरकै उठै। पीढै बैठ, एक हाथ सूं म्हनै झोवै। दूजै हाथ सूं दाणा गेरै। म्हारी काया सूं सुरीलो संगीत फूटै। झांझरकै रै सरणाटै में घुळै। च्यारूं कूंटां इमरत-सो ढुळै। गांव, गांव-सो लागै। म्हैं गांव री लोरी। गांव सूत्यो, जागै गौरी। गौरी ओ साज बजावै। साथै चू़डी खणकावै। साज सजोरो हो ज्यावै। अर इण सजोरै साज री लोरी में आखो गांव सोवै। मीठै सुपना में खोवै।
म्हैं चाकी। म्हनैं म्हारै पर गुमेज। म्हारै बिन्यां क्यां रो गांव! म्हैं गामाऊ परम्परा रो अटूट हिस्सो। म्हारो होवणो घर में सुभ मानीज्यै। ब्याह-सावै, बार-त्यूंहार म्हारी पूजा हुवै। नाळ बांधीज्यै। बान बैठै जद सात सुहागण्यां हळदी पीसै अर गावै-
हळदी पीसै फलाणै री नार
कोई घटूली रै पाट
पीसण वाळी रो चु़डलो
अमर रहियो म्हारा राज....

इणी भांत रातीजगै नै मैंदी पीसती बेळा मैंदी रो गीत गाइज्यै।
काम रै बटवारै में ओ लुगाई रो काम। आपणी परम्परा में म्हनैं लुगाई ई फेरै। मरद फेरतो अपरोगो लागै। मजबूरी में ओलै-छानै फेरै। साम्ही फेरतो हेठी मानै। कणतावै। बियां मरद नै चाकी ओखी ई हुवै। कैबा है कै मरद नै चाकी अर घोड़े नै छाटी ओखी। इण बावत समाज में एक किस्सो ई चालै-
एक जणो चाकी पीसै हो। अर साथै फाका मारै हो पीसणै रा। माची पर बैठी ही बीं री लुगाई। इतराक में उणरो सग्गो आयग्यो। जकै ने देख'र बीं रो पाणी उतरग्यो। धोळो हुग्यो। सग्गो बात नै ताड़ग्यो। अर बीं री कणतावणी दूर करण सारू बात बणांवतै थकां बोल्यो- ''पीसणै रा फाका मारो! थारी सग्गी तो दांणो ई कोनी चाखणद्यै म्हनै।''
आ सुण'र उण रै मूं पर बिजळी-सी आयगी। चाकी छोड'र आंगणै में छलांग मारतो बोल्यो- ''इत्ती तो छूट है यारां नै।''
आज रो औखांणो

धम्मड़-धम्मड़ पीसै अर जाती रा पग दीसै।
धम्मड़-धम्मड़ पीसे और जाने की सूरत दीसे।।

आदमी के कार्यों से उसकी मन:स्थिति का पता चल जाता है।

प्रस्तुति : सत्यनारायण सोनी अर विनोद स्वामी, परलीका,
वाया-गोगामे़डी, जिलो- हनुमानगढ़ -335504


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सत्यनारायण सोनी, द्वारा- बरवाळी ज्वेलर्स, जाजू मंदिर, नोहर-335523
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1 comment:

  1. Ader jog
    shRamsawroop ji Nameskar,
    thari chaki mai rsoyoi re sag re khusbu a rehi hai.mithi- mithi si bhook lag gayi.chaki mahre jiven ro adhar ho.mahri dadi aur ma ko saro jiven chaki sage rehta goomata gujer geya.thari chaki ped ker ke mahne mahari ma aur dadi yaad a gayi.chaki mai mahne dadi aur ma dikhe.mahre jiven mai chaki bhut hi sevesth prempera aur sevesthye khatir ek achho veyam ho. ji su aapni ma bhen bilkul sevesth rehti.banko sonderye bhi lambe samay tak kayam rehto.Lekin bajarbad e chaki nai kha geyo.sage mahri ma bhen nai bhi bimber ker geyo. thare lekh mai matti aur resyoi ri dono khusbi hi.thane e cherkerye aur mithe lekh khatir sadhu bad.
    Bhai satynaryan, vinod sawmi.thye bhasha re sage- sage prempera ro puro majjo le rehyo ho.Aa payri si mithi si prempera jad nai taber pede to bane bhi sukhed aehsas hove.ki mahrei lok prempera ite paviter hi jine pedn su hi man sevesth ho jave. dhanybad.
    NARESH MEHAN
    9414329505

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