Tuesday, October 20, 2009

20 अक्टूबर, 2009 एकलड़ी


20 अक्टूबर, 2009







एकलड़ी

-सत्यनारायण सोनी
कानांबाती : 09602412124

तू ही म्हारो काळजो, तू ही म्हारो जीव।
घड़ी पलक नहिं आवड़ै, तुझ बिन म्हारा पीव!

जब से तुम परदेस गए, गया हमारा चैन।
'कनबतिया' कब मन भरे, तरसण लागे नैन।।

चैटिंग-चैटिंग तुम करो, वैटिंग-वैटिंग हम्म।
चौका-चूल्हा-रार में, गई उमरिया गम्म।।

सुणो सयाणा सायबा, आ'गी करवा चौथ।
एकलड़ी रै डील नै, खा'गी करवा चौथ।।

दीवाळी सूकी गई, गया हमारा नूर।
रोशन किसका घर हुआ, दिया हमारा दूर।

दिप-दिप कर दीवो चस्यो, चस्यो न म्हारो मन्न।
पिव म्हारो परदेस बस्यो, रस्यो न म्हारो तन्न।।

रामरमी नै मिल रया, बांथम-बांथां लोग।
थारा-म्हारा साजनां, कद होसी संजोग।।

म्हैं तो काठी धापगी, मार-मार मिसकाल।
चुप्पी कीकर धारली, सासूजी रा लाल!

जैपरियै में जा बस्यो, म्हारो प्यारो नाथ।
सोखी कोनी काटणी, सीयाळै री रात।।

म्हारो प्यारो सायबो, कोमळ-कूंपळ-फूल।
एकलड़ी रै डील में, घणी गडोवै सूळ।।

दिन तो दुख में गूजरै, आथण घणो ऊचाट।
एकलड़ी रै डील नै, खावण लागै खाट।।

पैली चिपटै गाल पर, पछै कुचरणी कान।
माछरियो मनभावणो, म्हारो राखै मान।।

माछर रै इण मान नैं, मानूं कीकर मान।
एकलड़ी रै कान में, तानां री है तान।।

थप-थप मांडूं आंगळी, थेपड़ियां में थाप।
तन में तेजी काम री, मन में थारी छाप।।

आज उमंग में आंगणो, नाचै नौ-नौ ताळ।
प्रीतम आयो पावणो, सुख बरसैलो साळ।।

9 comments:

  1. आज उमंग में आंगणो, नाचै नौ-नौ ताळ।
    प्रीतम आयो पावणो, सुख बरसैलो साळ।।
    म्हे तो चक्कर मे पड़ ग्या था के सासु रो लाल आवेगो के नही,
    पण आग्यो,म्हारो काळजो सीळो होग्यो। ईं सुख का बीच मेई म्हारो कांई काम, म्हे भी चालां अप्णे ठीकाणे, रसमय दोहा सुणान के लिए
    थाने घणी-घणी "ऊंट गाडो" भरके म्हारी बधाई,

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  2. एकलड़ी रा दूहा फ़ूठरा अर मनभांवता. नारी रै कंवळै मन री ओळ्खाण करावै. ढोला-मारु री अमर प्रीत री परंपरा नै आगै बधावै. भासा ई ओपती. सांतरै रचाव सारु भाई सोनी जी नै मोकळी बधाई.
    - मदन गोपाल लढ़ा
    महाजन

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  3. तू ही म्हारो काळजो, तू ही म्हारो जीव।
    घड़ी पलक नहिं आवड़ै, तुझ बिन म्हारा पीव!
    good one.
    but it is not centred on one aspect.
    From foreign to Karva chhoth.
    I could not understand

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  4. थारी कविता पढ़ र भौत आनद आयो ठाणे इ कविता ताईं मोकली मोकली बधाई सा उम्मीद करा हाँ थे म्हाने इसी और भी कविता जल्दी सुनाओगा .... थारे उज्जवल भविष्य की कामना सागे थारो आपनो गुलाम नबी

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  5. soni ji,
    aap ne eakldi me macchar ko khoob samman diya hai, muze to us bhagyshali macchar sejalan hone lagi hai.hay ham macchar hi ho jaate.
    aap ke in doho se muze bhi 2line soozi hai awlokan kare---
    diwali sooni gai, aane wala hai faag,
    baith akeli ga rahi, piya milan ka rag
    .......kirti rana

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  6. दिप-दिप कर दीवो चस्यो, चस्यो न म्हारो मन्न।
    पिव म्हारो परदेस बस्यो, रस्यो न म्हारो तन्न।।

    मुझे तो ये पंक्तियाँ बहुत ही खूबसूरत लगी.....

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  7. हुण बणी ना गल शाह जी..

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  8. जोर गा दुहा एकलड़ी रा .....माछर चोखो लाद्यो ...वाह जी

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