Friday, August 27, 2010

समै गी बात

समै गी बात तो बटोड़ा ई बताद्यै



अच्छी
बरसात ने बदली इलाके की रंगत


परलीका. इलाके में अच्छी बरसात होने से एक ओर जहां किसानों के चेहरों पर रौनक देखी जा सकती है, वहीं हर कहीं पसरी हरियाली अच्छे जमाने का हाल बयान कर रही है। बाड़े-बटोड़ों में भी हरियाली देखते ही बनती है। बड़े-बुजुर्गों से अक्सर सुनी जाने वाली राजस्थानी कहावत 'समै गी बात तो बटोड़ा ई बताद्यै' को अब प्रत्यक्ष में देखा जा सकता है।
अच्छी बरसात ने इलाके की रंगत ही बदल दी है। खेतों में फसलें लहलहा रही हैं। काकडिय़ा, काचर, लोइया, टींडसी, तोरूं आदि की बेलें पसरी हैं और घर के खेत की देशी सब्जी के ठाठ हो गए हैं। पशुओं के लिए हरी घास का अभाव नहीं रहा। सड़क किनारे, गलियों और यहां तक कि छत और मुंडेर पर भी घास लहलहाता दिख रहा है। हाड़ी के लिए रखे गए खेतों में पसरा घास पशुओं को बरबस ही आकर्षित करता है। ग्रामीणों के अनुसार इन दिनों दूध की आमद बढ़ गई है और उन्हें पशुपालन एक लाभदायक पेशे के रूप में नजर आने लगा है।

बेलड़ल्यां लड़लूम
खेतों में पसरी बेलों पर बेशुमार फल आने से कातीसरे का असली रूप इस बार नजर आने लगा है और ऐसे में राजस्थानी के सुप्रसिद्ध कवि रामस्वरूप किसान के दूहे बरबस ही जुबान पर आने लगे हैं।
काचर लाग्या गोटिया, बेलड़ल्या लड़लूम।
तोरूं चढरी जांटियां, टींडसियां री धूम॥

सुरंगी रुत आई म्हारै देस
खेतों में पसरी हरियाली, अठखेलियां करते जिनावर, लबालब भरे तालाब-कुंड और डिग्गियां, गूंजते लोकगीत, हरे-भरे पेड़ों पर पंछियों का कलरव और मंद-मंद बहता शीतल समीर आदि मिलकर पूरे वातावरण को सुरमयी बना रहे हैं। ऐसे में खेतों में काम करते किरसाण-किरसानणी के कंठों से सुरमयी लोकगीत बरबस ही फूट पड़ते हैं- सुरंगी रुत आई म्हारै देस, भलेरी रुत आई म्हारै देस।

मूंग-मोठ की फसलें जबरी
किसानों के अनुसार इस बार मूंग, मोठ, बाजरा, ग्वार और अरंड पर फाल बहुत अच्छा है और इनकी रिकार्ड तोड़ फसलें होने के आसार हैं। मूंग-मोठ व अरंड का बाजार-भाव अच्छा होने से किसानों की आमद में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होने के आसार दिखने लगे हैं। बरसों बाद सुरंगी फसलें देखने को मिली हैं। फलस्वरूप रोही के जिनावर हरिण, रोझ आदि की रूआंळी न्यारी दिखने लगी है। भैंसों की पीठें भी इतनी चिकनी हो गई हैं कि मक्खी फिसल जाए।
फोटो - परलीका के एक बाड़े में बटोड़े पर पसरी बेलें।
माफ़ करज्यो सा रपट दैनिक भास्कर अख़बार सारू हिंदी में ही लिखी ही अर 27 अगस्त 2010 नै छपी भीसो अठै मूल रूप में ही लगा रैयो हूँ सा.
-डॉ. सत्यनारायण सोनी

10 comments:

  1. वा सा .....साँची के'ई ....

    'सावन बिरखा साँवठी
    किरसां नैण किलोळ
    धोरां लीलो धारियो
    खोल्यो बंजड़ खोळ '

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  2. चोखो काम करयो सोनी जी।
    दुहा तो घणा सुथरा लाग्या।

    राम राम

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  3. waah sa ,
    ab to parlika ghanu saroop lagtaa husi.

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  4. bahut badhiya sir ji ....rab ka lakh -lakh sukar...ki pure rajsthan me achi barish kar di.....

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  5. मेरे ख़ुश्क़ खेतों को बरसात दे
    पेड़ों को फल फूल और पात दे
    फ़रिष्ते फ़िज़ाओं मे फिरने लगें
    मौहब्बत की हम सब को सौग़ात दे

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  6. Aaj Bohat Din Baad Suni Hai Barish Ki Aawaz
    Aaj Bohat Din Baad Kissi Manzar Nay Rasta Roka Hai
    Rim Jhim Ka Malboos Pahan Kar Yaad Kissi Ki Aaye Hai
    Aaj Bohat Din Baaad Achanak Aankh Younhi Bhar Aaye Hai
    Aankh Or Manzar Ki Vusa’t Main Chaaron Janib Barish Hai
    Or Barish Main Duur Kahin Ik Ghar Hai Jis Main
    Aik Aik Eent Par Teray Meray Khwab Likhay Hain
    Or Is Ghar Ko Janay Wali Kuch Guliyan Hain
    Jis Main Hum Dono’n Kay Saaye Tanha Tanha Bheeg Rahay Hain
    Darwazay Par Qufl Para Hai Or Dareechay Soonay Hain
    Deewaro’n Pay Jammi Hoye Kaa’i Main Chup Kar
    Mousam Hum Ko Dekh Rahay Hain

    Kitnay Badal Hum Dono’n Ki Aankh Say Ojhal
    Baras Baras Kar Guzar Chukay Hain
    Aik Kami Si Aik Nami Si
    Charo’n Janib Phail Rahi Hai
    Kai Zamanay Aik Hi Pal Main
    Baham Mil Kar Bheeg Rahay Hain
    Andar Yadain Sookh Rahi Hain
    Bahar Manzar Bheeg Rahay Hain

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  7. Adhron Par Simti Bareesh Ki Ek Boond
    Dard Se Parey Bareesh Ki Ek Boond

    Aazad Gagan Mein Firtee Barish Ki Ek Boond
    Simti Simti Si Barish Ki Ek Boond

    Adhron Par Simti Bareesh Ki Woh Boond
    Ankhon Mein Baseey Bareesh Ki Woh Boond

    Ankhon Se Na Chalkhtee Bareesh Ki Woh Boond
    Sansoon Mein Simti Bareesh Ki Woh Boond

    Simti Simti Si Baarish Ki Woh Boond
    Dil Mein Basee Bareesh Ki Woh Boond

    Aaj Bhi Dil Par Dastak Datee Barish Ki Woh Boond
    Aaj Bhi Kanon Mein Goonjtee Barish Ki Woh Boond

    Hamaree Ankhon Mein Chupee Barish Ki Woh Boond.
    Simti Simti Si Bareesh Ki Woh Boond
    Hamaree Ankhon Mein Chupee Bareesh Ki Woh Boond

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  8. डॉक्टर साब
    प्रणाम !
    फूटरी है ओलिया आप री ,
    घणी खम्मा !
    --

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  9. waah sa waah

    aanand aayo............

    jai ho !

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आप लोगां नै दैनिक भास्कर रो कॉलम आपणी भासा आपणी बात किण भांत लाग्यो?