आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख-२/६/2009
राजस्थानी भाषा में फूल नै पुहुप कैइजै। जे आप कैवो कै म्हैं फूल ल्यायो हूं। तो बडेरो मिनख टोकसी कै फूल ल्या बडेरां रा। ओ तो पुहुप का पुस्ब है। पटाखो फूटै नीं, छूटै। बंदूक बी चालै नीं, छूटै। भांडा साफ नीं करीजै, मांजीजै। फूस बुहारीजै अर झाड़ू काढीजै। मोती चमकै नीं, पळकै। ढोल ढमकै। बाजा बाजै। बंदोरो कढै नीं, नीसरै। विदाई नीं, सीख दिरीजै का लिरीजै। नेग दिरीजै-लिरीजै।
जिनावरां री बोली रा बी सबद न्यारा-न्यारा। डेडर डर-डर। चीड़ी चीं-चीं का चींचाट करै। कागलो कांव-कांव। घोड़ो हींसै। गा ढांकै। गोधो दड़ूकै। ऊंठ आरड़ै-गरळावै। भैंस रिड़कै। गधियो भूंकै। कुत्तो भूंसै। सांढ झेरावै। बकरियो बोकै।
जिनावरां रै बच्चियां रा नांव भी निरवाळा। कुत्तै रो कुकरियो, हूचरियो का कूरियो। सांढ रो टोडियो-तोडियो। भैंस रो पाडियो। भेड रो उरणियो। गा रो बछड़ियो, टोगड़ियो, लवारियो, केरड़ो। आं रा स्त्रीलिंग- कूरड़ी-हुचरड़ी, टोडकी-तोडकी, पाडकी, बछड़ती। डांगरां रा नांव ओज्यूं है। गा-बैडकी। भैंस-पाडी, झोटी। सांढ-टोरड़ी। घोड़ी-बछेरी।
पसुवां रै गरभ धारण करण रा बी पाखती नांव। भेड तुईजै। सांढ लखाइजै। गा हरी होवै। धीणै होवै, दूध रळै, नूंई होवै, कामल होवै, साखीजै, गोधै रळाइजै, गोधै भेळी करीजै। भैंस गड़ीजै। पाडो छोडीजै। पाळै आवै। घोड़ी ठाण देवै। आं नै काबू करण रा नांव भी न्यारा-न्यारा तरीका, न्यारा-न्यारा नांव। गा रै नाजणो-न्याणो। भैंस रै पैंखड़ो। घोड़ी रै लंगर। ऊंठ रै नोळ बीडणी। घोड़ी रै नेवर। बळधां रै दावणा देईजै।
राजस्थानी में उच्छबां रा। तीज-तिंवारां रा। मेळां-मगरियां रा। रीत-परम्परा सारू आपरा सबद। बनड़ो गाइजै। जल्लो गाइजै। चंवरी मंडै। हथळेवो जु़डै। घोड़ो घेरीजै। बारणो रोकीजै। सामेळो-समठूणी करीजै। तागा तोड़ीजै। पागा पूजीजै। ढूंढ माथै तेड़ीजै। जच्चा गाइजै। भाषा भाखीजै। कूंत करीजै। झाळ अर तिरवाळा आवै। होळी मंगळाइजै। बीनणी बधारीजै। कूं-कूं चिरचीजै। धोक लगाइजै। पगां पड़ीजै। जात लगाइजै। फेरी देइजै। झड़ूलो उतारीजै। चेजो चिणाइजै। माल-बस्त मोलाइजै। गांवतरो करीजै। खळो काढीजै। रळी आवै। चे़डा आवै। भूत बड़ै। बायरियो बाजै। पून चालै आंधी आवै।
इण बात माथै बांचो धोंकळसिंह चरला रो ओ दूहो-
तारीख-२/६/2009
मरुधर महिमा मोकळी,
वरणन करी न जाय
-ओम पुरोहित 'कागद'
राजस्थानी भाषा बातां री धिरयाणी। बातां में बातां। पण बातां में तंत। तंत बी इत्तो कै अंत नीं। बोल्यां मूंडै मिठास। अंगेज्यां उच्छाब। अर बपरायां हिमळास। पण बोलण में सावचेती री दरकार। दुनिया में राजस्थानी ई ऐड़ी भाषा जकी में हरेक क्रिया सारू निरवाळा सबद। संज्ञावां रा न्यारा विशेषण। क्रिया अर संज्ञा सबदां री आपरी कांण। आ कांण राख्यां ई सरै। नींस अरथ रो अनरथ होय जावै।वरणन करी न जाय
-ओम पुरोहित 'कागद'
