Wednesday, August 4, 2010

वादळियां भागी फिरै

वादळियां भागी फिरै


सोनै सूरज ऊगियो
दीठी वादळियां।
मुरधर लेवै वारणा
भर-भर आंखडिय़ां॥

सूरज किरण उंतावळी
मिलण धरा सूं आज।
वादळियां रोक्यां खड़ी
कुण जाणै किण काज॥

सूरजमुखी सै सूकिया
कंवळ रह्या कमळाय।
राख्यो सुगणै सुरज नै
वादळियां विलमाय॥

छिनेक सूरज निखरियो
विखरी वादळियां।
चिलकण मुंह अब लागियो
धरा किरण मिळियां॥

छिन में तावड़ तड़तड़ै
छिन में ठंडी छांह।
वादळियां भागी फिरै
घात पवन गळबांह॥
-चंद्रसिंह

3 comments:

  1. चंद्रसिंघजी री सगळी रचनावां जोरदार छै हुकम.

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  2. सूरजमुखी सै सूकिया
    कंवळ रह्या कमळाय।
    राख्यो सुगणै सुरज नै
    वादळियां विलमाय॥
    KAI OLIYA MANDI HAI JEE SORO HU GAYO . RACHNA TO SAGLI AACHI HAI PAN MAHRI CHAV RE E OLIYA HAI .
    SADHUWAD

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  3. chomase m baadli adbhut h sa. o minu ar aa rachana. jorki sa.

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