तारीख- २३/६/२००९
गाज्यो-गाज्यो जेठ-असाढ
कंवर तेजा रे!
-रामस्वरूप किसान
कंवर तेजा रे!
-रामस्वरूप किसान
तेजोजी राजस्थान रा घणा चावा लोकदेवता। जकां री लोकगाथा एक लाम्बै गीत रै रूप में गाइज्यै। इण गाथा नै 'तेजो' कैइज्यै। ओ तेजो अठै रा हाळी गावै। इण वास्तै ओ गीत खेतीखड़ां अर हाळियां रो बाजै। गाथा मुजब ग्यारवीं सताब्दी में मारवाड़ रै नागाणै देस रै नागौर परगनै खरनाळ गांव में धोळिया जाट वंशज सरदार मोहितराव राज करता। मोहितराव रै बेटै थिरराव रै छठै बेटै रै रूप में संवत 1010 री भादवा सुद दसम नै तेजोजी जलम्या। मोहितराव खुद खरनाळ रा शासक होवता थकां आपरो घरू करसाणी काम खुद करता अनै आपरै बेटा-पोतां सूं करवाता। तेजोजी भी हाळी हा। कर्नल टॉड रै मुजब जाट एक जूझारू कौम है जकै खेती रै साथै-साथै आपरी वीरता रा प्रमाण ई दिया है। तेजो एक ऐड़ो ई चरितर है जको बहादुरी रै कारण मरुभोम रो लोकनायक अर पछै लोकदेवता बणग्यो। वीर, सच्चो, सीधो अर भोळो हुवै। बो चालतो ई भोभर में पग देद्यै। पराई लाय में कूद पड़ै। सांच नै पार लंघावण सारू उधारी लेयल्यै। सांच रै पाणै में लाठी लेय'र कूद पड़ै। अर सुभ काम में बो मौको-बेमौको, नफो-नुकसान, जगां-बेजगां अर वेळा-कुवेळा कोनी देखै। साच री जीत सारू जूझणो ई वो आपरो धेय मानै। क्यूँकै वीर री फितरत में खुद रो उजाड़'र दूजां रो बसावण री खासियत हुवै। कैबा है कै कायरां सूं जुग बसै पण जोधां री तो गाथा ई चालै। इसो ई एक जोधो हो तेजो, जको लावण तो गयो आपरी नुंवी-नकोर बीनणी, जकी बरसां सूं उणरी बाट जोवै ही अर बीड़ो चाब बैठ्यो लाछां गूजरी रो। जकी री गायां नै गुवाळियां सूं झांप'र धाड़वी ले ज्यांवता। लाछां गळगळी होय'र इमदाद मांगी। पछै देर क्यांरी! जोम अर जोस सूं तेजै रा गाबा फाटण लागग्या। गायां री वार चढ्यो। देखतां-देखतां खांडो लेय'र धाड़वियां में कूद पड़्यो। सैंकड़ूं डाकुआं रा रुंड-मुंड उडाय'र गायां नै आजाद कराई। पण घायल इसो हुयो कै तिंवाळो खाय'र जमीं पर पड़ग्यो अर सदां-सदां सारू मरुभोम रै कण-कण में रळग्यो। सुरीली राग बण'र हाळियां रै कंठां बसग्यो। जठै बसणो चइयै हो बठै बसग्यो। हां, बहादुरां रा घर तो दो ई जिग्यां हुवै। का कंठां में, का दिलां में। दूहो है-
बसणो दो'रो है दिलां, बसणो सो'रो चांद।
जे सुख चावै बास में, तो दिलां टापरो बांध।।
लोगां रै दिलां में बसणो सै सूं अबखो काम। पण तेजो बसग्यो। बो जमीं पर घर नीं बसा सक्यो। जमीं पर घर तो कायर बसावै। तेजो आपरी अखन कंवारी अर अबोट बीनणी नै चिता पर बिठाय'र साथै ई लेयग्यो। पण जद जेठ उतरै। असाढ लागै। पैली बिरखा रै साथै ऊंट रै राखड़ी बांध किरसो हळोतियै रो पैलो खूड ल्यावै। तो तेजो आपरी जोड़ायत रो हाथ थाम हवळै-हवळै आभै सूं खेतां में आय ऊतरै। हाळियां रै कंठां सूं राग बण निसरै-जे सुख चावै बास में, तो दिलां टापरो बांध।।
गाज्यो-गाज्यो जेठ-असाढ कंवर तेजा रे!
लागतो ई गाज्यो है सावण-भादवो
धरती रो मंडाण मेह कंवर तेजा रे!
आभै री मांडण चमकै बीजळी
सुतो सुख भर नींद कंवर तेजा रे।
थारोड़ा साईनां बीजै बाजरो.....
लागतो ई गाज्यो है सावण-भादवो
धरती रो मंडाण मेह कंवर तेजा रे!
आभै री मांडण चमकै बीजळी
सुतो सुख भर नींद कंवर तेजा रे।
थारोड़ा साईनां बीजै बाजरो.....
ओ एक लांबो गीत है जकै में तेजै री छोटै रूप में गाथा है। आ गाथा भोत ई रोमांचक लोक सुर में गाईजी है। बियां ई लोकगीत में भोत ताकत हुवै। लोकगीत धरती रा प्राण हुवै। कुदरत नै देखण री आंख हुवै लोकगीत। प्रकृति जद गीतां में ढळै तो उणरो नुंवै सिरै सूं रचाव हुवै। गीत ई कुदरत में रस भरै। उण नै मीठी बणावै। अर गीत ई उणनै फुटरापो देय'र देखणजोग बणावै। इण अरथ में जद तेजो किरसाणां रै कंठां ढळै तो खेत संगीतमय बणज्यै। रेत रो कण-कण गांवतो-सो लखावै।
आज रो औखांणोजरणी जणै तो रतन जण, कै दाता कै सूर।
नींतर रहजै बांझड़ी, मती गमाजै नूर।।
बहुत बढ़िया जानकारी |
ReplyDeleteकीर्ति जी
ReplyDeleteपगैलागणा
थांरों चिठ्ठो आज पैली बार ओळखियो। इ भाषा में मोकळो काम कर रया हो। इ वास्ते साधुवाद है थांने। म्है एक अखाणों रो ब्लॉग भी चालू कर राखियो है। इ पोस्ट रो अखाणो लेर जा रयो हूं। थांरी अनुमति होवे तो थांने भी सदस्यता लिंक भेज दूं। तो थे खुद भी कई अखाणा लिखो बी मांय। देशभर रा इक्कीस लेखक पैली सूं बीमे जुडि़योड़ा है। एक बार देखनै जरूर आइजो। लिंक है
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अब तो पेली बिरखा रो इंतजार हो रह्यो है...भोत ही आछ्यो लिख्यो थे ....
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