राजस्थानी भाषा में फूल नै पुहुप कैइजै। जे आप कैवो कै म्हैं फूल ल्यायो हूं। तो बडेरो मिनख टोकसी कै फूल ल्या बडेरां रा। ओ तो पुहुप का पुस्ब है। पटाखो फूटै नीं, छूटै। बंदूक बी चालै नीं, छूटै। भांडा साफ नीं करीजै, मांजीजै। फूस बुहारीजै अर झाड़ू काढीजै। मोती चमकै नीं, पळकै। ढोल ढमकै। बाजा बाजै। बंदोरो कढै नीं, नीसरै। विदाई नीं, सीख दिरीजै का लिरीजै। नेग दिरीजै-लिरीजै।
जिनावरां री बोली रा बी सबद न्यारा-न्यारा। डेडर डर-डर। चीड़ी चीं-चीं का चींचाट करै। कागलो कांव-कांव। घोड़ो हींसै। गा ढांकै। गोधो दड़ूकै। ऊंठ आरड़ै-गरळावै। भैंस रिड़कै। गधियो भूंकै। कुत्तो भूंसै। सांढ झेरावै। बकरियो बोकै।
जिनावरां रै बच्चियां रा नांव भी निरवाळा। कुत्तै रो कुकरियो, हूचरियो का कूरियो। सांढ रो टोडियो-तोडियो। भैंस रो पाडियो। भेड रो उरणियो। गा रो बछड़ियो, टोगड़ियो, लवारियो, केरड़ो। आं रा स्त्रीलिंग- कूरड़ी-हुचरड़ी, टोडकी-तोडकी, पाडकी, बछड़ती। डांगरां रा नांव ओज्यूं है। गा-बैडकी। भैंस-पाडी, झोटी। सांढ-टोरड़ी। घोड़ी-बछेरी।
पसुवां रै गरभ धारण करण रा बी पाखती नांव। भेड तुईजै। सांढ लखाइजै। गा हरी होवै। धीणै होवै, दूध रळै, नूंई होवै, कामल होवै, साखीजै, गोधै रळाइजै, गोधै भेळी करीजै। भैंस गड़ीजै। पाडो छोडीजै। पाळै आवै। घोड़ी ठाण देवै। आं नै काबू करण रा नांव भी न्यारा-न्यारा तरीका, न्यारा-न्यारा नांव। गा रै नाजणो-न्याणो। भैंस रै पैंखड़ो। घोड़ी रै लंगर। ऊंठ रै नोळ बीडणी। घोड़ी रै नेवर। बळधां रै दावणा देईजै।
राजस्थानी में उच्छबां रा। तीज-तिंवारां रा। मेळां-मगरियां रा। रीत-परम्परा सारू आपरा सबद। बनड़ो गाइजै। जल्लो गाइजै। चंवरी मंडै। हथळेवो जु़डै। घोड़ो घेरीजै। बारणो रोकीजै। सामेळो-समठूणी करीजै। तागा तोड़ीजै। पागा पूजीजै। ढूंढ माथै तेड़ीजै। जच्चा गाइजै। भाषा भाखीजै। कूंत करीजै। झाळ अर तिरवाळा आवै। होळी मंगळाइजै। बीनणी बधारीजै। कूं-कूं चिरचीजै। धोक लगाइजै। पगां पड़ीजै। जात लगाइजै। फेरी देइजै। झड़ूलो उतारीजै। चेजो चिणाइजै। माल-बस्त मोलाइजै। गांवतरो करीजै। खळो काढीजै। रळी आवै। चे़डा आवै। भूत बड़ै। बायरियो बाजै। पून चालै आंधी आवै।
इण बात माथै बांचो धोंकळसिंह चरला रो ओ दूहो-
धन धोरा धन धोळिया, धन मरुधर माय।
मरुधर महिमा मोकळी, वरणन करी न जाय।।
मरुधर महिमा मोकळी, वरणन करी न जाय।।
आज रो औखांणो
मीठो बोल्यां मन बधै, मोसौ मार्यां बैर।
मीठा बोलने से मन बढ़ता है, ताना मारने से बैर।
मीठो बोल्यां मन बधै, मोसौ मार्यां बैर।
मीठा बोलने से मन बढ़ता है, ताना मारने से बैर।
भाई एक बारु और पढ़्नो पड़सी..
ReplyDeletemarudhr ri mahima ro lekh santro lagyo kagad ji ne mokla rang
ReplyDeletemukesh ranga
mahajan
9928585425
बहुत ही अच्छा लगा ...लिखने में थोडी मुश्किल है..सो हिंदी में ही बधाई स्वीकार करें..
ReplyDeleteBhai aaj apne gaon ka itihas dhekha aur bahut acha laga ham chate hai ki hamara gaon is tarah hi unnati aur pragti karta rahe
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