जनकवि सेठिया जयंती 11 सितंबर को और हिन्दी दिवस 14 सितंबर...
ल्यो सा सेठिया जी री अेक कविता बांचो... सिरैनांव है ‘हिन्दी’....
हिन्दी !
हिन्दी म्हांरी भाण, नहीं कीं
हिन्दी सूं नाराजी ?
चूंघ्या जिण रा बोबा हिन्दी
बा ही जामण म्हांरी,
काळजियै री कोर सरीसी
हिन्दी म्हानै प्यारी,
हिन्दी खातर लगा सकां हां
म्हे सरवस री बाजी !
घणी करी हिन्दी री सेवा
जमनालाल सवाई,
भाईजी हनुमान चाकरी
इण री अटल बजाई,
मालपाणीजी, राममनोहर
खूब हाजरी साजी !
बणा देस री भासा दीनी
म्हे देकर कुरबानी,
म्हारो ही हो त्याग, बात आ
कोनी कीं स्यूं छानी !
इण री बढती देख घणो ही
जीव हुवै है राजी !
आछी कविता छै सा. पण वा कुर्बानी ईं कांई काम री जकौ कुर्बानी देवणीया नै ईं सवालां रै घेरे में नांख देवै अर उणरै अस्तित्व माथै ईं सवाल लगा देवै.
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